फिल्मी

संजीव व सुलक्षणा का रोमांस भी गजब का रहा

सुरैया-देव आनंद, दिलीप कुमार-मधुबाला, राजकपूर-नरगिस, अमिताभ-रेखा वगैरह प्रेम के ऐसे कई अफसाने हैं, जो गॉसिप और हकीकत के बीच एक नाजुक डोर के सहारे अक्सर याद किए जाते हैं। संजीव कुमार और सुलक्षणा पंडित के रोमांस का किस्सा भी इससे कम नहीं।
पिछले काफी समय से गुमनाम जिंदगी गुजार रहीं अभिनेत्री सुलक्षणा पंडित और अभिनेता संजीव कुमार की अधूरी प्रेम कहानी उन्हें चाहने वाले बखूबी जानते हैं लेकिन इस कहानी का यूं भी अंत होगा, ऐसा किसी ने सोचा नहीं होगा। सुलक्षणा अपने प्रेमी हरीभाई जरीवाला यानी संजीव कुमार की यादों के सहारे आजीवन कुंवारी रहीं और उसी तारीख को उनका इंतकाल हुआ, जिस दिन संजीव कुमार दुनिया से रुखसत हुए थे। यानी 6 नवंबर। कायनात में ऐसा संयोग कभी-कभार ही आता है। इतिहास के पन्ने पर अब दोनों कलाकारों की पुण्यतिथि एक ही दिन के लिए दर्ज हो गई जो जीते जी एक न हो सके, उन्हें तारीख ने मिला दिया। अब दोनों एक साथ याद किए जाएंगे। एक साथ उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी। यह एक बेमिसाल संयोग है।
संजीव कुमार की अभिनय प्रतिभा में कलात्मकता को देखकर ही सुलक्षणा उन पर मोहित हुईं। इतनी मोहित कि उनसे शादी करने की भी इच्छा जता दी लेकिन संजीव कुमार उस वक्त की एक और टॉप हीरोइन हेमा मालिनी को बहुत चाहते थे। सुलक्षणा पंडित से भी पहले संजीव कुमार और हेमा मालिनी की मुलाकात रमेश सिप्पी के निर्देशन में आईं सन् 1972 की मशहूर फिल्म सीता और गीता के सेट पर हुई थी। सीता और गीता के डबल रोल ने हेमा मालिनी को सुपरस्टार बना दिया था। हालांकि हेमा मालिनी से संजीव कुमार का प्यार इकतरफा था और जब संजीव कुमार ने हेमा से प्रेम का इजहार किया तो उन्हें निराशा हाथ लगीं। हेमा ने इनकार कर दिया। हेमा मालिनी का करियर लगातार आगे बढ़ रहा था और वह उस समय को अपनी शादी के योग्य बिल्कुल नहीं मानती थीं। दूसरी तरफ हेमा से इश्क फरमाने वालों में और भी कई नामी कलाकार थे मसलन गिरीश कर्नाड, जितेंद्र और अंततः धर्मेंद्र से उनकी शादी हुई। संजीव कुमार के भीतर निराशा घनीभूत होती गई। शराब पीने का शौक पहले से ही था और इस वाकये के बाद उन्होंने देर रात तक खूब शराब पीना शुरू कर दिया। ज्यादा मात्रा में शराब पीने से उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ा। इधर सुलक्षणा पंडित फिर भी उनसे रिश्ते के लिए बेताब रहीं। वह बार-बार संजीव कुमार से शादी के लिए कहती रहीं लेकिन संजीव नहीं माने, जब 6 नवंबर, 1985 को संजीव कुमार का दिल का दौरा पड़ने से देहांत हो गया तब सुलक्षणा खुद को एकदम अकेली महसूस करने लगीं। उनके निधन के बाद सुलक्षणा ने आजीवन कुंवारी रहने का फैसला कर लिया था। उन्होंने भी संजीव कुमार की यादों को अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी। (हिफी)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button