नक्सलवाद के खात्में के संकेत

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
छत्तीसगढ़ के बीजापुर में 50 नक्सलियों ने गत 30 मार्च को हथियार डाल दिये। इससे एक दिन पहले ही बस्तर जिले के सुकमा और बीजापुर में सुरक्षा बलों ने 18 नक्सलियों को मार गिराया था।केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पिछले दिनों कहा था कि अब नक्सलवाद इतिहास बनने जा रहा है। इस पर अब यकीन किया जा सकता है क्योंकि एक नक्सली लीडर ने अपने कमांडर को एक पत्र लिखा है जिसमें इस बात का जिक्र है कि अब उनके संगठन के लिए कई ठिकाने सुरक्षित नहीं हैं। नक्सलवाद को अगर सुरक्षित ठिकाना नहीं मिल रहा है तो उसके समाप्ति के दिन निश्चित रूप से आ गये हैं। नक्सलवाद अपने मूल स्थान पश्चिम बंगाल से कमजोर होकर सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही सिमटकर रह गया है। छत्तीसगढ़ में नक्सलियों पर लगातार सुरक्षा बलों के बढ़ते दबाव के बीच नक्सली खौफ में जी रहे हैं। उनको सुरक्षित ठिकाना कहीं नसीब नहीं हो पा रहा है। इसका खुलासा नक्सलियों के एक पत्र से हुआ है जिसमें नक्सली लीडर ने अपनी कमांडर को एक पत्र लिखकर कहा है कि अब हमारे लिए कोई भी ठिकाना सुरक्षित नहीं है। जनता नक्सलियों के झांसे में नहीं आ रही है। उसकी समझ में आ गया है कि समाज की मुख्यधारा में रहकर ही संतुष्टि मिलेगी। निश्चित रूप से इसका श्रेय केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह को दिया जा सकता है क्योंकि उन्होंने अपनी पुलिस के हाथ खोल रखे हैं । पुलिस ने जनता को इस बात के लिए आश्वस्त कर दिया कि पुलिस उनकी सुरक्षा करेगी।
दरअसल, केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 31 मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ से नक्सलियों के खात्में का ऐलान किया है। इसी डेड लाइन के बाद प्रदेश के नक्सल इलाकों में नक्सलियों के खिलाफ लगातार अभियान चल रहा है। गरियाबंद से लेकर अबूझमाड़ और बस्तर के जंगलों में सुरक्षा बल नक्सलियों के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। सालभर के अंदर ही 300 से ज्यादा नक्सली ढेर हुए हैं जबकि कई नक्सलियों की गिरफ्तारी और सरेंडर हुआ है। इस बीच बीजापुर एनकाउंटर वाली जगह पर नक्सलियों का पत्र मिला है। गोंडी भाषा में लिखे गए 2 पन्नों के इस पत्र में कई बातों का जिक्र है। ये पत्र नक्सली लीडर मोटू ने महिला नक्सली कमांडर मनकी के नाम लिखा है। सुरक्षित तरीके से कहीं भी ठहर पाने को नक्सलियों ने मुश्किल बताया। हाल ही में हुई मुठभेड़ वाली जगह एंड्री के अलावा बोडका, गमपुर, डोडीतुमनार और तोड़का के जंगलों को भी असुरक्षित बताया है। पत्र में इस बात का भी जिक्र है कि फोर्स के बढ़ते दबाव के बीच साथी नक्सली दहशत में जी रहे हैं। हालात ये हैं कि खुद का सेफ जोन छोड़कर नक्सली भाग रहे हैं। दरअसल अपने खिलाफ लगातार हो रही कार्रवाई से नक्सली खौफ में हैं। पूर्व के कई सुरक्षित ठिकानों से उनके पैर उखड़ रहे हैं। वे अपना सुरक्षित ठिकाना छोड़कर भागने को मजबूर हो रहे हैं। नक्सलियों के सेफ जोन में अब सुरक्षा बलों का कैंप खुलने से जवानों के कब्जे में इलाका है। पुलिस की कार्रवाई से ढाई महीने में 108 नक्सलियों का एनकाउंटर हुआ है। बीजापुर में सबसे ज्यादा नक्सली ढेर हुए हैं ।
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच हुई भीषण मुठभेड़ में सुरक्षा बलों के जवानों ने 3 नक्सलियों को मार गिराया है। इस मुठभेड़ में 25 लाख रुपए के इनामी नक्सली चौतू उर्फ श्याम के भी ढेर होने की खबर मिल रही है। मारा गया इनामी नक्सली चौतू झीरम हमले के मास्टर माइंड में से एक रहा है। ये नक्सलियों का एसजेडसीएम था। इसकी तलाश कई जिलों की पुलिस कर रही थी। हालांकि अभी मारे गए नक्सलियों की पहचान की जा रही है। उसके बाद ही स्पष्ट हो सकेगा कि मोस्ट वांटेड नक्सली चौतू मारा गया है या फिर हर बार की तरह इस बार भी वह मुठभेड़ से बच निकला है। अगर चौतू ढेर हुआ है तो पुलिस की बड़ी सफलता होगी।
खूंखार नक्सली चौतू उर्फ श्याम का नाम गिरी रेड्डी भी है लेकिन वह इलाके में चौतू उर्फ श्याम दादा के नाम से जाना जाता है। नक्सली चौतू आंध्रप्रदेश का रहने वाला है लेकिन वह छत्तीसगढ़ में कई सालों से नक्सल संगठन में सक्रिय होकर काम कर रहा था। वह राजनीतिक पार्टी पर देश के सबसे बड़े नक्सली हमले झीरम हमले का मास्टर माइंड विनोद का साथी रहा है।
उल्लेखनीय है कि 25 मई 2013 को नक्सलियों ने दरभा के झीरम में हमला कर दिया था। इस हमले में प्रदेश के दिग्गज कांग्रेसी नेता महेंद्र कर्मा, नंदकुमार पटेल सहित 30 कांग्रेसी नेता मारे गए थे। चौतू नक्सल संगठन में नए युवाओं की भर्ती करता और लाल लड़ाकों को ट्रेनिंग भी देता था। बस्तर के कटेकल्याण, दरभा, भैरमगढ़, मलांगिर इलाके में इसकी सबसे ज्यादा सक्रियता थी। बस्तर के इन इलाकों के कई हमलों का मास्टर माइंड रहा है। इसके नाम से बस्तर के अलग-अलग थानों में नामजद एफआईआर दर्ज है। नक्सली चौतू की तलाश सिर्फ दंतेवाड़ा ही नहीं बल्कि सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, बस्तर जिले की पुलिस कर रही थी। कई बार वह मुठभेड़ों से बच निकला था। गत 25 मार्च को वह दंतेवाड़ा-बीजापुर बॉर्डर पर अपने साथियों के साथ था। यहां जवानों के साथ मुठभेड़ चली। इसमें चौतू के भी मारे जाने की खबर है। दंतेवाड़ा के एडिशनल एसपी आरके बर्मन ने बताया था कि आज हुई मुठभेड़ में 3 नक्सलियों को मारा गया है। इनकी पहचान की जा रही है। इसमें मोस्ट वांटेड नक्सली चौतू है या नहीं ये पहचान के बाद ही पता चल सकेगा।
कई नक्सलियों ने समर्पण भी किया है। सुकमा एसपी किरण चव्हाण के सामने सरेंडर करने वाले 9 नक्सलियों में 6 महिला शामिल हैं। पीएलजीए बटालियन नंबर 01 और जगरगुंडा एरिया कमेटी में सक्रिय सभी 9 नक्सलियों में एक पुरुष नक्सली पर 8 लाख और 2 महिला नक्सली पर 2-2 लाख रुपए का इनाम घोषित था। सुकमा एसपी किरण चव्हाण के सामने सरेंडर करने वाले सभी 9 नक्सली 26 लाख रुपए के इनामी थे। इनमें 1 पुरुष नक्सली बंडू पर 8 लाख रुपए और 2 महिला नक्सली पर 5-5 लाख का इनाम घोषित किया गया था। आत्मसमर्पित नक्सलियों को प्रोत्साहन के रूप में 25-25 हजार की राशि दी गई है। सभी नक्सलियों को छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास नीति का लाभ भी दिया जाएगा। पुलिस अधिकारियों ने बताया था कि आत्म समर्पण करने वाले 9 नक्सलियों में शामिल 22 वर्षीय बंडू उर्फ बंडी मड़काम, 45 वर्षीय मासे उर्फ वेट्टी कन्नी, 32 वर्षीय पदाम सम्मी, 39 वर्षीय माड़वी हुंगा उर्फ कुव्वेर हुंगा, 36 वर्षीय पुनेम मगंडी, 27 वर्षीय कड़ती विज्जे उर्फ जयो, 22 वर्षीय मड़कम शांति, 32 वर्षीय मुचाकी मासे और 20 वर्षीय कड़ती हिड़िया शामिल हैं। सरेंडर कर चुके नक्सली माड़वी हुंगा, पुनेम मगंडी, कड़ती विज्जे और मड़कम शांति के सिर पर दो-दो लाख रुपये का इनाम है। अधिकारियों ने बताया कि नक्सली बंडू कथित तौर पर विभिन्न नक्सली हमलों में शामिल था, जिसमें 2020 में सुकमा जिले के मिनपा में सुरक्षाबलों पर घात लगाकर किया गया हमला भी शामिल है। इस हमले में 17 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे। अब नक्सली बड़ी संख्या में समर्पण कर रहे हैं। (हिफी)