सुखबीर बादल का प्रायश्चित

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
पंजाब में प्रकाश सिंह बादल ने लम्बे अर्से तक सत्ता संभाली। उन्हांेने पंजाबियों की नब्ज को अच्छी तरह से समझ लिया था। शिरोमणि अकाली दल (बादल) के नाम से उन्हांेने अलग से पार्टी बनायी। वे शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) को विश्वास मंे लेकर सरकार चलाते थे। यही कारण था कि भाजपा के साथ गठबंधन मंे भी प्रकाश सिंह बादल मनमानी करते रहे, जबकि केन्द्र मंे बीजेपी की सरकार थी। भाजपा वहां उपमुख्यमंत्री पद चाहती थी लेकिन प्रकाश सिंह बादल ने अपने बेटे सुखवीर बादल को आगे बढ़ाया और पार्टी की कमान भी सौंप दी। पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बादल से सत्ता छीनी थी और उसके बाद अरविन्द केजरीवाल ने पंजाब की सत्ता पर कब्जा किया। इस बीच सुखवीर बादल न तो पार्टी पर दबदबा कायम रख पाए और न एसजीपीसी को ही संतुष्ट कर सके। अकाली दल के कुछ नेता बागी हो गये। एसजीपीसी के पूर्व प्रमुख बीवी जागीर कौर के साथ शिरोमणि अकाली दल बागी नेताओं ने अकाल तख्त से सुखबीर बादल की शिकायत की थी। अकाल तख्त ने सुखबीर बादल को दोषी मानते हुए तनखैया घोषित कर दिया। चुनाव मंे पार्टी की हार के चलते सुखबीर की आलोचना पहले से हो रही थी, अब अकाल तख्त की नाराजगी को देख उन्हांेने प्रायश्चित स्वरूप पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।
शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अपने पद से इस्तीफा शिअद वर्किंग कमेटी को सौंप दिया है, ताकि नए अध्यक्ष के चुनाव का रास्ता साफ हो सके। उन्होंने अपने नेतृत्व में विश्वास जताने और पूरे कार्यकाल के दौरान मिले समर्थन और सहयोग के लिए पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त किया है। सीनियर अकाली नेता दलजीत सिंह चीमा ने 16 नवम्बर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर सुखबीर बादल के इस्तीफा की जानकारी दी। उन्होंने लिखा, ‘अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने पार्टी की कार्यसमिति को अपना इस्तीफा सौंप दिया। ऐसा उन्होंने नए अध्यक्ष के चुनाव का रास्ता साफ करने के लिए किया है। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान विश्वास जताने, तहे दिल से समर्थन और सहयोग देने के लिए पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं का धन्यवाद किया है।’ माना जा रहा है कि बादल के इस्तीफे के बाद अब चीमा को पार्टी का नया अध्यक्ष बनाया जा सकता है। पंजाब की सियासत में सुखबीर बादल के इस्तीफे को बड़ा सियासी घटनाक्रम माना जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, लगातार कई चुनाव में शिअद की करारी हार के चलते बादल पर अध्यक्ष पद छोड़ने का दबाव था। खबर है कि बागी अकाली नेताओं ने अकाल तख्त से सुखबीर बादल की शिकायत की थी। उन्होंने बेअदबी की घटनाओं के लिए भी तत्कालीन गृह मंत्री सुखबीर बादल को जिम्मेदार ठहराया है। इस मामले में अकाल तख्त ने सुखबीर बादल को तनखैया (धार्मिक कदाचार का दोषी) घोषित किया हुआ है। हालांकि इस मामले में अकाल तख्त की तरफ से सजा का एलान होना अभी बाकी है।
इससे पहले 1 जुलाई को पूर्व सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) की पूर्व प्रमुख बीबी जागीर कौर सहित अकाली दल के बागी नेता अकाल तख्त के सामने पेश हुए थे। उन्होंने 2007 और 2017 के बीच पार्टी की सरकार द्वारा की गई ‘गलतियों’ के लिए माफी मांगी। बादल को इस मामले में अकाल तख्त से कोई राहत नहीं मिली, तो इसके बाद अकाली दल ने 24 अक्टूबर को घोषणा की कि वह उपचुनाव नहीं लड़ेगा।
सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था अकाल तख्त ने शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को 2007 से 2017 तक उनकी पार्टी की सरकार द्वारा की गई ‘गलतियों’ के लिए धार्मिक कदाचार का दोषी ठहराया है। अकाल तख्त ने अकाली दल के नेता को ‘तनखैया’ करार दिया है। पांच तख्तों के सिंह साहिबान की बैठक के बाद अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया है कि बादल जब उपमुख्यमंत्री और शिअद अध्यक्ष थे, तब उन्होंने ऐसे फैसले किए, जिनसे पार्टी प्रभावित हुई और सिखों के हितों को नुकसान पहुंचा। अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि जब तक बादल श्री गुरु ग्रंथ साहिब की मौजूदगी में अकाल तख्त के सामने उपस्थित होकर अपनी गलतियों के लिए माफी नहीं मांगते, तब तक उन्हें ‘तनखैया’ घोषित किया जाता है। जत्थेदार ने अकाल तख्त सचिवालय में बैठक के बाद कहा कि 2007-2017 तक अकाली मंत्रिमंडल का हिस्सा रहे सिख समुदाय के मंत्रियों को भी 15 दिनों के भीतर अकाल तख्त के समक्ष निजी रूप से उपस्थित होकर अपना लिखित स्पष्टीकरण देना चाहिए। बहरहाल सुखबीर सिंह बादल ने पंजाब में अकाली दल के सत्ता में रहने के दौरान की गई ‘सभी गलतियों’ के लिए ‘बिना शर्त माफी’ मांगी है। इससे पहले अपने पत्र में बादल ने कहा था कि वह गुरु के ‘विनम्र सेवक’ हैं और गुरु ग्रंथ साहिब एवं अकाल तख्त के प्रति समर्पित हैं। पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री बादल ने 24 जुलाई को अपना स्पष्टीकरण पेश किया था।
सिख धर्म में शामिल लोगों को धार्मिक गलती के लिए अकाल तख्त तनखैया घोषित करता है। अकाल तख्त केवल सिखों को ही ये सजा सुना सकता है। अकाल तख्त जिनको तनखैया करार देता है, उनको गुरुद्वारों में बर्तन धोने, जूते साफ करने और साफ-सफाई के काम की सजाएं सुनाता है। इनका पालन नहीं करने वालों का धार्मिक बॉयकाट किया जाता है। उनको किसी भी गुरुद्वारे में जाने या किसी पूजा पाठ में हिस्सा लेने की भी अनुमति नहीं होती है।
पिछले 3 दशक से शिरोमणि अकाली दल पर बादल परिवार का कब्जा है। ताजा मामला यह है कि शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल के खिलाफ उनके ही दल के बड़े नेताओं बगावत का बिगुल फूंक दिया है। बगावती अकाली नेताओं ने आपातकाल की बरसी के दिन 25 जून अलग-अलग जगहें बैठकें कर सुखबीर सिंह बादल को अध्यक्ष पद छोड़ने को कहा। उधर, सुखबीर सिंह का आरोप है कि यह सब भारतीय जनता पार्टी का किया धरा है। बीजेपी ही अकाली दल के नेताओं को भड़का रही है।
मामला दरअसल ये है कि लोकसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल को करारी हार मिली थी। शिअद को 13 में से केवल एक सीट पर ही जीत हासिल हुई थी। लोकसभा चुनाव से पहले 2022 में हुए पंजाब विधानसभा चुनाव में भी अकाली दल को बुरी तरह से हार मिली थी। हालांकि पार्टी अध्यक्ष सुखबीर के खिलाफ बगावती सुर तो विधानसभा चुनाव के बाद से ही फूटने शुरू हो गए थे। 2022 में विधानसभा चुनाव के बाद शिरोमणि अकाली दल में संगठनात्मक ढांचे में बदलाव की आवाज उठी थी। संगठन में फेरबदल की जरूरत के बारे में पता लगाने के लिए पूर्व विधायक इकबाल सिंह झूंदा के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सुखबीर सिंह बादल ने संगठनात्मक ढांचा तो भंग कर दिया, लेकिन खुद अध्यक्ष बने रहे। (हिफी)