सिद्धरमैया का धर्म संकट

देश-काल के अनुसार कदम उठाना ही बुद्धिमानी होता है। कांग्रेस लिए इस समय राजनीति में परिस्थितियों को देखकर ही आगे बढ़ने की जरूरत है। बिहार मंे जातिगत जनगणना का मामला नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले गठबंधन के लिए मुफीद साबित हुआ है। इसीलिए कांग्रेस ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ मंे अपने चुनाव घोषणा पत्र मंे जातिगत जनगणना का वादा किया। इस प्रकार मान लिया गया कि कांग्रेस का यह लाभप्रद मुद्दा है लेकिन कर्नाटक मंे कांगे्रस की ही सिद्धारमैया सरकार के लिए जातिगत जनगणना सियासी रूप से लाभप्रद नजर नहीं आ रही है। मुख्यमंत्री एस. सिद्धारमैया इसके चलते धर्मसंकट मंे फंस गये हैं। वह नहीं चाहते हैं कि लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक मंे जातीय जनणना की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए। ओबीसी आयोग ने सोशल एवं एजूकेशनल सर्वे रिपोर्ट लगभग तैयार कर ली है। इससे छनकर जो बात सामने आयी, उससे सिद्धारमैया चिंतित हैं। बताया जा रहा है कि रिपोर्ट के अनुसार राज्य में अनुसूचित जाति और मुसलमानों की आबादी लिंगायतों और वोकालिंगा से ज्यादा है। यह बात सार्वजनिक होने से कांग्रेस का वोट बैंक नाराज हो सकता है। भाजपा के राज्यसभा सदस्य लहर सिंह सिरोया ने पिछले दिनों इसी मामले को लेकर कांग्रेस पर हमला बोला है। दरअसल कर्नाटक में सिद्ध रमैया का दृष्टिकोण कांग्रेस हाईकमान से टकरा रहा है। कर्नाटक की ताकत ही तेलंगाना में कांग्रेस को चुनाव जिताने मंे लगायी गयी है।
कर्नाटक में जातिगत जगनणना को लेकर बीजेपी के राज्यसभा सांसद लहर सिंह सिरोया ने कांग्रेस पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस जातिगत जनगणना कराने के पक्ष में नहीं दिख रही है। ऐसे में क्या राज्य कांग्रेस के इस रुख को राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे के खिलाफ बगावत के तौर पर देखा जाना चाहिए? लहर सिंह ने राहुल गांधी पर भी निशाना साधा और उनको पार्टी के लिए पनौती बताया। लहर सिंह ने अपने बयान में कहा है कि कर्नाटक कांग्रेस में जाति जनगणना को लेकर स्थिति बेहद गंभीर है। और यह राहुल गांधी और खरगे जैसे बड़े नेताओं के खिलाफ खुली बगावत की तरह है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि कुछ समय पहले ही राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे, पीएम मोदी के प्रति अपने घोर विरोध की वजह से देश भर में घूम-घूमकर जाति जनगणना की मांग कर रहे थे। अगर राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे अपनी बातों को लेकर गंभीर हैं तो उन्हें कर्नाटक कांग्रेस के उन नेताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए ऐसे नेताओं को बर्खास्त कर देना चाहिए जो जातिगत जनगणना कराने के पक्ष में नहीं हैं और अगर राहुल गांधी ऐसा नहीं करते हैं तो ये साफ है कि वो देश को बेवकूफ बना रहे हैं। उन्हें जनगणना के आधार पर जातियों को नहीं दबाना चाहिए। लहर सिंह ने कर्नाटक में जातिगत जनगणना के आंकड़ों की रिपोर्ट को गायब करने का आरोप भी लगाया है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक कांग्रेस के सभी वोक्कालिंगा और लिंगायत नेता जातिगत जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक करने के विरोध में हैं। कर्नाटक सरकार में उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डी के शिवकुमार ने जातिगत जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक करने के विरोध में पत्र पर दस्तखत किए हैं। लहर सिंह ने कहा कि अगर राहुल गांधी और खरगे जातिगत जनगणना के बारे में गंभीर हैं तो उन्हें इन सभी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
गौरतलब है कि कर्नाटक में जातीय गणना की रिपोर्ट को मुख्यमंत्री सिद्धारमैय्या फिलहाल सार्वजनिक करने के मूड में नहीं दिख रहे हैं, कम से कम अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले तक। ओबीसी आयोग ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है। सोशल एंड एजुकेशनल सर्वे यानी कास्ट सेंसस रिपोर्ट लगभग तैयार है। कर्नाटक के ओबीसी आयोग के अध्यक्ष जय प्रकाश हेगड़े ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि इस रिपोर्ट में क्या है ये मैं आपको नहीं बता सकता हूं, सिर्फ इतना कहना चाहता कि मैं रिपोर्ट सौंप रहा हूं। इस रिपोर्ट के बारे में जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक अनुसूचित जाति और मुसलमानों की आबादी लिंगायतों और वोकलीग्गा से ज्यादा है यानी लिंगायतों और वोकलीग्गा के वर्चस्व को लेकर जो आम धारणा है, वो खत्म हो जाएगी। कहा जा रहा है कि कि इन्हीं दोनों जातियों की तरफ से दबाव की वजह से अब तक रिपोर्ट सार्वजनिक करने की हिम्मत कोई मुख्यमंत्री नहीं कर पा रहा है, लेकिन अब दबाव मुस्लिम और अनूसूचित जाति की तरफ से सरकार पर पड़ रहा है। इस रिपोर्ट को लेकर सीएम सिद्धारमैय्या ने कहा है कि मुझे यह रिपोर्ट नवंबर या दिसंबर में मिलेगी। और हम इसे फौरन जारी नहीं कर सकते हैं। यह रिपोर्ट कैबिनेट के पास जाएगी और फिर एक प्रक्रिया है, उसके तहत तय होगा कि इसे कब जारी करना है।
कर्नाटक कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है। कांग्रेस ने तेलंगाना चुनाव में कर्नाटक के 10 मंत्रियों और 48 वरिष्ठ नेताओं को चुनाव प्रबंधन के लिए भेजा है जिससे वह कर्नाटक में अपनी ताकतों का इस्तेमाल करते हुए तेलंगाना में जीत अनुकरण करना चाहती है। तेलंगाना में 30 नवंबर को मतदान होना है। कांग्रेस ने कर्नाटक के 10 मंत्रियों को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) समूह के प्रभारी के रूप में नियुक्त किया है जबकि दल के 48 अन्य नेताओं को तेलंगाना के विभिन्न जिलों के लिए एआईसीसी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किया गया है।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार तेलंगाना में चुनावी अभियान में अग्रिम पंक्ति से नेतृत्व कर रहे हैं। शिवकुमार केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख भी है। दोनों नेता इस समय चुनाव प्रचार के लिए तेलंगाना में हैं और कर्नाटक की तरह चुनावी राज्य में भी कांग्रेस को जीत दिलाने के लिए काम कर रहे हैं। कांग्रेस ने कर्नाटक के 10 मंत्रियों को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) समूह के प्रभारी के रूप में नियुक्त किया है जबकि दल के 48 अन्य नेताओं को तेलंगाना के विभिन्न जिलों के लिए एआईसीसी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किया गया है।
पिछले विधानसभा चुनाव में जनता दल-सेक्युलर (जेडीएस) के नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने पिछले चुनाव के समय आरोप लगाया था कि कांग्रेस ने मुस्लिम समुदाय को केवल वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया और उनके कल्याण के लिए कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि दोनों राष्ट्रीय दल अपने राजनीतिक लाभ के लिए युवाओं का फायदा उठा रहे हैं। कुमारस्वामी ने कहा कि भाजपा सरकार ने चुनावों के मद्देनजर बिल्लवा समुदाय के वोटों को ध्यान में रखते हुए ‘बिल्लवा विकास निगम’ गठित करने की घोषणा की है। उन्होंने उम्मीद जताई कि लोग, जनता दल (सेक्युलर) में विश्वास जताएंगे।
बेहतर सोशल इंजीनियरिंग और लिंगायत समुदाय को अलग धर्म के दर्जे का कार्ड खेलकर कर्नाटक में विरोधियों को मुश्किल में डालने वाले मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को घेरने के लिए भाजपा ने भी अपनी चाल उसी समय से शुरू कर दी है। पार्टी ने दलितों को साधने की रणनीति बनाई। इसके लिए पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की दलितों के प्रभावशाली मठ शरना मधरा गुरु पीठ के महंत चेन्नैया स्वामी से मुलाकात को बेहद अहम माना गया था। अब जातिगत गणना की रिपोर्ट पर पार्टी नेता कांग्रेस को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)