लेखक की कलम

तेजस्वी का गृह क्लेश शांत

बिहार में इस बार सत्ता के प्रबल दावेदार तेजस्वी यादव को फिलहाल गृह क्लेश से मुक्ति मिलती दिख रही है। उनके बड़े भाई तेजप्रताप तो नयी पार्टी बनाकर ब्लैकबोर्ड चुनाव चिह्न भी ले आए लेकिन बड़ा संकट तब खड़ा हुआ जब उनकी बड़ी बहन रोहिणी आचार्या भी कोपभवन में पहुंच गयीं। उनका विरोध संजय यादव को लेकर था जो तेजस्वी यादव की यात्रा के दौरान उनकी सीट पर बैठे थे। दूसरा गृह क्लेश महागठबंधन की सबसे बड़ी साथी कांग्रेस को लेकर था। राज्य में कांग्रेस के अध्यक्ष तेजस्वी को सीएम चेहरा मानने का विरोध कर रहे हैं। अब उनका विरोध जनता ही करने लगी है। उधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लालू यादव को लेकर ऐसा बयान दिया कि रोहिणी आचार्या ने तेजस्वी का खुलकर समर्थन किया है।
लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी प्रसाद यादव समेत मायका परिवार और राजद से नाराज रोहिणी आचार्या का सुर बदल गया है। नीतीश कुमार के एक भाषण ने रोहिणी का टोन बदल दिया और अब उन्होंने कहा है कि चाहे लाख गाली दो, ताली तो तेजस्वी के लिए ही बजेगी।राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के अध्यक्ष लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्या ने लगभग दस दिन से चल रहे पारिवारिक कलह से परेशान अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव को 27 सितम्बर को राहत की सांस दे दी है। दस दिन से इस मसले पर मौन धारण रखे तेजस्वी ने 26 सितम्बर को पहली बार रोहिणी को लेकर कहा था कि दीदी ने उन्हें पाला-पोसा है, बड़ा किया है, पापा को किडनी दी है। तेजस्वी ने बहन की कुर्बानी को इमोशनल होकर याद किया था। इसी के एक दिन बाद रोहिणी आचार्या ने एक ट्वीट में नीतीश कुमार के किसी कार्यक्रम में भाषण का एक छोटा सा हिस्सा शेयर किया है और लिखा है कि निश्चित हार की बौखलाहट में अंकल के मुंह से निम्न स्तर की भाषा का गुबार निकल रहा है। नीतीश कुमार अक्सर भाषण में याद दिलाते रहते हैं कि चारा घोटाला में आरोपी बनने की वजह से लालू को जब कुर्सी छोड़नी पड़ी तो उन्होंने राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनवा लिया था। रोहिणी के शेयर वीडियो में नीतीश कुमार कहते सुनाई दे रहे हैं- “ससुरा जब हट गया था, तब अपनी पत्नी को बनवाया था।”
ध्यान रहे कि बिहार चुनाव की तैयारियां निर्वाचन आयोग ने तेज कर दी है। बताया जा रहा है कि 400 से ज्यादा केंद्रीय पर्यवेक्षकों की निगरानी में चुनाव होगा। इलेक्शन कमीशन ने बिहार विधानसभा चुनाव के साथ जम्मू-कश्मीर (एसी बडगाम और नगरोटा), राजस्थान (एसी-अंता), झारखंड (एसी-घाटशिला), तेलंगाना (एसी-जुबली हिल्स), पंजाब में उप-चुनावों के लिए अलग-अलग राज्यों में कार्यरत 470 अधिकारियों जिसमें (320 आईएएस, 60 आईपीएस और 90 आईआरएस अथवा आईआरएएस अथवा आईसीएएस) को केंद्रीय पर्यवेक्षकों के रूप में तैनात करने का निर्णय लिया है।
तेजस्वी के 26 सितम्बर के उस बयान के बाद रोहिणी आचार्या का 27 सितम्बर का ट्वीट संकेत है कि परिवार में ताजा खटपट का पटाक्षेप हो सकता है। भाई और बहन के रिश्ते में फिर से गर्माहट लौटती दिख रही है। लालू, तेजस्वी समेत पूरे मायका परिवार और पार्टी को सोशल नेटवर्किंग साइट एक्स पर अनफॉलो कर चुकीं रोहिणी बिहार के सीएम और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के अध्यक्ष नीतीश कुमार के भाषण से इतनी व्यथित हुई हैं कि उन्होंने कह दिया कि चाहे लाख गाली दे दो, ताली तो तेजस्वी के लिए ही बजेगी। तेजस्वी की यात्रा बस में उनकी सीट पर सांसद संजय यादव के बैठने के बाद पार्टी और परिवार में यह बवाल शुरू हुआ था। दस दिन से इस मसले पर मौन धारण रखे तेजस्वी ने 26 सितंबर को पहली बार रोहिणी को लेकर कहा था कि दीदी ने उन्हें पाला-पोसा है, बड़ा किया है, पापा को किडनी दी है। तेजस्वी ने बहन की कुर्बानी को इमोशनल होकर याद किया था। तेजस्वी के उस बयान के बाद रोहिणी आचार्या का क्रोध ठंडा पड़ गया है। इससे लगता है कि परिवार में ताजा खटपट का पटाक्षेप हो सकता है। भाई और बहन के रिश्ते में फिर से गर्माहट लौटती दिख रही है। रोहिणी आचार्या ने 27 सितम्बर को एक ट्वीट में नीतीश कुमार के किसी कार्यक्रम में भाषण का एक छोटा सा हिस्सा शेयर किया है और लिखा है कि निश्चित हार की बौखलाहट में अंकल के मुंह से निम्न स्तर की भाषा का गुबार निकल रहा है। नीतीश कुमार अक्सर भाषण में याद दिलाते रहते हैं कि चारा घोटाला में आरोपी बनने की वजह से लालू को जब कुर्सी छोड़नी पड़ी तो उन्होंने राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनवा लिया था। रोहिणी के शेयर वीडियो में नीतीश कुमार कहते सुनाई दे रहे हैं- “ससुरा जब हट गया था, तब अपनी पत्नी को बनवाया था।
लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने इस विवाद में रोहिणी का खुलकर पक्ष लिया था और यहां तक कह दिया था कि बहन का अपमान करने वालों पर उनका सुदर्शन चक्र चल जाएगा लेकिन तेज प्रताप चूंकि परिवार व पार्टी से निकाले जा चुके हैं, इसलिए उनसे सुलह की गुंजाइश इस वक्त दिख नहीं रही है। तेज प्रताप यादव ने तो अपनी पार्टी जनशक्ति जनता दल का चुनाव चिह्न ब्लैकबोर्ड तक दिखा दिया है और उसके पोस्टर पर लालू यादव भी नहीं थे।
उधर, कांग्रेस के बिहार प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम को अपने ही विधानसभा क्षेत्र कुटुंबा में विरोध का सामना करना पड़ा। उनके खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाए गए। राजेश राम एक शिलान्यास कार्यक्रम में कुटुंबा गए थे। इस दौरान आक्रोशित लोगों ने राजेश राम गो बैक का नारा लगाकर उनका विरोध किया। उनकी अपील का भी कोई असर नहीं हुआ। इससे पहले राजद विधायक आलोक मेहता को भी उनके विधानसभा क्षेत्र उजियारपुर में जनता ने लालटेन के नाम पर कलंक कहकर वापस कर दिया।
हालांकि तेज प्रताप अब भी विरोध का झंडा उठाए हुए हैं लेकिन अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता है। दरअसल पत्रकारों से बातचीत के दौरान जब तेजप्रताप से पूछा गया कि अगर तेजस्वी यादव महुआ से चुनाव लड़ें तो? इस पर तेज प्रताप यादव ने कहा कि तेजस्वी यादव महुआ से चुनाव कभी नहीं लड़ेंगे। इसके बाद पत्रकार ने उनसे दोबारा पूछा कि अगर वो लड़ते हैं तो? तेज प्रताप ने कहा जल में मगरमच्छ ही रह सकता है। अब लगता है बड़े मगरमच्छ को देखकर छोटे मगरमच्छ को स्थान बदलना पड़ेगा।
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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