मुनीर के सामने शहबाज शरीफ सरकार ने टेके घुटने

पाकिस्तान की सियासत और सैन्य प्रतिष्ठान के बीच चल रही लंबी रस्साकशी का अंत आखिरकार वही हुआ, जिसका अनुमान लगाया जा रहा था। शहबाज शरीफ सरकार ने घुटने टेक दिए हैं और जनरल आसिम मुनीर का ‘सुपर पावर’ बनने का सपना पूरा हो गया है। पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने उस ऐतिहासिक फाइल पर अपनी मुहर लगा दी है, जिसने पाकिस्तान की सत्ता के समीकरण को हमेशा के लिए बदल दिया है। फील्ड मार्शल आसिम मुनीर अब न केवल सेना प्रमुख रहेंगे, बल्कि वे पाकिस्तान के पहले ‘चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेस’ (सीडीएफ) भी बन गए हैं। यह नियुक्ति साधारण नहीं है। यह पाकिस्तान में लोकतंत्र के ऊपर वर्दी की पकड़ को और भी मजबूत करने वाली एक ऐतिहासिक घटना है।
राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। राष्ट्रपति भवन से जारी एक आधिकारिक अधिसूचना के मुताबिक, राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री द्वारा प्रस्तुत समरी को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत फील्ड मार्शल सैयद आसिम मुनीर (निशान-ए-इम्तियाज, हिलाल-ए-जुरात) को अगले पांच वर्षों के लिए चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ के साथ-साथ चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेस के रूप में नियुक्त किया गया है।
यह फैसला पाकिस्तान के संविधान में किए गए 27वें संशोधन के बाद लिया गया है। इस संशोधन ने देश की सेना के ढांचे में एक बड़ा बदलाव किया है, जिसके तहत अब सेना प्रमुख को ही सभी सशस्त्र बलों (थल, जल और वायु) के एकीकृत नेतृत्व की जिम्मेदारी सौंप दी गई है। आसिम मुनीर पाकिस्तान के इतिहास में ऐसे पहले सैन्य अधिकारी बन गए हैं, जो एक साथ सीओएएस और सीडीएफ दोनों पदों को संभालेंगे। इसका सीधा मतलब है कि पाकिस्तान की रक्षा प्रणाली की पूरी कमान अब एक ही व्यक्ति के हाथ में केंद्रित हो गई है।



