लेखक की कलम

कश्मीर की जनता को सलाम

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
राजनीति से हटकर बात करें तो कश्मीरियत का रुख अब पूरी तरह बदल चुका है। जम्मू-कश्मीर में एक दशक बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। विधानसभा चुनाव के पहले चरण में
61.38 फीसद मतदान हुआ। चुनाव आयोग के मुताबिक, पुरुष मतदान
63.75 फीसद, महिला मतदान 58.96 फीसद और थर्डजेंडर मतदान 40 फीसद रहा। मतदान के दिन मतदान केंद्रों पर मतदान के रुझान आयोग द्वारा अपने वोटर टर्नआउट ऐप के माध्यम से सुबह 9ण्30 बजे से हर दो घंटे पर उपलब्ध कराए गए। सीईओ जम्मू-कश्मीर ने पुष्टि की है कि सभी मतदान दल सुरक्षित लौट आए हैं। इस प्रकार कश्मीर की जनता का पाकिस्तान और उसके नाम पर राजनीति करने वालों से मोह पूरी तरह भंग हो चुका है । भारत के लोकतंत्र के प्रति जनता ने निष्ठा जतायी है। वहां की जनता को सलाम किया जाना चाहिए और उसकी उम्मीदें बरकरार रखने का प्रयास करना होगा। यह सभी राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी आधार पर जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का वादा किया है।
चुनाव प्रचार के संदर्भ में ही गत 19 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में रैली को संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा कि भाजपा जो कहती है वो 100 फीसदी पूरा करती है। हमने संसद में कहा है कि जम्मू-कश्मीर फिर से राज्य बनेगा और भाजपा ही इस कमिटमेंट को पूरा करेगी। पीएम ने अपील करी कि 25 सितंबर को वोटिंग के सारे रिकॉर्ड टूटने चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि आप भाजपा को वोट दीजिए। भाजपा के लोग यहां विकास के लिए आपके साथ हैं। पीएम मोदी ने कहा कि आप यहां केसर, जाफरान उगाते हैं। ट्यूलिप उगता है। कमल का फूल इस खूबसूरती में चार चांद लगाएगा। बता दें कि जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों के तहत चुनाव होने हैं। तीन चरणों में पहले चरण का मतदान 18 सितंबर को हो चुका है। दूसरे चरण का मतदान 25 सितंबर और तीसरे चरण का मतदान 1 अक्टूबर को होना है। चुनाव के नतीजे 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे। पीएम मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत कश्मीरी भाषा में की। उन्होंने कहा कि हम सब का मकसद जम्मू कश्मीर की तेज तरक्की है। तेज तरक्की का जज्बा और बुलंद करने के पैगाम के साथ मैं आपके बीच में आया हूं। पीएम मोदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में जम्हूरियत का त्योहार चल रहा है। पहली बार दहशतगर्दी के साए के बिना राज्य में वोटिंग हुई है। हम सभी के लिए ये खुशी और गर्व की बात है कि इतनी बड़ा तादाद में लोग वोटिंग लिए घरों से बाहर निकले। किश्तवाड़ में 80 फीसदी से ज्यादा वोटिंग, डोडा में 71 प्रतिशत से ज्यादा वोटिंग। ये नया इतिहास बना है। ये इतिहास जनता ने रचा है।
पीएम मोदी ने कहा कि जम्मू कश्मीर को टेरर से आजाद कराना। साजिश करने वालों को हराना, यहां के नौजवानों को यहीं नौकरी का अवसर दिलाना ये मोदी का वादा है।
मोदी ने कहा यहां अमन की बहाली के लिए मैं पूरी इमानदारी से जुटा हूं। देखिए पूरे जम्मू-कश्मीर में स्कूल-कॉलेज आराम से चल रहे हैं, बच्चों के हाथ में पत्थर नहीं बल्कि पेन-किताब और लैपटॉप हैं। आज स्कूलों में आग लगने की खबरें नहीं आतीं। आज यहां नए स्कूल-कॉलेज, एम्स, मेडिकल कॉलेज, आईआईटी बनने की खबरें आ रही हैं। मैं चाहता हूं कि हमारे बच्चे पढ़ें लिखें आगे बढ़ें और यहीं पर उनके लिए नौकरी रोजगार के मौके मिलें। पीएम मोदी ने रैली में कश्मीरी पंडितों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कश्मीरियत को सींचने उसे आगे बढ़ाने में कश्मीरी पंडितों की भूमिका रही है लेकिन तीन खानदानों की सियासत ने कश्मीरी हिंदुओं को घर से बेघर कर दिया। सिखों पर भी जुल्म हुए। ये तीन खानदान हर जुल्म के भागीदार बने रहे। कांग्रेस एनसी और पीडीपी ने सिर्फ बंटवारा किया लेकिन भाजपा सबको जोड़ रही है। हम दिल और दिल्ली की दूरी मिटा रहे हैं। कश्मीर वादी रेल से जुड़ रही है जिससे सेब किसानों को फायदा होगा। आपकी फसलें कम लागत में देश के दूसरे हिस्से में पहुंच पाएंगी। टूरिज्म से फायदा होगा। फैक्ट्रियां, कारखाने से लोगों फायदा होगा। आज दुनिया के लोग कश्मीर को देख कर खुश हैं। आज खेलो इंडिया विंटर गेम्स यहां होते हैं। यहां इंटरनेशनल योगा डे मनाया जाता है। यही तो कश्मीरियत है जो बांहे फैला कर सबका वेलकम करती है।
पीएम मोदी ने कहा कि जो ईंट पत्थर आज आपके घर बनाने में लग रहे हैं। उनसे कुछ लोगों ने पहले अपने आलीशान महल बनावाएं थे। पीएम मोदी ने कहा कि जम्मू कश्मीर में भाजपा की सरकार बनी तो किसानों को 6 हजार के बजाए 10 हजार रुपए मिलेंगे। बुजुर्ग के खाते में 18 हजार रुपये मिलेंगे। 7 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज मिलेगा। यहां गरीबों को हजारों घर मिले हैं। अब दिल्ली की केंद्र सरकार लोगों को मुफ्त बिजली देने के लिए काम कर रही है। मुफ्त बिजली के लिए पीएम सूर्यघर स्कीम चल रही है। 80 हजार रुपये हर परिवार को केंद्र सरकार देगी। योजना से जुड़े हर परिवार को हर साल करीब 25 हजार रुपए तक की बचत होगी।
कश्मीर की जनता ने लोकतंत्र में विश्वास जताया है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी पीके पोले ने बताया कि पहले चरण में कई क्षेत्रों में जहां पारंपरिक वोट प्रतिशत न्यूनतम रहता था, वहां रिकॉर्ड मतदान हुआ है। इसमें दक्षिण कश्मीर के पुलवामा और शोपियां जिले में विगत चार लोकसभा चुनाव व तीन विधानसभा चुनाव के बाद अधिकतम मतदान हुआ। इन इलाकों को आतंक का गढ़ माना जाता था। पोले ने कहा, शांतिपूर्ण चुनाव के कारण कहीं भी पुनर्मतदान कराने की जरूरत नहीं है। देश के अलग-अलग राज्यों में रहने वाले 35 हजार से ज्यादा कश्मीरी पंडितों ने भी मताधिकार का उपयोग किया। विस्थापित पंडितों के लिए 24 विशेष बूथ बनाए गए थे। इनमें जम्मू में 19, दिल्ली में 4 और उधमपुर में एक बूथ बनाया था। उल्लेखनीय है, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने व तत्कालीन राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के बाद से जम्मू-कश्मीर में यह पहला विधानसभा चुनाव है और लोकतंत्र के प्रति निष्ठा जताते हुए केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में नापाक इरादों और हिंसा को दरकिनार कर अवाम ने शांति, सौहार्द और सद्भावना के लिए छिटपुट घटनाओं को छोड़कर शांतिपूर्वक बंपर मतदान किया। किश्तवाड़ जिले की तीन विधानसभा सीटों पर मतदाताओं ने सर्वाधिक उत्साह दिखाया और रिकॉर्ड (80.14फीसद) मतदान किया। यहां सुबह से ही मतदान केंद्रों पर लंबी कतारें लग गई थीं।
पुलवामा जिले की चार सीटों पर सबसे कम (46.65फीसद) मतदान हुआ। हालांकि, इसके बावजूद यहां मतदान का पिछले सात चुनाव का रिकॉर्ड टूट गया। अनंतनाग की सात सीटों पर 57.84 फीसद मतदान हुआ। डोडा जिले में तीन सीटों पर 71.34 फीसद, कुलगाम में तीन सीटों पर 62.46 फीसद, रामबन में दो सीटों पर 70.55 फीसद, शोपियां में दो सीटों पर 55.96 फीसद मतदान हुआ है। कश्मीर के चार जिलों में 2014 की तुलना में 2.50 फीसद की वृद्धि हुई तो जम्मू संभाग में 0.35 फीसद कम मत पड़े। खास यह रहा कि कश्मीर में जमात के प्रभाव वाले पुलवामा, शोपियां व कुलगाम जिले में मतदान प्रतिशत बढ़ा है, जबकि पीडीपी के गढ़ अनंतनाग में मत प्रतिशत गिरा है।
चुनाव आयोग ने कहा कि वोट डालने के लिए मतदाताओं का उत्साह बहिष्कार और हिंसा के खिलाफ बुलंद हौसलों की तस्वीर है। यह लोकतंत्र के प्रति लोगों की आस्था को दिखाता है। कश्मीरी प्रवासी मतदाताओं ने भी जम्मू के 19, उधमपुर के एक व दिल्ली के 4 मतदान केंद्रों पर मताधिकार का प्रयोग किया। इनके लिए 24 विशेष बूथ बनाए गए थे और 85 वर्ष से अधिक उम्र के बहुत से मतदाताओं व दिव्यांगों को उनके घर से मतदान की सुविधा दी गई। (हिफी)

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