लेखक की कलम

शिन्दे का चुनावी तोहफा

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव का ऐलान हो गया है। एक ही चरण में 20 नवम्बर को मतदान होगा और 23 नवंबर को नतीजे घोषित हो जाएंगे। भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने गत 15 अक्टूबर को झारखंड और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव और देश भर में 43 सीटों पर उप चुनाव की तारीखों की घोषणा की थी। इससे पहले महाराष्ट्र में महायुति सरकार ने लाडली बहन योजना के लाभार्थियों को दिवाली तोहफा दिया है जो कि बोनस के तौर पर दिया जाएगा। आचार संहिता लगने से पहले ही महायुति सरकार ने कई दांव खेले हैं। शिंदे सरकार ने विभिन्न वर्गों को साधने की रणनीति अपनाई है, जिसमें लाडली बहिन योजना, टोल टैक्स मुफ्त करना, मदरसा शिक्षकों के वेतन में वृद्धि शामिल है। महायुति सरकार ने जुलाई महीने से राज्य में लाडली बहना योजना शुरू की है। इस योजना में महिलाओं के खाते में हर महीने 1500 रुपये जमा किये जाते हैं। इस योजना की पूरे राज्य में जमकर चर्चा होती दिख रही है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के ऐलान से पहले इस योजना को लेकर महायुति में शामिल तीनों दलों ने जोरदार प्रचार भी किया। अब खबर सामने आई है कि लाडली बहनों की दिवाली और भी मीठी होने वाली है। दरअसल यह एकनाथ शिंदे सरकार का चुनावी तोहफा है।
महायुति सरकार ने लाडली बहना योजना के तहत अक्टूबर महीने में पात्र लड़कियों और महिलाओं को अतिरिक्त बोनस देने का फैसला किया है। चूंकि दिवाली अक्टूबर के आखिरी हफ्ते में है और उससे पहले सभी लाभार्थी लड़कियों और महिलाओं को सरकार की ओर से 3000 रुपये का बोनस मिलेगा। यह राशि 1500 रुपये प्रति हर महीने से अलग से भुगतान की जाएगी। साथ ही कुछ महिलाओं को 2500 रुपये अतिरिक्त दिये जाएंगे। ऐसे में उनको कुल 55 सौ रुपये मिलेंगे। दीवाली पर माना जा रहा है कि लाडली बहनों को 5500 रुपये का बोनस मिलेगा। महाराष्ट्र सरकार ने लाडली बहन योजना जुलाई में शुरू की थी। इसमें लाभार्थी महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये मिलते हैं। ये रुपये उनके खाते में जमा होते हैं। इस योजना का लाभ तभी उठाया जा सकता है जब इस योजना के लिए पात्र होने के लिए कुछ शर्तें हों। इस योजना का लाभ उठाने के लिए आयु सीमा 21 से 60 वर्ष है। अब नए बदलाव के मुताबिक उम्र सीमा बढ़ाकर 65 साल कर दी गई है। इस योजना का लाभ केवल वही महिलाएं उठा सकती हैं जिनकी वार्षिक आय 2.50 लाख के अंदर है। विवाहित, तलाकशुदा और निराश्रित महिलाएं पात्र हैं लेकिन महिला आवेदक महाराष्ट्र की निवासी होनी चाहिए, यह मुख्य शर्त है। इस योजना का लाभ पाने के लिए आवश्यक दस्तावेज हैं- आधार कार्ड, पहचान व जन्म प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, आवेदक द्वारा वचन पत्र, बैंक पासबुक और आवेदक की तस्वीर। इस योजना से राज्य सरकार के खजाने पर 4600 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ गया है। इस योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन की तारीख तीन बार बढ़ाई जा चुकी है।
महाराष्ट्र में इस बार विधानसभा के लिए चुनावी मुकाबला दो गठबंधनों के बीच है, महायुति और महा विकास अघाड़ी अर्थात एमवीए। महाराष्ट्र में अभी महायुति की एकनाथ शिंदे सरकार है। महाराष्ट्र में लाडकी बहिण योजना को सरकार का सबसे बड़ा चुनावी दांव माना जा रहा है। शिंदे सरकार ने एक के बाद एक कैबिनेट में ताबड़तोड़ फैसले किए। इन फैसलों में सभी जातियों और धर्मों को जोड़ने का प्रयास किया गया।
मुंबई में आम लोगों से जुड़ा मुद्दा टोल टैक्स का है। शिंदे सरकार ने कार, जीप, वैन समेत हर एक छोटे वाहन के लिए टोल टैक्स फ्री कर दिया है। लाडकी बहिण योजना के जरिए हर महिला को साधने का प्रयास किया गया है। वहीं जिलों के नाम हिंदू नामों पर करके हिंदुओं को साधा है। शिंदे सरकार ने मुसलमानों को भी यह संदेश देने का प्रयास किया कि सरकार सबका साथ, सबका विकास की तर्ज पर काम कर रही है। इसके लिए अजित पवार की एनसीपी को साथ में लिया। मदरसों में पढ़ाने वाले शिक्षकों का वेतन 6 हजार से बढ़ाकर 16 हजार कर दिया गया है।
महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई में एंट्री के लिए सभी पांच टोल बूथ पर हल्के मोटर वाहनों के लिए टोल पूरी तरह से खत्म कर दिया है। टोल के रूप में 45 से 75 रुपये लिए जाते थे। यात्री पांच बूथ- दहीसर, एलबीएस रोड-मुलुंड, ईस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे-मुलुंड, एरोली क्रीक ब्रिज और वाशी पर टोल दिए बिना सफर कर सकेंगे। हल्के मोटर व्हीकल में कार (हैचबैक, सेडान और एसयूवी), जीप, वैन, ऑटो-रिक्शा, टैक्सी, डिलिवरी वैन और छोटे ट्रक शामिल हैं। छह लाख से अधिक गाड़ियां रोज मुंबई की सीमा पार करती हैं, जिनमें से 80 फीसदी हल्की मोटर गाड़ियां होती हैं। इसी प्रकार अल्पसंख्यकों को भी साधने का प्रयास किया गया है। मदरसों में पढ़ाने वाले शिक्षकों का वेतन बढ़ाने का प्रस्ताव पास किया गया। पहले मदरसा शिक्षकों को 6 हजार वेतन मिलता था, अब 16 हजार मिलेगा।
एकनाथ शिंदे सरकार ने चुनाव की घोषणा से पहले जो उल्लेखनीय फैसले किए हैं उनमें पुणे एयरपोर्ट का नाम जगद्गुरु संत तुकाराम महाराज पुणे इंटरनैशनल एयरपोर्ट करने के प्रस्ताव को मंजूरी देना भी शामिल है। इसी प्रकार महाराष्ट्र सरकार ने जैन समुदाय के लिए आर्थिक कल्याण निगम बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। महाराष्ट्र के ओलंपिक और पैरालंपिक पदक विजेता खिलाड़ियों के लिए पुरस्कार राशि में संशोधन किया गया है। ओबीसी में शामिल बारी, तेली, हिंदू खटीक, लोनारी जैसे समुदायों के लिए वित्तीय विकास निगम स्थापित करने का ऐलान किया गया है। बौद्ध समुदाय से संबंधित सांस्कृतिक और शैक्षणिक संस्थानों को 10 लाख रुपये तक का अनुदान दिया जाएगा। गावठाणों के बाहर आवासीय भवनों, व्यावसायिक और औद्योगिक उपयोग के भवनों आदि पर गैर-कृषि कर माफ करने का निर्णय भी शिंदे सरकार ने लिया है । गावठाण का अर्थ है, गांव के मध्य का क्षेत्र। इस क्षेत्र में गांव के लोगों के घर, दुकानें, मंदिर, स्कूल आदि हैं। कुनबी समुदाय की तीन उपजातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल करने के प्रस्ताव को मंजूरी देकर पिछड़े वर्ग को खुश करने का लक्ष्य साधा गया है। हिंदुत्व को उभारने के लिए महायुति सरकार ने गाय को राज्य माता घोषित किया है। गाय को राज्य माता का दर्जा देने वाला महाराष्ट्र देश का पहला राज्य बन गया है।
इसी क्रम में 104 आईटीआई का नाम बदलना, खिलाड़ियों के लिए पुरस्कार राशि में वृद्धि करना, कोंकण और पुणे संभागों को राज्य आपदा मोचन बल की एक-एक कंपनी आवंटित करना भी शामिल हैं। शिंदे सरकार ने भूजल जलाशय मछुआरों और समुद्री मछुआरों के लिए अलग-अलग कल्याण बोर्ड स्थापित करने का फैसला किया है। इन सभी फैसलों का कुछ न कुछ असर तो विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा। (हिफी)

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