नई शिक्षा नीति में स्वाभिमान व स्वावलम्बन

(डॉ. दिलीप अग्निहोत्री-हिफी फीचर)
देश में नई शिक्षा नीति को प्रभावी रूप में क्रियान्वित किया जा रहा है। नरेंद्र मोदी सरकार ने तीन वर्ष पूर्व इसको लागू किया था। पिछली शिक्षा प्रणाली की विसंगतियों को दूर किया गया। ज्ञान के साथ राष्ट्रीय संस्कृति स्वाभिमान और स्वावलंबन के तत्व समाहित किए गए। शिक्षा समागम के माध्यम से इसी प्रकार के संदेश दिए गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका शुभारंभ किया। उन्होंने पीएम श्री योजना की पहली किस्त जारी की।
योजना का मुख्य उद्देश्य भारत के 14,500 पुराने स्कूलों का अपग्रेडेशन करके स्मार्ट और आधुनिक विद्यालय में बदलना है, ताकि इन स्कूलों को नया स्वरुप प्रदान कर बच्चों को स्मार्ट शिक्षा से जोड़ा जा सके। योजना के तहत अपग्रेड किए गए पीएम श्री स्कूलों में नेशनल एजुकेशन पॉलिसी की झलक दिखाई देगी। ये सभी अनुकरणीय स्कूल की तरह काम करेगा। पीएम श्री स्कूल को ग्रीन स्कूल के रूप में विकसित किया जाएगा, जिसमें सौर पैनल और एलइडी लाइट, अपशिष्ट प्रबंधन, प्लास्टिक मुक्त, जल संरक्षण से संबंधित परम्पराओं को शामिल किया जाएगा। आधुनिक युग में तकनीक व भौतिक सुविधाओं का खूब विकास हुआ लेकिन विकास की इस दौड़ में सामाजिक व मानवीय संवेदनाओं का महत्व कम हुआ है। उपभोगवादी सभ्यता ने अनेक प्रकार की अन्य समस्याओं को भी जन्म दिया है। प्रकृति व पर्यावरण संबन्धी संकट भी बढ़ रहा है। ऐसे में संतुलित विकास पर ध्यान देना अपरिहार्य हो गया है। यह कार्य पाश्चात्य सभ्यता के माध्यम से नहीं हो सकता। उन्हें तो अपनी समस्याओं का समाधान दिखाई नहीं दे रहा है, क्योंकि उनका चिंतन इसके अनुरूप नहीं है जबकि भारत के प्राचीन ऋषियों मनीषियों का चिंतन शाश्वत है। यह आज भी प्रासंगिक है।
नरेंद्र मोदी सरकार ने भारतीय परिवेश के अनुरूप नई शिक्षा नीति बनाई है। उस पर अमल चल रहा है। इसमें सांस्कृतिक चेतना के साथ आधुनिक विकास को महत्व दिया गया। नरेंद्र मोदी का मानना है कि भारत की यह नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति राष्ट्र निर्माण के महायज्ञ में बड़ा योगदान देगी। बहुविषयक शिक्षा और अनुसंधान विश्वविद्यालय देश के युवाओं के लिए नए अवसर का सृजन करेंगे। यह अंतर अनुशासनात्मक अनुसंधान को बढ़ावा देने के साथ भारत को अनुसंधान एवं विकास का वैश्विक हब बनाने में सहायक होगी। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली के लिए एक नई कल्पना का सूत्रपात किया है। यह एक आत्मनिर्भर भारत के निर्माण से जुड़ी दृष्टि को रेखांकित करने वाली है।
मात्र एक वर्ष में देश के बारह सौ से ज्यादा उच्च शिक्षण संस्थानों ने स्किल इंडिया से जुड़े कोर्सों की शुरुआत की है। अनेक भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई संभव होगी। इंजीनियरिंग के कोर्स का इन भाषाओं में अनुवाद शुरू हो चुका है। मातृभाषा में पढ़ाई से गरीबों के बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ेगा। प्रारंभिक शिक्षा में भी मातृभाषा को प्रमोट करने का काम शुरू हो गया है। शिक्षा में भाषा सभ्यता संस्कृति सामाजिक मूल्यों को समुचित स्थान मिल रहा है। ऐसी शिक्षा नीति ही राष्ट्रीय स्वाभिमान का जागरण करती है। अंग्रेजों द्वारा भारत में शुरू की गई शिक्षा राष्ट्रीय स्वाभिमान को हीनता में बदलने वाली थी। शिक्षा केवल बाबू बनाने के लिए होगी,तो उससे व्यक्ति समाज और राष्ट्र का अपेक्षित लाभ नहीं हो सकता। मानवीय दृष्टिकोण का भाव भी होना चाहिए। भारत में तो जीवन का अंतिम लक्ष्य मोक्ष बताया गया। उसी के अनुरूप सभी कार्यों का संदेश दिया गया। आधुनिक युग में होने वाले सकारात्मक बदलाव को स्वीकार करना अनुचित नहीं लेकिन यह सब अपनी महान विरासत के प्रतिकूल नहीं होना चाहिए। वर्तमान सरकार ने सही दिशा में कदम उठाया। नई शिक्षा नीति बनाई। स्कूली पाठ्îक्रम को व्यावहारिक बनाया गया। बुनियादी योग्यता को महत्व मिलेगा। क्लास छह से व्यावसायिक शिक्षा प्रारंभ हो जाएगी। पांचवीं कक्षा तक मातृभाषा-क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई होगी। उच्च शिक्षा में अवसर बढ़ेंगे। इसके पाठ्यक्रम में विषयों की विविधता होगी। ट्रांसफर ऑफ क्रेडिट की सुविधा के लिए अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट की स्थापना हो रही है। संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना की जाएगी। नई शिक्षा नीति स्कूली और उच्च शिक्षा दोनों में बहुभाषावाद को बढ़ावा देती है। पाली,फारसी और प्राकृत के लिए राष्ट्रीय संस्थान, भारतीय अनुवाद और व्याख्या संस्थान की स्थापना की जाएगी। अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट और विद्या प्रवेश सहित नए शैक्षणिक कार्यक्रमों की शुरुआत हुई है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अथवा कृत्रिम बुद्धिमत्ता के कार्यक्रम युवाओं को भविष्योन्मुखी बनाएंगे। पूर्ण आजादी का मूल स्वरूप आत्मनिर्भरता है। इसमें युवाओं का महत्व सर्वाधिक है। यह टेक्नोलॉजी की सदी है। इसके
माध्यम से आपदा प्रबन्धन की चुनौतियों का सामना किया जा रहा है। देश में आर्टिफिशियल इण्टेलिजेंस, ऊर्जा और क्लाइमेट सॉल्यूशन, हाइटेक इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में असीम सम्भावनाएं हैं। विगत नौ वर्षों में स्टार्टअप इण्डिया, स्टैण्डअप इण्डिया, अटल इनोवेशन मिशन, प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप जैसे अन्य कार्यक्रमों ने देश के युवाओं के लिए नये रास्ते बनाये हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति द्वारा नयी पीढ़ी को बेहतर भविष्य देने की शुरुआत हो रही है। ईज ऑफ डुइंग बिजनेस में सुधार हुआ है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप हब बनकर उभरा है। भारत दुनिया के कई विकसित देशों को पीछे छोड़कर तीसरा सबसे बड़ा यूनिकॉर्न देश बन गया है। इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी वस्तुतः इंस्टीट्यूट ऑफ इण्डीजेनस टेक्नोलॉजी के रूप में है। स्टार्टअप नीति में सूचना प्रौद्योगिकी के साथ गैर सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्रों को भी सम्मिलित किया गया है। आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए देश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की गयी है।
6 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान पर फोकस होगा। इसके लिए नेशनल मिशन बनेगा। पूरा फोकस होगा कक्षा 3 तक के बच्चों का फाउंडेशन मजबूत बनेगा। कक्षा 5 तक तक आते-आते बच्चे को भाषा और गणित के साथ उसके स्घ्तर का सामान्य ज्ञान होगा। डिस्कवरी और इंटरेक्टिवनेस इसका आधार होगा यानी खेल-खेल में सारा सिखाया जाएगा। कक्षा 6-8 तक के लिए मल्टी डिसीप्लीनरी कोर्स होंगे। एक्टिविटीज के जरिये पढ़ाएंगे। कक्षा 6 के बच्चों को कोडिंग सिखाएंगे। 8वीं तक के बच्चों को प्रयोग के आधार पर सिखाया जाएगा। कक्षा 9 से 12 तक के बच्चों के लिए मल्टी-डिसीप्लीनरी कोर्स होंगे। यदि बच्चे की रुचि
संगीत में है, तो वह साइंस के साथ म्यूजिक ले सकेगा। केमेस्ट्री के साथ बेकरी, कुकिंग भी कर सकेगा।कक्षा 9-12 में प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग पर जोर होगा। इससे जब बच्चा 12वीं पास करके निकलेगा, तो उसके
पास एक स्किल ऐसा होगा, जो आगे चलकर आजीविका के रूप में काम आ सकता है। (हिफी)