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विधेयक मंजूरी में कथित देरी पर सुप्रीम कोर्ट करेगा विचार, नोटिस किया जारी

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने केरल और पश्चिम बंगाल के राज्यपालों पर विधेयकों को मंजूरी देने में कथित देरी का आरोप लगाने वाली दोनों राज्य सरकारों की याचिकाओं पर संबंधित मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने आज दोनों राज्य सरकारों की संक्षिप्त दलीलें सुनने के बाद याचिकाओं पर विचार करने का फैसला करते हुए यह आदेश पारित किया। केरल और पश्चिम बंगाल सरकारों ने कई विधेयकों को महीनों तक लंबित रखने, या तो उन्हें मंजूरी देने से इनकार करने
वेणुगोपाल ने कहा कि अदालत को इस मुद्दे पर दिशा-निर्देश निर्धारित करने की आवश्यकता है कि राज्यपाल कब विधेयकों को वापस भेजकर राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं। उन्होंने यह भी दलील दी कि राज्यपाल को यह बताना चाहिए कि वे कब विधेयकों को मंजूरी देने से इनकार और कब राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं। देश के विभिन्न राज्यपालों के मन में इस बात को लेकर भ्रम है कि विधेयकों को मंजूरी देने के संबंध में उनकी क्या शक्तियां हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि वर्तमान (केरल) में मामले में आठ विधेयकों में से दो को 23 महीने तक लंबित रखा गया। एक को 15 महीने, दूसरे को 13 महीने और अन्य को 10 महीने तक लंबित रखा। यह बहुत दुखद स्थिति है। उन्होंने दलील दी कि राज्यपालों के बीच यह भ्रम है और वे विधेयकों को लंबित रखते हैं। यह संविधान के विरुद्ध है। पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश सिंघवी ने पीठ के समक्ष दलील दी कि जब भी अदालत मामले की सुनवाई करता है, तो कुछ विधेयकों को मंजूरी दे दी जाती है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु मामले में भी यही हुआ।

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