शिन्दे और उद्धव का शक्ति प्रदर्शन

महाराष्ट्र में शिवसेना के दोनों गुटों ने 19 जून को पार्टी के 58वें स्थापना दिवस के अवसर पर दो कार्यक्रम आयोजित किये। शिवसेना का इस साल का स्थापना दिवस इसलिए भी महत्वपूर्ण रहा क्योंकि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना यूबीटी के द्वारा शक्ति प्रदर्शन करने की संभावना थी। महाराष्ट्र में इसी साल विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं। इस मौके पर उद्धव ठाकरे ने सभी नवनिर्वाचित सांसदों का अभिवादन कर विधानसभा चुनाव का शंखनाद किया। मुंबई के षणमुखानंद हॉल में शाम 6 बजे शिवसेना(यूबीटी) द्वारा भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर उद्धव ठाकरे ने शिवसेना कार्यकर्ताओं को संबोधित भी किया। इससे एक दिन पहले उद्धव ठाकरे ने अपने बेटे और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे के साथ दादर में मेयर के बंगले में सेना संस्थापक के स्मारक स्थल का दौरा किया। उन्होंने कहा कि वह अगले साल 23 जनवरी को अपने पिता की जयंती पर स्मारक को जनता के लिए खोलना चाहते हैं। वहीं, शिवसेना शिंदे गुट का मुंबई के वर्ली में कार्यक्रम हुआ। सीएम एकनाथ शिंदे ने भी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। शिंदे गुट की शिव सेना की प्रवक्ता मनीषा कायंदे ने कहा कि हमारी पार्टी ने हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया, जिसका मतलब है कि हमारा मतदाता आधार बरकरार है और लोग हमारे पक्ष में हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे गुट को 48 में सिर्फ 7 सीटों पर जीत हासिल हुई। लोकसभा चुनाव में सबसे खराब प्रदर्शन महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार गुट की पार्टी एनसीपी का रहा। एनसीपी ने चार सीटों पर चुनाव लड़ा और महज एक सीट पर जीत हासिल की। कांग्रेस ने राज्य की 17 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा और 13 सीटों पर जीत हासिल की। वहीं, शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (एसपी) ने 10 सीटों पर चुनाव लड़ा और आठ सीटें जीतने में कामयाबी हासिल की।
मुंबई में 19 जून 1966 को उद्धव ठाकरे के पिता बाला साहेब ठाकरे ने शिवसेना का गठन किया था। साल 2022 में एकनाथ शिंदे द्वारा कई विधायकों के साथ बगावत के साथ शिवसेना दो गुटों में बंट गई। शिवसेना ने कई बेरोजगार मराठी युवाओं को आकर्षित किया जो ठाकरे की प्रवासी-विरोधी वक्तृत्व कला से आकर्षित थे। शिवसेना की मुख्य विचारधारा हिंदुत्व की रही है। शिवसेना फाउंडेशन डे पर शिंदे गुट के नेता संजय शिरसाट ने महाविकास अघाड़ी के नेताओं पर तीखा हमला बोला। शिरसाट ने कहा, आज शिवसेना फाउंडेशन डे है। उसकी असली झलक वर्ली डोम में दिखाई पड़ी है। शिरसाट ने कहा, षणमुखानंद हॉल में तो एमवीए का फाउंडेशन डे मनाया गया जहां शरद पवार और राहुल गांधी के गुण गए गये। शिरसाट ने कहा जिन लोगों को बालासाहेब ठाकरे गाली देते थे ये उनके साथ हैं और उनकी तरफदारी करते हैं. वो क्या फाउंडेशन डे मनाएंगे।
शिरसाट ने महाराष्ट्र में जारी सियासी हलचल पर भी बड़ा बयान दिया। राज्य में भुजबल को लेकर चर्चा है कि वो शिवसेना में जा सकते हैं। इस पर उन्होंने कहा, भुजबल कहीं नही जाने वाले हैं और उन्होंने अपनी भूमिका स्पष्ट कर दी है वे अजित पवार के साथ हैं।
लोकसभा चुनाव में एमवीए के तहत आने वाली उद्धव गुट की शिवसेना का स्ट्राइक रेट सबसे कम रहा। शिवसेना यूबीटी 21 में से केवल 9 सीटें जीत सकी, जबकि कांग्रेस ने 17 में से 13 पर जीत हासिल की। महाराष्ट्र में सीएम पद को लेकर संजय राउत ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि महाविकास अघाड़ी विधानसभा चुनाव के बाद इस पर फैसला लेगी। उनसे सवाल पूछा गया कि अगर महाराष्ट्र में एमवीए की सरकार आती है तो क्या उद्धव ठाकरे उसका नेतृत्व करेंगे। महाराष्ट्र में अक्टूबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं। कांग्रेस ने राज्य की 17 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा और 13 सीटों पर जीत हासिल की। वहीं, शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने 10 सीटों पर चुनाव लड़ा और आठ सीटें जीतने में कामयाबी हासिल की। सांगली लोकसभा सीट से कांग्रेस नेता विशाल पाटिल ने निर्दलीय चुनाव जीता और बाद में ग्रैंड ओल्ड पार्टी को समर्थन दिया। महायुति में शामिल बीजेपी को 9 लोकसभा सीटों पर जीत मिली. तो वहीं, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे गुट को 7 सीटों पर जीत हासिल हुई। लोकसभा चुनाव में सबसे खराब प्रदर्शन महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार गुट की पार्टी एनसीपी का रहा। एनसीपी ने चार सीटों पर चुनाव लड़ा और महज एक सीट पर जीत हासिल कर सकी।
शिवसेना जिसका शाब्दिक अर्थ ‘शिवाजी की सेना’ है। यह भारत में एक दक्षिणपंथी मराठी क्षेत्रवादी और हिंदू अतिराष्ट्रवादी राजनीतिक पार्टी है जिसकी स्थापना 19 जून 1966 में बाल ठाकरे ने की थी। वर्तमान में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में, यह पार्टी 2019 से भारतीय राज्य महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ पार्टी है। शिवसेना का चुनाव चिन्ह धनुष और बाण है। यह अपने झंडे में भगवा रंग और दहाड़ते हुए बाघ की छवि का उपयोग करता है।
शुरुआत में गैर-राजनीतिक, संगठन को तत्कालीन मुख्यमंत्री वसंतराव नाइक का संरक्षण प्राप्त था, जिन्होंने इसका इस्तेमाल ट्रेड यूनियनों पर अंकुश लगाने और कांग्रेस पर पकड़ बनाए रखने के लिए किया था। संगठन ने उसी समय मुंबई में मराठी मूलनिवासी आंदोलन चलाया, जिसमें उसने भारत के अन्य हिस्सों से आए प्रवासियों की तुलना में मराठी लोगों को तरजीह देने के लिए आंदोलन किया। इसने बॉम्बे में रहने वाले दक्षिण भारतीय लोगों के खिलाफ एक मजबूत आंदोलन चलाया, जिसमें आरोप लगाया गया कि वे मराठी लोगों और उनकी संस्कृति का सम्मान नहीं करते हैं।
हालाँकि शिवसेना का प्राथमिक आधार हमेशा महाराष्ट्र में रहा, लेकिन इसने अखिल भारतीय आधार तक विस्तार करने की कोशिश की। 1970 के दशक में, यह धीरे-धीरे एक मराठी समर्थक विचारधारा की वकालत करने से एक व्यापक हिंदू राष्ट्रवादी एजेंडे का समर्थन करने के लिए आगे बढ़ा और खुद को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ जोड़ लिया। शिवसेना ने अपने पूरे अस्तित्व के लिए मुंबई (बीएमसी) नगरपालिका चुनावों में भाग लिया। 1989 में, इसने लोकसभा के साथ-साथ महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा के साथ गठबंधन किया। सीट बंटवारे के समायोजन के कारण 2014 के चुनावों में बाद में गठबंधन अस्थायी रूप से टूट गया था, हालांकि इसे जल्दी से सुधार लिया गया था। शिवसेना 1998 में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के संस्थापक सदस्यों में से एक थी।
2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद, सीएम पद को लेकर बीजेपी से मतभेद के बाद पार्टी ने गठबंधन छोड़ दिया। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में, शिवसेना ने अपने ऐतिहासिक प्रतिद्वंद्वियों, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन किया। लगभग ढाई साल तक महाआघाडी की सरकार चली लेकिन 2022 के महाराष्ट्र राजनीतिक संकट के बाद, पार्टी दो दलों में विभाजित हो गई। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और एकनाथ शिंदे ने मूल पार्टी पर नियंत्रण बनाए रखा। हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव में जनता ने एकनाथ शिंदे को नकार दिया है। जनता उद्धव ठाकरे की पार्टी को ही असली शिवसेना मानती हैं। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)