तालिबान के रिफ्यूजी मंत्री की मंत्रालय के अंदर हत्या

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में 11 दिसम्बर को बड़ा आत्मघाती हमला हुआ, इसमें तालिबान सरकार के रिफ्यूजी मिनिस्टर खलील उर-रहमान हक्कानी और दो अन्य लोगों की मौत हो गई। हमला मंत्रालय के अंदर हुआ। तीन साल पहले काबुल की सत्ता पर कब्जा करने वाले तालिबान के लिए यह गहरी चोट है क्योंकि पहली बार सरकार के किसी बड़े नेता को निशाना बनाया गया है। सबसे खास बात, खलील हक्कानी तालिबान सरकार के गृहमंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी के चाचा थे। सिराजुद्दीन को तालिबान की रीढ़ बताया जाता है।
अभी तक किसी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है लेकिन तालिबान सरकार के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने एक्स पर पोस्ट किया, हक्कानी की मौत बहुत बड़ी क्षति है। वे एक योद्धा थे, जिन्होंने अपना जीवन इस्लाम की रक्षा के लिए समर्पित कर दिया। विल्सन सेंटर के साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के माइकल कुगेलमैन के अनुसार, हक्कानी की मौत तालिबान के लिए सबसे बड़ा झटका है। क्योंकि वे एक प्रभावशाली नेता थे। यह घटना तब हुई है, जब तालिबान अपना स्वरूप बदलकर शांति की बात कर रहा है। पूरी दुनिया से अपनी सरकार को मान्यता दिलाने की कोशिश में जुटा है। इस्लामिक स्टेट से जुड़ा एक आतंकी संगठन तालिबान को अपना दुश्मन मानता है। वह लगातार पूरे अफगानिस्तान में हमले कर रहा है। सितंबर की शुरुआत में उसके आत्मघाती हमलावर ने दक्षिण-पश्चिमी काबुल में छह लोगों को बम से उड़ा दिया था और 13 लोगों को घायल कर दिया था। काबुल में आत्मघाती हमले पहले की तुलना में कम हुए हैं, लेकिन अब शिया मुस्लिम अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है।