
अंतरिक्ष यान ‘ड्रैगन’ के अंतरिक्ष प्रयोगशाला से जुड़ने के साथ ही बृहस्पतिवार को भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और तीन अन्य यात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पहुंच गए। अंतरिक्ष यान उस समय अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़ा, जब यह भारतीय समयानुसार अपराह्न 4:01 बजे उत्तरी अटलांटिक महासागर के ऊपर से गुजर रहा था। यह पहली बार है जब कोई भारतीय अंतरिक्ष यात्री आईएसएस की यात्रा पर गया है।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के एक लाइव वीडियो में अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष स्टेशन के पास आते हुए दिखाया गया और ‘डॉकिंग’ प्रक्रिया भारतीय समयानुसार शाम 4:15 बजे पूरी हुई। एक्सिओम-4 मिशन के अंतरिक्ष यात्री बुधवार को फ्लोरिडा के कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र से आईएसएस की यात्रा पर निकले थे।
यह पहली बार है जब कोई भारतीय अंतरिक्ष यात्री आईएसएस की यात्रा पर गया है। नासा के एक लाइव वीडियो में अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष स्टेशन के पास आते हुए दिखाया गया और ‘डॉकिंग’ प्रक्रिया भारतीय समयानुसार अपराह्न 4:15 बजे पूरी हुई।
अंतरिक्ष यान और आईएसएस के बीच संचार और ऊर्जा संपर्क स्थापित होने के साथ ही ‘डॉकिंग’ प्रक्रिया पूरी हो गई। अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन मिशन कमांडर हैं और शुक्ला एक्सिओम-4 मिशन के लिए मिशन पायलट हैं। इनके अलावा, हंगरी के अंतरिक्ष यात्री टिबोर कपू एवं पोलैंड के स्लावोज उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की एक्सिओम-4 मिशन का हिस्सा हैं। लखनऊ में जन्मे 39 वर्षीय शुक्ला अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरने वाले दूसरे भारतीय अंतरिक्ष यात्री बन गए हैं।
इससे 41 साल पहले भारत के राकेश शर्मा 1984 में तत्कालीन सोवियत संघ के सैल्यूट-7 अंतरिक्ष स्टेशन के तहत कक्षा में आठ दिन रहे थे। पोलैंड के इंजीनियर स्लावोज एक मिशन विशेषज्ञ और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के अंतरिक्ष यात्री हैं। वह अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले अपने देश के दूसरे व्यक्ति बन गए हैं। मैकेनिकल इंजीनियर और मिशन विशेषज्ञ टिबोर कपू अंतरिक्ष में जाने वाले हंगरी के दूसरे यात्री बन गए हैं। हंगरी का आखिरी अंतरिक्ष मिशन 45 साल पहले हुआ था। एक्सिओम-4 मिशन के अंतरिक्ष यात्री बुधवार को फ्लोरिडा के कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र से आईएसएस की यात्रा पर निकले थे।