राजनीति

हरियाणा में सैनी की कड़ी परीक्षा

 

लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने हरियाणा मंे एक प्रयोग किया है। यहां पर मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाकर ओबीसी के नायाब सिंह सैनी को सीएम बना दिया लेकिन खट्टर भी चुनाव लड़ रहे हैं। राज्य मंे लोकसभा की 10 सीटें हैं। पिछली बार 2019 मंे भाजपा ने 10 की 10 सीटें जीती थीं। इस बार यहां चारकोणीय मुकाबला हो रहा है। देश भर में सात चरणों मंे लोकसभा चुनाव हो रहे हैं लेकिन हरियाणा में छठें चरण मंे एक साथ 25 मई को मतदान होगा। यहां पर 6 मई तक नामांकन दाखिल किये जा सकेंगे। इसलिए राजनीतिक दलों ने पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) जहां मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं सीटों के बंटवारे के विवाद के चलते जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) और भाजपा मंे गठबंधन टूट गया है। जेजेपी भिवानी महेन्द्रगढ़ और हिसार सीटों को मांग रही थी लेकिन भाजपा सिर्फ एक सीट देने को तैयार थी। जाट बेल्ट वाली हरियाणा की राजनीति में भाजपा ने ओबीसी का कार्ड खेला है। इससे मुकाबला कड़ा होने की संभावना है। जाट वोट नाराज न हो, इसके लिए मनोहर लाल खट्टर को सीएम की कुर्सी से हटाने के बावजूद करनाल से लोकसभा प्रत्याशी भी बनाया गया है। राज्य में वर्तमान मंे 1 करोड़ 95 लाख मतदाता बताये जाते हैं। किसानों का आंदोलन भी चल रहा है। हालंाकि किसानों ने किसी भी राजनीतिक दल का समर्थन या विरोध नहीं किया है। भाजपा, जेजेपी के साथ कांग्रेस-आप का गठबंधन और ओमप्रकाश चैटाला की इंडियन नेशनल लोकदल मैदान मंे है। मुख्यमंत्री नायाब सिंह सैनी की यह कड़ी परीक्षा है।

हरियाणा में लोकसभा चुनाव की 10 सीटों के लिए 25 मई को वोटिंग होगी। सभी पार्टियां अपने-अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर रही है। कांग्रेस गुरुग्राम सीट पर अब तक अपना प्रत्याशी नहीं उतार सकी है। बाकी पर ऐलान कर दिया है। भाजपा के 10 उम्मीदवार मैदान में आ चुके हैं। कांग्रेस और आप ने गठबंधन में 9 उम्मीदवार मैदान में उतार दिए हैं। उधर, जननायक जनता पार्टी और इंडियन नेशनल लोकदल ने भी अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। दरअसल, कांग्रेस की टिकटों की घोषणा के बाद भाजपा के लिए कड़ी चुनौती साबित हो रहे हैं। बीजेपी ने 2019 के चुनाव में दसों लोकसभा सीटें जीतकर अपना परचम लहराया था, वहीं अबकी उनकी राह काफी कठिन नजर आ रही है।उसके सामने पिछली बार का प्रदर्शन दोहराने की बड़ी चुनौती है।

पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा को रोहतक से कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया है तो वहीं भाजपा ने अरविंद शर्मा को फिर से मैदान में उतारा है। अरविंद शर्मा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में दीपेंद्र हुड्डा को बहुत कम अंतराल से हराया था। इस सीट पर अबकी बार कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है। इसी तरह सिरसा में
कांग्रेस से कुमारी शैलजा को मैदान में उतारा गया। कुमारी शैलजा सिरसा लोकसभा सीट से
पहले भी दो बार सांसद रह चुकी है। उनके पिता चैधरी दलबीर सिंह सिरसा में कांग्रेस के बड़े नेता रहे हैं।
वहीं बीजेपी ने अशोक तंवर को मैदान में उतार कर दांव खेला है। अशोक तंवर कांग्रेस के ही व्यक्ति हैं। 2019 में सिरसा लोकसभा सीट से अशोक तंवर ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था, जबकि अबकी बार बीजेपी की टिकट पर वह मैदान
में है।

सोनीपत में कांग्रेस ने सतपाल ब्रह्मचारी को टिकट देकर मास्टर स्ट्रोक खेला है। सतपाल ब्रह्मचारी संन्यासी हैं और हरिद्वार में उनके आश्रम हैं। मूलतः वह जींद के गांगोली गांव के रहने वाले हैं। कांग्रेस ने जींद जिले की जो तीन विधानसभा आती है, उनमें से लोकसभा का उम्मीदवार बनाकर कड़ी चुनौती दी है जबकि भाजपा ने अपनी पार्टी के राई के विधायक और पार्टी के महामंत्री मोहनलाल बडोली पर दाव खेला है। यहां भी चुनाव बड़ा ही रोचक होने वाला है और दोनों में कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी। हिसार लोकसभा सीट पर भी चुनाव काफी रोचक देखने को मिलेगा। भारतीय जनता पार्टी ने निर्दलीय विधायक और सरकार में मंत्री रणजीत चैटाला को भाजपा में शामिल करवाकर मैदान में उतारा है तो वहीं कांग्रेस पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश जेपी को मैदान में उतारा है। हिसार लोकसभा सीट पर दो चुनौती दोनों पार्टियों के लिए और भी रहने वाली है। यहां से जननायक जनता पार्टी ने नैना चैटाला को तो वहीं इंडियन नेशनल लोकदल ने सुनैना चैटाला को मैदान में उतारा है, जो कि चैटाला परिवार की बहुएं हैं। यहां पर मुकाबला चार कोणीय रह सकता है।

कुरुक्षेत्र में मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है क्योंकि इंडियन नेशनल लोकदल ने भी इनेलो के प्रमुख नेता और ऐलनाबाद से विधायक अभय चैटाला को मैदान में उतारा है। भिवानी महेंद्रगढ़ सीट पर भाजपा ने दो बार के सांसद धर्मवीर सिंह पर ही एक बार फिर से दांव खेला है तो वहीं कांग्रेस ने बुद्धिमता का परिचय देते हुए महेंद्रगढ़ से विधायक राव दान सिंह पर अपना भरोसा जताया है और उन्हें उम्मीदवार बनाया है। चैधरी बंसीलाल की पोती श्रुति चैधरी दो बार भिवानी से सांसद रहीं तो दो बार उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। अब धर्मवीर सिंह और राव दान सिंह में मुकाबला कड़ा होने की उम्मीद है। ऐसे में चुनाव जाट बनाम यादव में बंटता हुआ नजर आ सकता है। करनाल लोकसभा से बीजेपी ने पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल को उम्मीदवार बनाया है तो वहीं कांग्रेस ने युवा चेहरा पार्टी के युवा अध्यक्ष दिव्यांशु बुद्धिराजा पर विश्वास जताया है। दिव्यांशु बुद्धि राजा पंजाबी समुदाय से संबंध रखते हैं। अब देखना होगा कि युवा चेहरा एक मंझे हुए चेहरे को कितनी मात दे पाता है। पुराने समय में युवा चेहरे छत्रपाल ने मंझे हुए नेता चैधरी देवीलाल को मात दे दी थी, जो की काफी चर्चा का विषय रहा था। फरीदाबाद सीट से कृष्ण पाल गुर्जर लगातार दो बार से सांसद बन रहे हैं और केंद्र में मंत्री पद से भी उन्हें नवाजा गया है। अबकी बार उन्हें गुर्जर समुदाय के ही बड़े नेता और हरियाणा सरकार में पूर्व में मंत्री रहे महेंद्र प्रताप से कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद है। महेंद्र प्रताप को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया है।

इसी तरह अंबाला लोकसभा से भाजपा ने सांसद रहे रतनलाल कटारिया की धर्मपत्नी बंतो कटारिया को मैदान में उतारा है और प्रत्याशी बनाया है तो वहीं कांग्रेस ने मुलाना से विधायक वरुण चैधरी पर अपना विश्वास जताया है। बंतो कटारिया को जहां रतनलाल कटारिया के स्वर्गवासी होने के बाद यह टिकट मिला है तो उन्हें भावनात्मक लहर से जीतने की उम्मीद है और नरेंद्र मोदी के नाम का सहारा है। वरुण मुलाना युवा चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं और विधानसभा में बेस्ट विधायक का खिताब जीत चुके हैं। इस तरह सभी सीटों पर कड़ा मुकाबला है। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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