नीतीश व तेजस्वी में तनाव!

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
आगामी लोकसभा चुनाव-2024 के लिए 26 विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया को बुरी नजरें घेरती दिख रही हैं। कई जगह इसी बात को लेकर एफआईआर दर्ज करा दी गयी है कि कोई राजनीतिक गठबंधन इंडिया अर्थात भारत का नाम कैसे रख सकता है? कानून के जानकार इस पर माथा पच्ची कर ही रहे थे कि इस गठबंधन के मुख्य कर्ताधर्ता नीतीश कुमार गुमशुम नजर आने लगे हैं। बेंगलुरू में संयुक्त प्रेम कांफ्रेंस से पहले ही वह पटना लौट आये थे। उस समय जब कानाफूसी हुई तो नीतीश ने कहा कि राजगीर में आना उनका बेहद जरूरी था। बहरहाल यह कानाफूसी थोड़ी थमी तभी बिहार के शिक्षा मंत्री आलोक मेहता के फैसले को बदलने की चर्चा ने लोगों के कान खड़े कर दिये। तेजस्वी यादव के करीबी मंत्री आलोक मेहता ने अपने विभाग में 480 अफसरों का तबादला कर दिया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इन तबादलों को निरस्त कर दिया है। जाहिर है कि विपक्षी दल भाजपा को एक बड़ा मुद्दा मिल गया। राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता सुशील मोदी कहते हैं कि शिक्षा विभाग में जब शिक्षा मंत्री की ही नहीं चलती तब शिक्षा व्यवस्था कैसे सुधर सकती है। नीतीश कुमार के लिए मीडिया का एक सर्वे भी परेशानी पैदा कर रहा है। सर्वे में बताया जा रहा है कि अब नीतीश कुमार की विपक्षी दलों में उतनी कद्र नहीं रह गयी जितनी उस समय थी जब वह सभी दलों के नेताओं से मिल रहे थे। बहरहाल शिक्षा मंत्री के मामले में नीतीश और तेजस्वी के बीच तनातनी बढ़ सकती है।
नीतीश ने तेजस्वी यादव के करीबी मंत्री आलोक मेहता को बड़ा झटका दिया है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में हुए तबादले को निरस्त कर दिया गया है। 30 जून को कई सीओ, बंदोबस्त पदाधिकारी, चकबंदी पदाधिकारी का तबादला हुआ था, उस आदेश को निरस्त कर दिया गया है। करीब 480 अधिकारियों का तबादला हुआ था, जिसको रद्द कर दिया गया है। सरकार ने यह फैसला लिया है। संभावना जताई जा रही है कि तबादले में अनियमितता बरती गई है। बता दें एनडीए सरकार में यह विभाग बीजेपी के पास था तब राम सूरत राय मंत्री थे और तबादले का आदेश दिया था, जिसको नीतीश ने रद्द कर दिया था। पिछली सरकार में भी इस विभाग में हुए तबादलों को रद्द किया गया था।
अशोक चैधरी ने कहा कि इस मुद्दे पर सवाल उठना उचित है। मंत्री आलोक मेहता जून के अंतिम सप्ताह में लंबे समय के लिए बीमार हो गए थे। इस वजह से बहुत से पॉलिसी में पारदर्शिता नहीं हो पाई है। इसको लेकर मुख्यमंत्री ने निर्देश देते हुए कहा कि सभी बातों को ध्यान में रखते हुए पारदर्शिता के साथ इसको तैयार कीजिए। आलोक मेहता के व्यक्तित्व पर कोई सवाल नहीं उठा सकता है। पारदर्शिता के साथ ट्रांसफर पोस्टिंग का नया लिस्ट बनाने का सीएम ने निर्देश दिया है। जदयू नेता अशोक चैधरी कहते हैं यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। आलोक मेहता जल्द इसे कर लेंगे। इसी बीच मीडिया ने नीतीश कुमार को लेकर एक सर्वे किया है। इस सर्वे में लोगों से पूछा गया कि क्या नीतीश को विपक्षी कैंप में वो भाव नहीं मिल रहा जो चाहते हैं? इस सर्वे के परिणाम में 35 प्रतिशत लोगों ने माना है कि नीतीश कुमार को भाव मिल रहा है। 36 प्रतिशत लोगों ने माना कि उनको भाव नहीं मिल रहा है। वहीं, 29 प्रतिशत लोगों की इस सवाल पर कोई स्पष्ट राय नहीं थी। सीएम नीतीश कुमार लगातार एनडीए के खिलाफ रणनीति बनाने में लगे हुए हैं। नीतीश कुमार की मुहिम से ही विपक्षी पार्टी के नेता एक साथ बैठकर लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर मंथन कर रहे हैं। हालांकि बेंगलुरु में हुई विपक्षी बैठक के बाद नीतीश कुमार की नाराजगी की बात सामने आ रही थी। नीतीश कुमार बैठक के बाद संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले ही बिहार के लिए रवाना हो गए थे। पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि शिक्षा विभाग को सनकी तरीके से हांका जा रहा है। वहां मंत्री तक की नहीं चलती और नियम-कानून से कोई वास्ता नहीं है। गत 20 जुलाई को संगीत शिक्षकों की नियुक्ति से संबंधित मामले में शिक्षा विभाग ने दिल्ली से बुलाए गए वकीलों को पटना हाईकोर्ट में पेश कर राज्य के अटार्नी जनरल पीके शाही तक को असहज स्थिति में डाल दिया। इस पर एजी को खेद प्रकट करना पड़ा। यदि नीतीश कुमार को शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव का यही तौर-तरीका पसंद है, तो उन्हें ही मुख्यमंत्री का सलाहकार बना
लेना चाहिए। सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार न्यायिक अधिकारी अधिनियम-2023 के नियम-13 के अनुसार कोई भी सरकारी विभाग एजी की अनुमति के बिना बिहार से बाहर के किसी वकील से पैरवी नहीं करा सकता। यदि शिक्षा विभाग के अपर मुख्यसचिव ने नियम-कानून का पालन किया होता, तो हाईकोर्ट में सरकार की फजीहत न होती। शिक्षा विभाग की मनमानी पर सरकारी वकीलों ने ही न्यायपीठ के समक्ष आपत्ति की और एजी को स्वीकार करना पड़ा कि उनकी अनुमति के बिना बाहरी वकील बुलाए गए थे।
राजस्व विभाग में ट्रांसफर पोस्टिंग को निरस्त करने का मामला चर्चा में है। नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव के करीबी मंत्री आलोक मेहता के विभाग में हुए तबादले को निरस्त कर दिया है। इस मामले को लेकर सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि सूचना मिली थी कि अनावश्यक रूप से कई लोगों का ट्रांसफर कर दिया गया है। डिपार्टमेंट ने मिली शिकायत पर जांच किया है। सबकुछ देख लिया गया है। इस लिस्ट को फ्रेश किया जाएगा। इसमें आरजेडी, जेडीयू, कांग्रेस को बोलने की जरूरत नहीं है। हर पार्टी के लोगों ने बताया, आरजेडी के लोगों ने इससे संबंधित सूचना दी थी। अविश्वास प्रस्ताव के सवाल पर नीतीश कुमार ने कहा कि सरकार की तरफ से पीएम को बोलना चाहिए। पीएम को तो बार-बार कहा जा रहा है, जो घटना वहां घटी है उस पर ध्यान दीजिए। देखिए कैसे महिला को निवस्त्र कर दिया गया। विपक्ष एकजुट होकर कह रहा है, लेकिन इस पर तो कुछ बोलते नहीं है।
विपक्षी गठबंधन इंडिया पर पीएम के हमला पर सीएम ने पलटवार करते हुए कहा कि कितना खतरा हो गया है उनको आप समझ लीजिए। पहले पटना फिर बेंगलुरु में हम लोग मीटिंग किए। आगे और बाकी चीज होगी। हमारा तो सुझाव है कि जल्दी से जल्दी एक-एक चीज पर बात कर लेनी चाहिए। कौन कहां से लड़ेगा, फिर पॉलिसी बनाएंगे। आगे देश हित में काम करेंगे, उनको परेशानी क्या है? 1999 में एनडीए बना। पिछले वर्षों में कभी एनडीए की बैठक हुई है? अब विपक्ष ने चूंकि गठबंधन बना दिया तो घबराहट में बैठक कर रहे हैं। कई पार्टी को मिला लिए, उस पार्टी को कोई जानता तक नहीं है। वहीं, नीतीश कुमार ने विपक्षी एकता पर कहा कि हम लोग एकजुट हो गए हैं। देश के इतिहास को बदलना चाहते हैं। अब इतिहास नहीं बदलेगा, एक बार भी राष्ट्रपिता बापू का नाम यह लोग लेते हैं? पूर्व पीएम वाजपेयी सब ठीक करते थे। आज जब से ये लोग आ गए, पिछले 9 साल से हैं इनका अलग तौर तरीका है। देश के इतिहास को बदलना चाह रहे हैं। (हिफी)