बाबा रामदेव को सुप्रीम फटकार

भारत ही नहीं दुनियाभर में योग गुरू के नाम से विख्यात बाबा रामदेव ने कोर्ट में झूठा हलफनामा दे दिया। इस पर देश की सबसे बड़ी अदालत अर्थात सुप्रीम कोर्ट नाराज हुई। सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव से कहा आप चाहे जितने ऊँचे हों, कानून आप से ऊपर है। कानून की महिमा सबसे ऊपर है। इससे पूर्व बाबा रामदेव और बालकृष्ण ने अदालत में कहा हम सुप्रीम कोर्ट से हाथ जोड़ कर माफी मांगते हैं। यह मामला औषधीय प्रभावकरिता का दावा करने वाली कंपनी के हर्बल उत्पादन का विज्ञापन करने और चिकित्सा की अन्य प्रणालियों को कमजोर करने से संबंधित है। सुप्रीम कोर्ट में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने याचिका दायर की थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि बाबा रामदेव और बालकृष्ण ने कोविड रोधी टीका करण अभियान और
आधुनिक दवाओं को असरहीन बताकर अपने इलाज को सफल बताया था। इसका बाकायदा विज्ञापन जारी किया गया था। अदालत ने संज्ञान लिया और जवाब मांगा तो योग गुरू बाबा रामदेव और पतंजलि के एमडी आचार्य बालकृष्ण ने जवाब नहीं दिया। इस पर अदालत की अवमानना का नोटिस जारी हुआ था। पतंजलि आयुर्विज्ञान लिमिटेड ने 21 नवम्बर 2023 को सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया था कि औषधीय प्रभाव कारिता का दावा करने वाला या चिकित्सा की किसी भी प्रणाली के खिलाफ कोई भी लापरवाही भरा बयान किसी भी रूप में मीडिया में जारी नहीं किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को आदेश दिया था कि वह अपने प्रोडक्ट के ऐसे ब्रांडिंग और विज्ञापन पर तुरंत रोक लगाए, जिसमें दवाओं द्वारा सफल इलाज किये जाने के झूठे दावे शामिल हैं।
आईएमए का आरोप है कि बाबा रामदेव की कम्पनी पतंजलि ने कोविड-19 वैक्सीनेशन को लेकर एक अभियान चलाया था। आईएमए ने दायर याचिका में कहा था कि पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन में एलोपैथी दवाओं की उपेक्षा की जा रही है। आईएमए ने यह भी शिकायत की थी कि पतंजलि के दावों की पुष्टि नहीं हुई है और यह ड्रग्स एण्ड मैजिक रैमडीज एक्ट 1954 और कन्ज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 का भी उल्लंधन है। पतंजलि आयुर्वेद ने दावा किया था कि उनके प्रोडक्ट कोरोनिल और स्वसारी से कोरोना का इलाज किया जा सकता है। इस दावे के बाद आयुष मंत्रालय ने फटकार लगाई थी और इसके प्रमोशन पर तुरंत रोक लगाने को कहा था।
पतंजलि विज्ञापन मामले में 2 अप्रैल को योग गुरु रामदेव, पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक (एमडी) आचार्य बालकृष्ण सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण के प्रति नाराजगी जताई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत के आदेशों को हल्के में नहीं लिया जा सकता। आपके खेद जताने के तरीके को हम मंजूर नहीं कर सकते। 21 नवंबर के कोर्ट के आदेश के बाद भी अगले दिन प्रेस कांफ्रेंस की गई। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी और पतंजलि विज्ञापन छापे जा रहे थे। इस पर रामदेव के वकील ने कहा कि भविष्य में ऐसा नहीं होगा। पहले जो गलती हो गई, उसके लिए माफी मांगते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कोविड का समय सबसे ज्यादा कठिन था। इस समय इलाज का दावा किया गया। उसको लेकर सरकार ने क्या किया है? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा कि केवल चेतावनी काफी नहीं थी. कानून के हिसाब से केंद्र ने कार्रवाई नहीं की. हम हैरान हैं कि केंद्र ने अपनी आंखें मूंदे रखी।
एसजी तुषार मेहता ने कोर्ट से कुछ समय मांगा जवाब देने के लिए, जिसपर कोर्ट ने कहा हम समय देंगे। साथ ही कहा कि बाबा रामदेव और बालकृष्ण मिथ्या शपथ पर कार्रवाई के लिए तैयार रहें। सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामे में गलती बताते हुए कहा कि ये परजूरी केस है। रामदेव के वकील को कहा कि आपने हलफनामे में सही तथ्य नहीं रखे। अवमानना के अलावा कोर्ट में झूठा हलफनामा देने का केस भी चलाएंगे। जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि पहले जो हुआ, उसके लिए आप क्या कहेंगे? उन्होंने कहा, आपको कोर्ट को दिए गए अंडरटेकिंग का पालन करना होगा। आपने हर बाधा तोड़ दी है। अब यह कहना है कि आपको खेद है…! इस पर वकील ने कहा, यह उनके लिए एक सबक होगा। जस्टिस कोहली ने कहा, हम यहां सबक सिखाने के लिए नहीं हैं। वे कहते हैं कि उन्होंने शोध किया है, उन्हें एक बड़ा स्पष्टीकरण देना चाहिए और न केवल जनता को, बल्कि अदालत को भी। केन्द्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जो कुछ हुआ वो नहीं होना चाहिए।
रामदेव और बालकृष्ण के वकील ने कहा कि दोनों आगे आकर व्यक्तिगत रूप से माफी मांगने को तैयार हैं। इसके बाद रामदेव और बालकृ्ष्ण अदालत में आए। रामदेव ने कहा, हम सुप्रीम कोर्ट से हाथ जोड़ कर माफी मांग रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव से कहा, आप चाहे जितने ऊंचे हों, कानून आपसे ऊपर है। कानून की महिमा सबसे ऊपर है। सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा, 21 नवंबर के कोर्ट के आदेश जारी करने के बाद अगले दिन प्रेस कांफ्रेंस की गई। इसमें बालकृष्ण और रामदेव मौजूद थे। आपकी माफी पर्याप्त नहीं है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी और पतंजलि विज्ञापन छाप रहा था। आपका मीडिया विभाग आपसे अलग नहीं है। आपने ऐसा क्यों किया? आपको नवंबर में चेताया गया था, इसके बावजूद आपने प्रेस कॉफ्रेंस की… इसलिए आप कार्रवाई के लिए तैयार रहिए। ये देश की सबसे बड़ी अदालत है। आपने एक्ट का उलंघन कैसे किया…? आपने कोर्ट को अंडरटेकिंग देने के बाद भी उलंघन किया। आप परिणाम के लिए तैयार हो जाएं।
न्यायमूर्ति कोहली ने कहा, क्या आपने एक्ट में बदलाव को लेकर मिनिस्ट्री से संपर्क किया…? इसलिए हम कहते हैं कि आपका हलफनामा दिखावटी है। हम आपके माफीनामे से खुश नहीं हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आप माफी मांगते हैं और अपने कृत्य को उचित भी ठहराते हैं..! आप 1954 के अधिनियम को ‘पुरातन’ कहते हैं। आप कहते हैं कि अब आपके पास आयुर्वेद में किए गए नैदानिक अनुसंधान के साथ साक्ष्य-आधारित वैज्ञानिक डेटा है, जो 1954 अधिनियम की अनुसूची में उल्लिखित रोगों के संदर्भ में वैज्ञानिक अनुसंधान के माध्यम से हुई प्रगति को प्रदर्शित करेगा। क्या आपने अधिनियम में संशोधन के लिए कहा है। क्या आपने सरकार से संपर्क किया है? रामदेव के वकील ने कहा कि भविष्य में ऐसा नहीं होगा। पहले जो गलती हो गई। उसके लिए माफी मांगते हैं। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)