लेखक की कलम

सीनियर की सुप्रीम से गुजारिश

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी और पूर्व केंद्रीय मंत्री कर्ण सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई से एक मामले में पुनर्विचार करने और सुप्रीम कोर्ट के ही फैसले को वापस लेने की मांग की है। यह मामला साल 2021 में उत्तराखंड में चार धाम प्रोजेक्ट के तहत सड़क चैड़ीकरण से जुड़ा है। 14 दिसंबर, 2021 को जस्टिस डी.वाई. चंद्रूचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने केंद्र सरकार की उस योजना को मंजूरी दे दी थी, जिसमें ऋषिकेश-माणा, ऋषिकेश-गंगोत्री और टनकपुर-पिथौरागढ़ के नेशनल हाईवे को 12 मीटर चैड़ा किए जाने का प्रस्ताव था। सुप्रीम कोर्ट ने इस परियोजना के लिए जस्टिस ए. के . सीकरी की अध्यक्षता में एक कमेटी भी बनाई थी। चारधाम परियोजना में हिमालय में लगभग 825 किलोमीटर की सड़कों को चैड़ा किया जाना है। केंद्र ने पूरी परियोजना को 53 पैकेजों में बांटा था। 11 जून, 2025 को जारी सरकारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, 629 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका है। इस बाइपास के लिए लगभग 3,000 पेड़ों को काटा जाएगा और इससे 17 हेक्टेयर जंगल खत्म हो जाएगा। इसी घाटी में सड़क चैड़ी करने के लिए देवदार के 6,000 पेड़ों को काटे जाने का प्रस्ताव है। यहां हाल ही में हुए हिमस्खलन में सैकड़ों लोगों दफन हो गए। इसी तरह प्रकृति के साथ अत्याचार हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर में भी किया गया जिसका कुपरिणाम पिछले महीनों में वहां की जनता ने झेला है। वैष्णव देवी मंदिर की यात्रा भी रोकनी पड़ी। लैंड स्लाइड से पूरे कर पूरे गांव बह गये।
इसी आपदा के मद्देनजर भाजपा नेता डा. मुरली मनोहर जोशी और कश्मीर के राजा कर्ण सिंह ने सीजेआई बीआर गवई को पत्र लिखा है। दोनों नेताओं का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद हिमालय के इलाके में बड़े पैमाने पर भूस्खलन की घटनाएं हो रही हैं। जोशी और कर्ण सिंह के इस पत्र का 57 नामी-गिरामी शख्सियतों ने समर्थन किया है। इनमें इतिहासकार और पद्मश्री विजेता शेखर पाठक, पद्मभूषण से सम्मानित लेखक रामचंद्र गुहा, आरएसएस के पूर्व विचारक केएन गोविंदाचार्य जैसे बड़े नाम शामिल हैं। इसके अलावा शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों, वर्तमान और पूर्व सांसदों और उत्तराखंड के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी पत्र में की गई अपील का समर्थन किया है। मुरली मनोहर जोशी और कर्ण सिंह ने कहा है कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के 2020 के उस सर्कुलर को रद्द किया जाना चाहिए, जिसमें सड़कों के चैड़ीकरण की अनुमति दी गई थी। जोशी और सिंह का कहना है कि इस प्रोजेक्ट के तहत सड़क की चैड़ाई 12 मीटर करने के बजाय 5.5 मीटर की जानी चाहिए।मुरली मनोहर जोशी और कर्ण सिंह ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2020 के अपने फैसले में कम चैड़ाई की बात का समर्थन किया था लेकिन 2021 में इसे बदल दिया गया। बेहद अनुभवी इन नेताओं की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट का 2021 का फैसला हिमालयी भूभाग के लिए बेहद खतरनाक साबित हुआ है। पत्र में अपील की गई है कि उत्तरकाशी-गंगोत्री मार्ग पर स्थित भगीरथी ईको-सेंसिटिव जोन को 12 मीटर चैड़ा न किया जाए। यहां पर एक बाइपास मार्ग को भी सिफारिश के खिलाफ जाकर मंजूरी दे दी गई है।
यह सच है कि उत्तराखंड की चारधाम यात्रा एक पवित्र हिंदू तीर्थयात्रा मानी जाती है जो गढ़वाल क्षेत्र के चार दिव्य स्थलों- यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की परिक्रमा करती है। यह यात्रा यमुनोत्री से शुरू होकर गंगोत्री, फिर केदारनाथ और अंत में बद्रीनाथ धाम तक जाती है। यात्रा अप्रैल-मई में अक्षय तृतीया के आसपास शुरू होती है और दिवाली के बाद बंद हो जाती है। यमुनोत्री यमुना नदी का उद्गम स्थल है और गंगोत्री गंगा नदी का उद्गम स्थल। केदारनाथ भगवान शिव का प्रसिद्ध मंदिर है जबकि बद्रीनाथ भगवान विष्णु का मंदिर है। यात्रा का क्रम और विशेषताएं ये हैं कि यह यात्रा यमुनोत्री धाम से शुरू होती है, जहां यमुना नदी के दर्शन होते हैं । यह उत्तराखंड सरकार द्वारा सुनियोजित और हाईटेक तरीके से आयोजित एक महत्वपूर्ण पर्यटन मॉडल के रूप में उभरी है। पहले श्रद्धालु पैदल जाते थे। श्रद्धा ज्यादा रहती थी। जय मातादी कहते हुए कदम बढ़ाते थे। अब यात्रियों के लिए तीर्थयात्रा के दौरान आवास, भोजन और अन्य आवश्यक व्यवस्थाएं की जाती हैं। चारधाम यात्रा मार्गों पर तीर्थयात्रियों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं, सड़क मार्ग और तकनीकी समाधान उपलब्ध कराए जाते हैं। उत्तराखंड में मौसम के सुधरते ही चार धाम यात्रा ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया । साल 2025 में 30 अप्रैल को गंगोत्री-यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ शुरू हुई यह पवित्र यात्रा अब 45 लाख श्रद्धालुओं को पार कर चुकी है। खराब मौसम, लगातार बारिश और 5 अगस्त की धराली आपदा के कारण यात्रा कई बार ठप हो गई थी, लेकिन अब राहत मिलने पर दैनिक दर्शन 13 हजार से अधिक हो गए हैं। हेमकुंड साहिब में भी सिख श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब देखा जा रहा है। पर्यटन विभाग ने पंजीकरण को अनिवार्य कर रखा है। रज्जुमार्ग और हेलीकॉप्टर तक की सेवा उपलब्ध है। कम्पन से पहाड कमजोर हो गये। भारी वारिश रोकने की क्षमता नहीं रह गयी है।
इस बार चार धाम यात्रा का आगाज 30 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने से हुआ था और 2 मई को केदारनाथ और 4 मई को बद्रीनाथ धाम के द्वार श्रद्धालुओं के लिए खुले। शुरू में यात्रा सुचारू चली। जून-जुलाई में भारी बारिश और भूस्खलन ने रुकावटें पैदा कीं। इसी बीच 5 अगस्त को धराली की भयंकर आपदा ने गंगोत्री-यमुनोत्री मार्ग को पूरी तरह बंद कर दिया। हजारों यात्री फंस गए। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर प्रशासन ने तत्काल राहत कार्य शुरू किए। सड़कों की मरम्मत और वैकल्पिक मार्गों से यात्रा पटरी पर लौटी। पर्यटन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, चार धाम यात्रा 2025 में अब तक कुल 45 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंच चुके हैं जो धामवार निम्न प्रकार है- केदारनाथ धाम में 15,73,796 श्रद्धालु, बद्रीनाथ धाम में 13, 93,317 श्रद्धालु, गंगोत्री में 6,95,113 और यमुनोत्री में 5,99,507 श्रद्धालुओं ने दर्शन किये। इसके साथ ही हेमकुंड साहिब में 2,63,873 बन्दों ने वाहे गुरु को सिर नवाया।
विचारणीय यह है कि आस्था के साथ प्रकृति का संरक्षण भी होता रहे। डा. मुरली मनोहर जोशी और डा. कर्ण सिंह की भी यही भावना है। (हिफी)

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