एमपी में शाह ने संभाली कमान

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
पार्टी के असंतुष्ट नेताओं को मनाने की कवायद शुरू भी हो गयी है और इसमंे सबसे बड़ी भूमिका निभा रहे हैं केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र ंिसह तोमर। भाजपा नेतृत्व ने नरेन्द्र सिंह तोमर को मध्य प्रदेश मंे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है। उन्हंे चुनाव प्रबन्धन का संयोजक बनाया गया है। अमित शाह के निर्देश के बाद नरेन्द्र सिंह तोमर ने मैराथन बैठकें भी शुरू कर दीं। उन्होंने 3 दिन में 50 विधानसभाओं के नाराज लोगों की शिकायत दूर करने मंे सफलता भी पाई है। तोमर ने नाराज नेताओं को बुलाया उनसे चर्चा की और चुनाव के मद्देनजर नई जिम्मेदारियां सौंपी। इससे वे खुश हो गये।
कर्नाटक का अनुभव भाजपा को कचोटता है। इसीलिए पांच राज्यों मंे इसी साल के अंत तक होने वाले विधानसभा चुनाव मंे पार्टी के दिग्गज स्वयं कमान संभाल रहे हैं। मध्य प्रदेश मंे केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ताबड़तोड़ दौरा करके कैलाश विजयवर्गीय और नरेन्द्र सिंह तोमर को अलग-अलग संभागों का दायित्व सौंप रहे हैं। भाजपा को पता है कि कांग्रेस की अन्तर्कलह के चलते ही उसे इस बार सरकार चलाने का अवसर मिला क्योंकि 2018 के विधानसभा चुनाव में राज्य विधानसभा की कुल 230 सीटों में से भाजपा को सिर्फ 109 सीटें मिल पायी थीं जबकि भाजपा का वोट प्रतिशत 41 फीसद था। दूसरी तरफ 40.9 प्रतिशत वोट पाने वाली कांग्रेस को 114 विधायक मिल गये थे। इसलिए अमित शाह इस प्रकार की किलेबंदी कर रहे हैं जिससे वोट प्रतिशत भी बढ़े और विधायक भी ज्यादा मिलें। अमित शाह चाहते हैं कि भाजपा 51 फीसद वोट हासिल करे। पिछली बार केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने प्रमुख नेताओं के साथ बैठक में सवाल उठाया था कि पार्टी के कार्यकर्ता सरकार और संगठन से नाराज क्यों हैं? शाह ने कहा था कि आप लोग जाकर नाराज कार्यकर्ताओं को मनाएं। इसके लिए कैलाश विजय वर्गीय, नरेन्द्र सिंह तोमर और उमा भारती को अलग-अलग क्षेत्रों की जिम्मेदारी सौंपी गयी है।
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले असंतुष्ट कार्यकर्ताओं और नेताओं को मनाने के कार्य को अमित शाह ने प्राथमिकता दी है क्योंकि अगर नाराजगी बनी रही तो पार्टी पूरी ताकत से चुनाव लड़ ही नहीं पाएगी। पार्टी के असंतुष्ट नेताओं को मनाने की कवायद शुरू भी हो गयी है और इसमंे सबसे बड़ी भूमिका निभा रहे हैं केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र ंिसह तोमर। भाजपा नेतृत्व ने नरेन्द्र सिंह तोमर को मध्य प्रदेश मंे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है। उन्हंे चुनाव प्रबन्धन का संयोजक बनाया गया है। अमित शाह के निर्देश के बाद नरेन्द्र सिंह तोमर ने मैराथन बैठकें भी शुरू कर दीं। उन्होंने 3 दिन में 50 विधानसभाओं के नाराज लोगों की शिकायत दूर करने मंे सफलता भी पाई है। तोमर ने नाराज नेताओं को बुलाया उनसे चर्चा की और चुनाव के मद्देनजर नई जिम्मेदारियां सौंपी। इससे वे खुश हो गये।
माना जाता है कि मध्य प्रदेश मंे भाजपा के नाराज नेताओं की संख्या कहीं ज्यादा है। इनमें वरिष्ठ नेताओं से लेकर कार्यकर्ता तक शािमल हैं। दूसरे शब्दों मंे कहंें तो कई पूर्व विधायक, पूर्व सांसद, जिलाध्यक्ष और अन्य पदाधिकारी सरकार और संगठन से नाराज हैं। उनकी नाराजगी की खबर अमित शाह तक पहुंच भी गयी थी। केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर को अमित शाह ने ग्वालियर-चम्बल, बुंदेलखंड, विंध्य संभाग, मालव, निमाड अर्थात् महाकौशल क्षेत्र मंे नाराज लोगों को मनाने का दायित्व सौंपा है।
भाजपा हाईकमान ने इस बार मध्य प्रदेश मंे विधानसभा चुनाव की कमान केन्द्रीय नेतृत्व को सौंपी है। हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान को भी भरपूर महत्व दिया जा रहा है लेकिन भूपेन्द्र यादव को प्रदेश चुनाव प्रभारी और अश्विनी बैष्णव को सहप्रभारी बनाकर नरेन्द्र सिंह तोमर को चुनाव प्रबंधन समिति का संयोजक इसीलिए बनाया गया है। चुनाव प्रभारी और सह प्रभारी प्रत्येक गतिविधि की रिपोर्ट केन्द्र को देते रहेंगे।
सत्तारूढ़ बीजेपी में कांग्रेस का आक्रामक रुख भी फिक्र का सबब है। कुछ दिनों पहले राहुल गांधी ने दिल्ली में दावा किया कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस 150 सीटें जीतेगी। कांग्रेस ने 2018 के चुनाव में 230 में से 114 सीटें जीती थीं, जबकि बीजेपी 109 सीटें जीतकर बहुमत से 7 सीट पीछे रह गई थी। ऐसे में 66 सीटें कांग्रेस के लिये अभेद्य बन गई हैं जिनपर पिछले 5 चुनावों से उसे शिकस्त मिली है। उपचुनावों के परिणाम ने कांग्रेस को और कमजोर कर दिया जिससे विधानसभा में बीजेपी की सीटें बढ़कर 127 हो गईं और कांग्रेस की 96 विधायक रह गए। जानकार कहते हैं कि मध्यप्रदेश में 230 सीटों में बीजेपी और कांग्रेस दोनों के पास 80-80 सीटों का बेस है, ऐसे में बहुमत के 116 सीटों के लिये जादुई आंकड़े को हासिल करना 36 सीटों पर निर्भर है। शिवराज सिंह चैथी दफे मुख्यमंत्री बने है।
गृहमंत्री अमित शाह का 15 दिनों में दूसरा भोपाल दौरा है। वो सत्ता-संगठन के लोगों से मिले 4 घंटे तक मैराथन बैठक हुई पिछले दौरे में जो काम दिये थे उसकी समीक्षा हुई माना जा रहा है कि महीने के आखिर में वो एक बार फिर मध्यप्रदेश आ सकते हैं लेकिन इस बार यात्रा मालवा की होगी। बताया गया कि इस बार अमित शाह ने कोर कमेटी के सदस्यों से अलग-अलग बात की, मालवा-निमाड़ की सीटों पर कैलाश विजयवर्गीय, ग्वालियर-चम्बल की सीटों पर नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया, वहीं विंध्य- बुंदेलखंड-महाकौशल की सीटों पर प्रह्लाद पटेल से बात हुई है। चुनाव प्रबंधन के लिये बनने वाली 14 समितियों के नामों पर मुहर लग लग गई। भूपेन्द्र यादव और नरेन्द्र तोमर ने नाम रखे जिन्हें थोड़े संशोधन के बाद हरी झंडी दिखा दी गई। विजय संकल्प यात्रा का रूट और तारीख भी तय हो गई, यात्रा 15 अगस्त से शुरू हो सकती है। चुनाव में 51 फीसद वोट हासिल करने का लक्ष्य दिया गया। कमजोर सीटों पर लगातार बड़े नेताओं के दौरे पर जोर देने को कहा गया। बताते हैं देर रात इंदौर पहुंचने के बाद मालवा दौरे की तैयारियों के लिये बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने बैठक ली। बैठक के बाद कहा मैं रात को 2 बजे इंदौर आया, मैंने गृहमंत्री से इजाजत ली और कहा कि मैं इंदौर निकल जाऊं। आपको विदा नहीं कर पाऊंगा। थोड़ा काम कर लूंगा। ये बयान बीजेपी की तैयारियों की एक बानगी है। दरअसल पिछली मुलाकात में अमित शाह ने पूछा था कि कार्यकर्ता सत्ता-संगठन से खफा क्यों है, इस बार भी नेताओं से दो टूक कह दिया गया, नाराज कार्यकर्ताओं को मनाओ, उनतक पहुंचो, एकजुट लड़ने पर ही जीत मिलेगी। सूत्रों के मुताबिक इन नाराज नेताओं को साधने का जिम्मा खुद मुख्यमंत्री,कैलाश विजयवर्गीय और उमा भारती जैसे नेताओं को दिया गया है।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने कटनी जिले को कई सौगातें दीं हैं। विकास पर्व के तहत मुख्यमंत्री ने यहां जनसभा में पान उमरिया को नगर पंचायत बनाने और बड़गांव को उप तहसील बनाने का ऐलान किया। स्थानीय लोगों की ये मांग काफी दिनों से लंबित थी। जनसभा में उन्होंने पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार पर भी जमकर निशाना साधा। कार्यक्रम के दौरान सीएम ने 313 करोड़ 23 लाख रूपये की लागत से क्षेत्र के विकास एवं निर्माण कार्य का भूमिपूजन भी किया। कटनी दौरे के दौरान ही सीएम ने हेलीपैड पर ही लाडली बहना सेना से मुलाकात की और इस योजना से जिन्हें लाभ पहुंचा उनसे चर्चा भी की। इसके बाद शिवराज सिंह ने रोड शो किया और एक कार्यकर्ता के घर जाकर चाय-नाश्ता भी किया। (हिफी)