अंबानी के वनतारा को सुप्रीम क्लीन चिट

अनन्त अंबानी के ड्रीम प्रोजेक्ट वनतारा पर लगाए गए तमाम आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने रिलायंस फाउंडेशन के जामनगर स्थित वनतारा प्रोजेक्ट को क्लीन चिट देते हुए सभी याचिकाएं खारिज कर दीं। एसआईटी जांच में पशु तस्करी, दुव्र्यवहार और वित्तीय अनियमितताओं के आरोप निराधार पाए गए। कोर्ट ने वनतारा को राष्ट्रीय गौरव बताया और कहा कि बार-बार ऐसे मुकदमे न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग हैं।
गुजरात के जामनगर में स्थित यह एनिमल रेस्क्यू और रिहैबिलिटेशन इनिशिएटिव अब कानूनी तौर पर पूरी तरह वैध और सही साबित हुआ है। यह फैसला एसआईटी की रिपोर्ट पर आया है, जिसमें महीनों से चल रही बहस और अटकलों का अंत हो गया।
वनतारा के खिलाफ दो रिट पिटीशन दाखिल हुई थीं। इनमें आरोप लगाया गया था कि जानवरों को अवैध तरीके से लाया गया है, कैप्टिविटी में उनके साथ दुर्व्यवहार हो रहा है और वित्तीय अनियमितताएं भी हैं। कोर्ट ने पहले कहा था कि इन आरोपों को समर्थन देने के लिए कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया लेकिन आरोप गंभीर थे, इसलिए एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम यानी एसआईटी बनाई गई, जिसका नेतृत्व रिटायर्ड जजों और वरिष्ठ अधिकारियों ने किया।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस जे. चेलमेश्वर की अध्यक्षता वाली एसआईटी ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश की जिसके आधार पर सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात के प्राणी बचाव और पुनर्वास केंद्र वनतारा को क्लीन चिट दे दी है। न्यायमूर्ति पंकज मिथल और न्यायमूर्ति पी.बी. वराले की पीठ ने रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया और कहा कि प्राधिकारियों ने वनतारा में अनुपालन और नियामक उपायों के मुद्दे पर संतुष्टि व्यक्त की है। विशेष जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट में जमा कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस रिपोर्ट का अवलोकन किया।
दरअसल, वनतारा के मामलों की जांच कर रही एसआईटी ने गत 19 सितम्बर को एक सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट सौंपी। वहीं एसआईटी के वकील द्वारा रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद इसे रिकॉर्ड में ले लिया गया। पीठ ने कहा, ‘‘इस अदालत द्वारा गठित एसआईटी ने एक सीलबंद लिफाफे में एक रिपोर्ट और एक पेन ड्राइव जमा कर दी है, जिसमें रिपोर्ट और उसके अनुलग्नक भी शामिल हैं। इसे स्वीकार किया जाता है और इसे रिकॉर्ड में शामिल करने का निर्देश दिया जाता है।’’
सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया और सोशल मीडिया में आई खबरों तथा गैर सरकारी संगठनों और वन्यजीव संगठनों की विभिन्न शिकायतों के आधार पर वनतारा के खिलाफ अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में चार सदस्यीय एसआईटी का गठन किया था। व्यापक आरोपों को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निजी प्रतिवादी या किसी अन्य पक्ष से जवाब आमंत्रित करने से कोई खास लाभ नहीं होगा।
कोर्ट ने कहा था कि सामान्यतः ऐसे निराधार आरोपों पर आधारित याचिका कानूनी तौर पर विचार के योग्य नहीं होती, बल्कि उसे समय रहते खारिज कर दिया जाना चाहिए। आदेश में कहा गया है कि यह न तो याचिकाओं में लगाए गए आरोपों पर कोई राय व्यक्त करता है और न ही इसे किसी भी वैधानिक प्राधिकरण या वनतारा की कार्यप्रणाली पर कोई संदेह पैदा करने वाला माना जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी को भारत और विदेश से पशुओं, विशेष रूप से हाथियों को लाने, वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम और उसके तहत चिड़ियाघरों के लिए बनाए गए नियमों के अनुपालन, वनस्पतियों और जीवों की लुप्तप्राय प्रजातियों के व्यापार पर अंतरराष्ट्रीय समझौता, आयात-निर्यात कानूनों और जीवित पशुओं के आयात और निर्यात से संबंधित अन्य वैधानिक आवश्यकताओं की जांच करने और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।
एसआईटी को पशुपालन, पशु चिकित्सा देखभाल, पशु कल्याण के मानकों, मृत्यु दर और उसके कारणों, जलवायु परिस्थितियों के संबंध में शिकायतों और औद्योगिक क्षेत्र के निकट स्थान से संबंधित आरोपों, वैनिटी या निजी संग्रह के निर्माण, प्रजनन, संरक्षण कार्यक्रमों और जैव विविधता संसाधनों के उपयोग के संबंध में शिकायतों के अनुपालन की जांच करने का आदेश दिया गया था।
कोर्ट ने अहम टिप्पणियां करते हुए कहा- “कुछ चीजें देश की शान होती हैं। हर समय उन पर शोर मचाना सही नहीं। देश में अच्छी चीजें हो रही हैं, हमें उनसे खुश होना चाहिए।”
हाथियों के अधिग्रहण पर कोर्ट ने स्पष्ट कहा, “अगर अधिग्रहण कानून के मुताबिक हुआ है, तो समस्या क्या है? अगर सारे नियम फॉलो हुए हैं, तो आम बयान देने का कोई मतलब नहीं है।”
कोर्ट ने आदेश दिया कि एसआईटी की पूरी रिपोर्ट सील की जाए, एक कॉपी वनतारा को दी जाए और एक सारांश सार्वजनिक किया जाए। सभी पिटीशन खारिज कर दी गईं और इन्हीं आरोपों पर नई शिकायत अब दर्ज नहीं होगी। एसआईटी के सदस्यों को मानदेय दिया गया, एक सर्विंग आईआरएस अधिकारी को छोड़कर। साथ ही, वनतारा को यह स्वतंत्रता भी दी गई कि अगर कोई मानहानि संबंधी प्रकाशन होता है तो वह कानूनी कार्रवाई कर सकता है।
गौरतलब है कि वनतारा प्रोजेक्ट रिलायंस के अनंत अंबानी की सोच है। वनतारा का मतलब होता है स्टार ऑफ द फॉरेस्ट। रिलायंस के जामनगर रिफाइनरी के 3000 एकड़ रिक्लेम्ड ग्रीनबेल्ट पर यह पहल विकसित हुई है. आज वनतारा दुनिया के सबसे बड़े एनिमल रेस्क्यू और रिहैब सेंटरों में से एक है यहां 200 से ज्यादा हाथी। 300़ बड़ी बिल्लियां (शेर, बाघ, तेंदुए, जगुआर), 300़ शाकाहारी (हिरण, काले हिरण आदि), 1200़ सरीसृप (घड़ियाल, साँप, कछुए) सहित कुल मिलाकर 1.5 लाख जानवर, 2000 से ज्यादा प्रजातियों के साथ, इस ईकोसिस्टम का हिस्सा हैं।
यहां बता दें कि वनतारा देश का अपने तरह का एक यूनीक संस्थान है जो वन जीवों-पशुओं के लिए इतना बड़ा रिहैबीलेशन का काम कर रहा है। यह उद्योगपति मुकेश अंबानी ने अपने लाडले कनिष्ठ पुत्र की खराब सेहत जीव प्रेम की जीजीविषा के चलते स्थापित किया है। देश की शीर्ष अदालत ने माना है कि वनतारा देश की शान है यानि अदालत की भी आंखों का तारा बन गया है।
(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)