अफगानिस्तान में महिलाओं पर कड़े प्रतिबंध

अफगानिस्तान में तालिबान ने अफगान लड़कियों और महिलाओं पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। लड़कियां छठी कक्षा से आगे पढ़ाई नहीं कर सकती हैं और महिलाओं के कई सार्वजनिक स्थानों पर जाने पर प्रतिबंध लगा है। इस बीच अफगानिस्तान में मानवाधिकारों की समीक्षा करने वाले संयुक्त राष्ट्र के एक स्वतंत्र जांचकर्ता ने कहा है कि देश में तालिबान शासकों ने महिलाओं और लड़कियों पर अत्याचार करने के लिए कानूनी और न्यायिक प्रणाली को ‘हथियार के तौर पर इस्तेमाल’ किया है जो ‘मानवता के खिलाफ अपराध’ के समान है। जांचकर्ता रिचर्ड बेनेट ने गत 6 अगस्त को संयुक्त राष्ट्र महासभा को सौंपी गई एक रिपोर्ट में कहा कि 2021 में सत्ता हथियाने के बाद तालिबान ने 2004 के संविधान और महिलाओं व लड़कियों के अधिकारों की रक्षा करने वाले कानूनों को निलंबित कर दिया। इनमें वह ऐतिहासिक कानून भी शामिल है जिसने बलात्कार, बाल विवाह और जबरन विवाह सहित महिलाओं के खिलाफ हिंसा के 22 रूपों को अपराध घोषित किया था। बेनेट ने कहा कि तालिबान ने पिछली अमेरिका समर्थित सरकार के सभी न्यायाधीशों को बर्खास्त कर दिया जिनमें लगभग 270 महिलाएं भी शामिल थीं। अमेरिका समर्थित न्यायाधीशों को बर्खास्त करने के बाद तालिबान ने उनकी जगह कट्टर इस्लामी विचारों को मानने वाले ऐसे पुरुषों को नियुक्त किया गया जिनके पास कानूनी प्रशिक्षण नहीं है। ये न्यायाधीश तालिबान कीओर से जारी किए गए आदेशों के आधार पर फैसले सुनाते हैं। रिचर्ड बेनेट ने कहा कि तालिबान ने कानून प्रवर्तन और जांच एजेंसियों पर पूर्ण नियंत्रण कर लिया है और पिछली सरकार के लिए काम करने वाले अधिकारियों को व्यवस्थित रूप से हटा दिया है। बेनेट ने बताया कि उन्होंने अपनी रिपोर्ट तैयार करने के लिए 110 से अधिक अफगान नागरिकों के साथ बैठकें, सामूहिक चर्चाएं और व्यक्तिगत साक्षात्कार किए हैं।