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संजीव कुमार का असली नाम था हरिहर जेठालाल जरीवाला

शोले वो मूवी है जिसका हर किरदार अपने आप में खास है। चाहे फिर वो गब्बर हो या जय वीरू, सूरमा भोपाली, जेलर, सांबा या फिर ठाकुर। इस फिल्म के हर किरदार को आज भी याद किया जाता है और सिने प्रेमियों की जुबान पर उनके डायलॉग रहते हैं। लेकिन आप जानते हैं कि शोले के ठाकुर यानी संजीव कुमार का असली नाम हरिहर जेठालाल जरीवाला था लेकिन उन्हें सब संजीव कुमार के नाम से जानते हैं। अब सवाल ये पैदा होता है कि शोले के ठाकुर यानी संजीव कुमार को ये नाम मिला कैसे?
हरिहर जेठालाल जरीवाला का जन्म 9 जुलाई 1938 को गुजरात के सूरत के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। बचपन से ही अभिनय के प्रति उनका जुनून उन्हें मुंबई की मायानगरी ले आया। थिएटर से अपने करियर की शुरुआत करने वाले हरिहर ने 1956 में फिल्मों में कदम रखा, लेकिन उनका असली नाम सिल्वर स्क्रीन के हिसाब से सही नहीं माना गया। यहीं मशहूर डायरेक्टर सावन कुमार टाक की भूमिका सामने आई। सावन कुमार टाक ने उस दौर में नौनिहाल और गोमती के किनारे और सौतन जैसी फिल्में दीं। सावन कुमार ने हरिहर को सलाह दी कि उन्हें एक ऐसा नाम चुनना चाहिए जो दर्शकों पर असर छोड़े। सावन कुमार के सुझाव पर हरिहर ने संजीव कुमार नाम चुना। इस नाम का चयन उनकी मां शांताबेन के नाम के पहले अक्षर ‘एस’ और उस समय के लोकप्रिय अभिनेताओं के उपनाम कुमार से प्रेरित था। इस नाम ने उन्हें हिंदी सिनेमा में एक अलग पहचान दी।
संजीव कुमार ने शोले, त्रिशूल, अंगूर, कोशिश और दस्तक जैसी फिल्मों में अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीता। दस्तक (1970) और कोशिश (1972) के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। उनकी बहुमुखी प्रतिभा ने उन्हें हर तरह के किरदार में जीवंत कर दिया, फिर चाहे वह ‘शोलेश् का ठाकुर हो या ‘अंगूरश् का डबल रोल। 1978 में रिलीज हुई त्रिशूल में संजीव कुमार ने उनसे उम्र में चार साल छोटे अमिताभ बच्चन के पिता का रोल निभाया था। 47 साल की उम्र में 6 नवंबर 1985 को हार्ट अटैक से संजीव कुमार का निधन हो गया। (हिफी)

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