एसआईआर का दूसरा चरण

लोकतंत्र में चुनाव बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। चुनाव की मौलिक इकाई मतदाता हैं। चुनाव के समय अक्सर यह शिकायत मिलती है कि मतदाता सूची मंे फर्जी नाम शामिल हैं। इससे चुनाव की शुचिता भंग होती है। हमारे संविधान मंे यह बात साफ-साफ कही गयी है कि मतदान का अधिकारी वहीं है जो भारत का नागरिक हो और किसी अन्य रूप मंे उसे मतदान से वंचित न किया गया है। इसलिए मतदाता सूचियों मंे समय-समय पर संशोधन होता रहता है लेकिन इस बार बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चुनाव आयोग ने स्पेशल इंटेसिव रिवीजन (एसआईआर) प्रक्रिया अपनाई ताकि अवैध मतदाता वोट न डाल सकें। विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया और मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह चुनाव आयोग को एसआईआर से नहीं रोक सकता लेकिन नागरिकता की पहचान के लिए आधारकार्ड जैसे प्रमाण भी मान्य बताए। सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी पाने के बाद ही निर्वाचन आयोग ने देश भर मंे एसआईआर लागू करने का निश्चय किया था। इसको चरणबद्ध रूप से किया जाएगा। गत 27 अक्टूबर को मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने 9 राज्यों और 3 केन्द्र शासित प्रदेशों में एसआईआर प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसका उद्देश्य अयोग्य मतदाताओं को सूची से बाहर करना है। यह प्रक्रिया विशेष रूप से उन राज्यों मंे पहले हो रही है। जहां अगले वर्ष विधानसभा के चुनाव होने हैं। विपक्षी दलों ने फिर आपत्ति दर्ज करायी है। इस बार 51 करोड़ मतदाताओं का सत्यापन होना है। यह सही है कि मतदाता सूची में अयोग्य मतदाताओं का नाम नहीं रहना चाहिए लेकिन जो वैध मतदाता हैं, उनको भी यह शिकायत नहीं होनी चाहिए कि जब वे मतदान केन्द्र पर पहुंचे तो उनका वोट पहले से ही पड़ चुका था अथवा सूची मंे नाम नहीं था।
बिहार के बाद 9 राज्य और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में स्पेशल इंटेसिव रिवीजन (एसआईआर) की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया कि इस प्रक्रिया का उद्देश्य योग्य वोटरों को लिस्ट में शामिल करना और अयोग्य वोटरों को मतदाता सूची से बाहर करना है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि देश में आखिरी बार स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन 21 साल पहले हुआ था। ऐसे में मतदाता सूची का शुद्धीकरण जरूरी है। चुनाव आयुक्त ने बताया कि बीएलओ तीन बार हर घर में जाएंगे। इस दौरान मतदाताओं से मिलेंगे और लिस्ट में उनके नाम की पुष्टि करेंगे, उन्हें मतदाता सूची में नाम जुड़वाने का फॉर्म देंगे। जो लोग घर से बाहर रहते हैं या दिन में ऑफिस जाते हैं, ये लोग ऑनलाइन अपना नाम जुड़वा सकेंगे।
नई मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए मतदाताओं को पहले चरण में कोई डॉक्यूमेंट नहीं देना होगा। उन्हें सिर्फ यह बताना होगा कि 2003 में की मतदाता सूची में उनका नाम था या नहीं और यदि उनका नाम नहीं था को उनके माता-पिता का नाम था। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर सभी राज्यों की 2003 की मतदाता सूची देखी जा सकती है।चुनाव आयुक्त ने साफ किया कि अब किसी भी बूथ पर 1000 से ज्यादा मतदाता नहीं हो सकते। ऐसे में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के बाद पोलिंग बूथ की संख्या भी बदलेगी। ताकि, कहीं भी मतदाताओं की भीड़ न लगे। जिन 12 राज्यों में एसआईआर होना है। वहां, कुल 51 करोड़ मतदाता हैं।मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, भारत के नागरिकता अधिनियम में असम के लिए अलग प्रावधान हैं। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में वहां नागरिकता की जांच पूरी होने वाली है। 24वां एसआईआर आदेश पूरे देश के लिए था। ऐसे में यह असम पर लागू नहीं होता। इसलिए असम के लिए संशोधन के अलग आदेश जारी किए जाएंगे।
एसआईआर की प्रक्रिया तीन चरण में होगी। पहले चरण में मतदाताओं के नाम को 2003 की मतदाता सूची से लिंक किया जाएगा। इसमें मतदाताओं को सिर्फ यह बताना होगा कि 2003 की मतदाता सूची में उनका या उनके माता-पिता का नाम कहां था। इसके बाद जिन लोगों का नाम 2003 की मतदाता सूची से लिंक नहीं हो पाएगा। उनका नाम दूसरे चरण में जोड़ा जाएगा। इस चरण में चुनाव आयोग उन लोगों को नोटिस जारी करेगा, जिनके नाम लिंक नहीं हो पाए हैं। इस चरण में मतदाताओं को संबंधित डॉक्यूमेंट दिखाने होंगे। इस दौरान आधार कार्ड भी स्वीकार किया जाएगा। इसके साथ ही यह भी बताना होगा कि 2003 के समय वह और उनके माता-पिता कहां थे। इसके बाद प्रोविजनल लिस्ट जारी होगी। प्रोविजनल लिस्ट जारी होने के साथ ही मतदाताओं के पास अपील करने का अधिकार होगा। इस दौरान वो लोग अपील कर सकेंगे, जिनका नाम
दूसरे चरण में भी लिस्ट में नहीं जुड़ पाया है। इसके साथ ही वो लोग भी अपनी जानकारी में संशोधन करा सकेंगे, जिनके नाम या अन्य जानकारी में गड़बड़ी है।
किसी भी केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकार अथवा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के नियमित कर्मचारी/ पेंशनभोगी को जारी किया गया कोई भी पहचान पत्र/पेंशन भुगतान आदेश। सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र। पासपोर्ट, मान्यता प्राप्त बोर्ड अथवा विश्वविद्यालयों द्वारा जारी मैट्रिकुलेशन/ शैक्षणिक प्रमाण पत्र। सक्षम राज्य प्राधिकारी द्वारा जारी स्थायी निवास प्रमाण पत्र। वन अधिकार प्रमाण पत्र। सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी ओबीसी/एससी/ एसटी या कोई भी जाति प्रमाण पत्र। राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (जहां भी मौजूद हो) राज्य/स्थानीय प्राधिकारियों द्वारा तैयार किया गया परिवार रजिस्टर।
सरकार द्वारा कोई भी भूमि/मकान आवंटन प्रमाण पत्र आधार के लिए, आयोग के पत्र संख्या 23/2025- ईआरएस/खंड दिनांक 09.09.2025 द्वारा जारी निर्देश लागू होंगे।
चुनाव आयोग की इस घोषणा के बाद कांग्रेस ने इसका विरोध किया है और अपने एक्स हैंडल पर कहा, चुनाव आयोग अब 12 राज्यों में वोट चोरी का खेल खेलने जा रहा है। एसआईआर के नाम पर बिहार में 69 लाख वोट काटे गए। अब 12 राज्यों में करोड़ों वोट काटे जाएंगे। यह खुले तौर पर वोट चोरी है, जो नरेंद्र मोदी और चुनाव आयोग साथ मिलकर कर रहे हैं। बिहार में जब एसआईआर हुआ तो देश के सामने चुनाव आयोग की चोरी खुलकर सामने आ गई। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर चुनाव आयोग को फटकार भी लगाई थी।
कांग्रेस ने कहा, देश भर में वोट चोरी के अलग-अलग मामले और तरीके सामने आ रहे हैं। कहीं साजिशन वोट जोड़े जा रहे, तो कहीं काटे जा रहे हैं। कहां तक इन मामलों पर चुनाव आयोग को जवाब देना चाहिए था। इनकी जांच करनी चाहिए थी, इसके उलट चुनाव आयोग वोट चोरी के खेल में ही लग गया। 12 राज्यों में होने वाला एसआईआर लोकतंत्र के खिलाफ एक साजिश है। जनता के अधिकारों को छीनने का षड्यंत्र है। 12 राज्यों में एसआईआर की घोषणा के बाद देश के 3 राज्य अभी से इसके खिलाफ दिख रहे हैं। इन राज्यों में पश्चिम बंगाल, तमिनलाडु और केरल हैं, जिनमें इंडी गठबंधन के सहयोगी दलों की सरकार है। पश्चिम बंगाल में टीएमसी की सरकार है। टीएमसी ने कहा है कि आगामी 2 नवंबर को कोलकाता में एसआईआर के विरोध में विशाल रैली होगी। तमिलनाडु में
सीएम स्टालिन ने एसआईआर को साजिशों का जाल कहा है। केरल में भी एसआईआर को लेकर विरोध है।
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)



