मोदी की अरब अमीरात यात्रा का महत्व

(डॉ दिलीप अग्निहोत्री-हिफी फीचर)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस और संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा बहुत सफल रही। इसका द्विपक्षीय त्रिपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी महत्व रहा। फ्रांस और संयुक्त अरब अमीरात के साथ अलग अलग भारत के समझौते हुए। इसके अलावा तीनों देश मिलकर भी परस्पर सहयोग को आगे बढ़ा रहे है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस दोस्ती का चीन और पाकिस्तान को भी संदेश मिला है। मोदी फ्रांस की अपनी दो दिवसीय यात्रा के समापन के बाद संयुक्त अरब अमीरात पहुँचे थे। यहां द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए। नरेंद्र मोदी ने अबू धाबी में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के मनोनीत राष्ट्रपति सुल्तान अल जाबेर के साथ सार्थक बातचीत करते हुए यूएई की सीओपी-28 की अध्यक्षता के लिए भारत के पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया। संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन या यूएनएफसीसीसी की पार्टियों का सम्मेलन, जिसे आमतौर पर सीओपी 28 के रूप में जाना जाता है। संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन 30 नवंबर से 12 दिसंबर तक एक्सपो सिटी, दुबई में आयोजित किया जाएगा।
अबू धाबी में नरेंद मोदी और यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाह्यान की मौजूदगी में कई समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान किया गया। विकास को आगे बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा हुई। द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति की समीक्षा की गई। दोनों देशों के बीच आर्थिक भागीदारी को नयी गति देने वाले वृहद आर्थिक साझेदारी समझौते सीईपीए पर कोविड के दौरान हस्ताक्षर किए गए थे।
भारत और यूएई व्यापार, निवेश, ऊर्जा, खाद्य सुरक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, शिक्षा, फिनटेक, रक्षा, सुरक्षा और लोगों के बीच संपर्क जैसे क्षेत्रों में संबंधों को मजबूत बना रहे हैं। पिछले आठ वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की संयुक्त अरब अमीरात की यह पांचवीं यात्रा थी। प्रधानमंत्री इसके पहले गत वर्ष जून में मोदी संयुक्त अरब अमीरात गए थे। उस समय मोदी जी-7 शिखर सम्मेलन में शामिल होने जर्मनी गए थे। जर्मनी से लौटते समय उनका संयुक्त अरब अमीरात में रुकने का कार्यक्रम पूर्व निर्धारित नहीं था। नरेन्द्र मोदी की कार्य शैली और विदेश नीति का अपना अनोखा अंदाज है। उन्होंने जर्मनी से लौटते समय संयुक्त अरब अमीरात में रुकने का कार्यक्रम बनाया था क्योंकि उन्हें वहां के पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर संवेदना व्यक्त करनी थी। संयुक्त अरब अमीरात में मोदी का स्वागत बड़ी भावुकता के साथ किया गया।
इस्लामिक सहयोग संगठन के सम्मेलन में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भारत का प्रतिनिधित्व किया था। वस्तुतः भारत ने सदैव विश्व शांति और मानवता की बात कही है। आतंकवाद ने इन दोनों के सामने चुनौती पेश की है। यदि दुनिया में शांति, सौहार्द कायम करना है, मानवता को सुरक्षित रखना है तो आतंकवाद के खिलाफ साझा रणनीति बनानी होगी। इसमें सभी देशों का सहयोग अपरिहार्य है। आतंकवाद अब किसी एक क्षेत्र की समस्या नहीं है। आतंकवाद सारी दुनिया के लिए खतरा है,उसे पनाह देना और फंडिंग को बंद करना चाहिए।आतंकवाद और आतंकी तौर तरीकों का विस्तार हो रहा है।आतंकवाद दुनिया के लिए खतरा बन चुका है। उसे संरक्षण और वित्तीय सहायता देने वालों पर कड़ाई से रोक लगानी होगी। ओआईसी के सदस्य देश इसमें बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। उन देशों पर दबाव बनाया जाए जो इसका समर्थन करते हैं और इसे फंडिंग करते हैं। ऐसे देशों से कहना चाहिए कि वह आतंकवादी ढांचे को खत्म करे। भारत ज्ञान का भंडार,शांति का दूत और आस्था व परम्पराओं का स्रोत रहा है।
2015 में प्रधानमंत्री की यूएई की पिछली यात्रा के दौरान एक व्यापक रणनीतिक भागीदारी के साथ और प्रगाढ़ हो गए। फरवरी 2018 में प्रधानमंत्री ने विश्व सरकार शिखर सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में संयुक्त अरब अमीरात का दौरा किया था। अबू धाबी के क्राउन प्रिंस, महामहिम शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान फरवरी 2016 में भारत और फिर जनवरी, 2017 के दौरान गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भारत आए थे। 2019 में अबू धाबी की यात्रा पर आए थे। तब दोनों देशों के बीच पारस्परिक हित के द्विपक्षीय,क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मामलों विचार विमर्श किया गया था। वहां नरेन्द्र मोदी को संयुक्त अरब अमीरात का सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया गया। इससे पहले पीएम मोदी अगस्त 2019 में संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा पर गए थे। इस यात्रा में उन्हें यूएई के राष्ट्रपति की ओर से यूएई का सर्वोच्च पुरस्कार दिया गया था। यूएई के संस्थापक शेख जायद बिन सुल्तान अल नाहयान के नाम पर यह पुरस्कार विशेष महत्व रखता है।क्योंकि यह शेख जायद की जन्म शताब्दी के वर्ष में प्रधानमंत्री मोदी को प्रदान किया गया था। भारत और यूएई के बीच सांस्कृतिक,धार्मिक और आर्थिक क्षेत्र में बेहतर संबंध हैं। नरेन्द्र मोदी की संयुक्त अरब अमीरात से मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय संबंध मजबूत हुए हैं। दोनों देशों ने संयुक्त अरब अमीरात-भारत संबंधों में सभी मोर्चों पर हुई जबरदस्त प्रगति पर संतोष व्यक्त किया। भारत-संयुक्त अरब अमीरात व्यापार 2022 में बढ़कर 85 बिलियन अमेरिकी डॉलर का हो गया, जिससे संयुक्त अरब अमीरात वर्ष 2022-23 के दौरान भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार और भारत का दूसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य बन गया। भारत, संयुक्त अरब अमीरात का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। गत वर्ष पहला ऐसा देश बन गया था जिसके साथ संयुक्त अरब अमीरात ने व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए। सीईपीए के लागू होने के बाद से द्विपक्षीय व्यापार में लगभग पंद्रह प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जी20 की भारत की
अध्यक्षता और कॉप 28 की संयुक्त अरब अमीरात की अध्यक्षता के तहत दोनों देशों द्वारा 2023 के दौरान निभाई गई महत्वपूर्ण वैश्विक भूमिकाओं को रेखांकित किया। संयुक्त अरब अमीरात पक्ष ने जनवरी 2023 में भारत द्वारा ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट’ के आयोजन की सराहना की। भारतीय पक्ष ने कॉप28 में दक्षिणी दुनिया के देशों के हितों को बढ़ावा देने और कॉप28 को “कार्रवाई करने वाला कॉप” बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए संयुक्त अरब अमीरात की सराहना की। दोनों पक्ष आई2यू2 और संयुक्त अरब अमीरात फ्रांस-भारत त्रिपक्षीय सहयोग पहल जैसे बहुपक्षीय मंचों पर आगे और सहयोग करने के लिए भी तत्पर हैं। कॉप28 को सभी के लिए सफल बनाने हेतु साथ मिलकर काम करने का संकल्प लिया।क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर सभी रूपों में सीमा पार आतंकवाद सहित उग्रवाद और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए अपनी संयुक्त प्रतिबद्धता व्यक्त की। दोनों देश आतंकवाद, आतंकवाद के वित्तपोषण और उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई में अपने द्विपक्षीय सहयोग को और प्रगाढ़ करने पर सहमत हुए। शांति, संयम, सह-अस्तित्व और सहिष्णुता के मूल्यों को प्रोत्साहन देने के महत्व को स्वीकार किया। (हिफी)