लेखक की कलमसम-सामयिक

अरिघात से दहले दुश्मन देश

भारत ने आईएनएस अरिघात नाम से दूसरी परमाणु पनडुब्बी समुद्री सेना मंे शामिल कर ली है। न्यूलियर पावर से चलने वाली इस पनडुब्बी मंे परमाणु मिसाइलंे लगी हैं। इससे पहले अरिहंत नामक परमाणु पनडुब्बी भारतीय नौसेना मंे शामिल हो चुकी हैं। यह पनडुब्बी साढ़े तीन हजार किमी. तक हमला करने मंे सफल होगी। इस पनडुब्बी में 21 इंच की छह टारपीडो भी लगी हैं। इसके अलावा कई टारपीडो ट्यूब्स भी हैं जो मिसाइल या समुद्री बारूदी सुरंग बिछाने का काम करेंगी। इस पनडुब्बी के अंदर न्यूक्लियर रिएक्टर लगा है जो परमाणु ईंधन से इस पनडुब्बी को सतह पर 28 किमी. प्रति घंटे और पानी के अंदर 44 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार प्रदान करेगा। आईएनएस अरिहंत और अरिघात ने पाकिस्तान और चीन जैसे दुश्मन देशों मंे दहशत पैदा कर दी है। ये दोनों देश अब हमला करने की हिम्मत तो नहीं ही करेंगे। चीन के नेतृत्व ने तो भारत के साथ शांति-सहयोग की बातें भी शुरू कर दी हैं।

भारत ने गत 29 अगस्त को अपनी दूसरी न्यूक्लियर पावर मिसाइल पनडुब्बी अरिघात को कमीशन कर दिया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में विशाखापत्तनम में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान पनडुब्बी अरिघात के नेवी में स्वागत को लेकर एक समारोह का आयोजन भी किया गया। इस पनडुब्बी के नेवी में शामिल होने से चीन सहमा हुआ है। वो इस पनडुब्बी का तोड़ नहीं ढूंढ़ पा रहा है। आईएनएस अरिघात को लेकर चीन में कितनी दहशत है, इस बात का अंदाज चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में छपे लेख को पढ़कर ही लगाया जा सकता है।

आलम यह है कि बात-बात पर धौंस दिखाने वाला ड्रैगन अब भारत को शांति का संदेश दे रहा है। ग्लोबल टाइम्स ने चीनी विशेषज्ञों के हवाले से लिखा कि भारत को अपनी इस नई शक्ति का उपयोग जिम्मेदारी के साथ करना चाहिए। भारत को दुनिया में शांति और स्थिरता बनाए रखने में योगदान देना चाहिए, न कि इसका इस्तेमाल अपनी ताकत दिखाने के लिए करना चाहिए।
चीनी विशेषज्ञों ने अरिघात पनडुब्बी को लेकर कहा कि जब तक परमाणु हथियार मौजूद हैं, उनका उपयोग शांति के लिए किया जाना चाहिए। इन हथियारों के बल पर भारत दुनिया में स्थिरता लाने में योगदान दे सकता है। उन्हें इस पावर का इस्तेमाल दुनिया को अपनी ताकत दिखाने या ब्लैकमेल करने के लिए नहीं करना चाहिए। यह वही चीन है जो बात-बात पर भारत सहित अपने तमाम पड़ोसी देशों को छोटी-छोटी चीजों पर दबाने का प्रयास करता है। भारत की बढ़ती ताकत के सामने अब चीन घुटनों पर नजर आ रहा है। यह पनडुब्बी भारत की पहली न्यूक्लियर पावर मिसाइल पनडुब्बी की तुलना में कई गुना ज्यादा एडवांस है। इसे ‘स्वदेशी प्रणालियों और उपकरणों’ का इस्तेमाल कर बनाया गया है। आईएनएस अरिघात 750 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल के-15 से लैस है। यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में लंबी दूरी की गश्त पर निकल सकती है। दो परमाणु ऊर्जा से चलने वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां ने भारत की रणनीतिक ताकत को बढ़ा दिया है।

भारत ने परमाणु शक्ति से चलने वाली अपनी दूसरी न्यूक्लियर अरिघात सबमरीन को कमीशन कर दिया है। परमाणु ऊर्जा से चलने वाली यह पनडुब्बी के-15 परमाणु मिसाइल से लैस है, जो 750 किलोमीटर तक अपने टारगेट को नष्ट करने में सक्षम है। यदि भारत बंगाल की खाड़ी के उत्तरी इलाके से इस मिसाइल को लॉन्च करता है तो चीन का युन्नांन प्रांत और तिब्बत इसके दायरे में आ जाएगा। आने वाले समय में इस पनडुब्बी में के-4 परमाणु मिसाइल तैनात करने की योजना है, जो 3 हजार किलोमीटर के लक्ष्य को भेद सकती है। भारत की अरिघात सबमरीन से अब चीन टेंशन में आ गया है।
चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने अपने विशेषज्ञों के हवाले से अरिघात पनडुब्बी को लेकर भारत को ज्ञान देने का प्रयास किया है। इसके बाद भारतीय विशेषज्ञों ने करारा जवाब देकर चीन का मुह बंद कर दिया है।

ग्लोबल टाइम्स ने अपने एक लेख में लिखा, चीनी विशेषज्ञों का कहना है कि इस पनडुब्बी को कमीशन करने के बाद भारत की जिम्मेदारी बढ़ गई है, यह प्रदर्शन करने का समय नहीं है। बल्कि भारत को अब इस ताकत को बड़ी जिम्मेदारी के साथ रखना चाहिए, साथ ही शांति और स्थिरता में योगदान देना चाहिए। बीजिंग के सैन्य एक्सपर्ट ने ग्लोबल टाइम्स से कहा कि इस पनडुब्बी के बाद भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता बढ़ गई है, लेकिन इसके साथ ही भारत की जिम्मेदारी भी अब अधिक हो गई है। चीनी एक्सपर्ट ने कहा कि जब तक परमाणु हथियार मौजूद हैं, इनका इस्तेमाल शांति और स्थिरता के लिए करना चाहिए न शक्ति प्रदर्शन या परमाणु ब्लैकमेलिंग के लिए। चीनी एक्सपर्ट का भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने जवाब दिया है। उन्होंने एक्स पर लिखा, चीन के पास 6 परमाणु ऊर्जा से चलने वाली बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन और 6 परमाणु अटैक पनडुब्बी मौजूद हैं। उन्होंने चीन पर तंज कसते हुए कहा कि चीन तो अपनी शक्ति का प्रदर्शन नहीं करता है, बस दोस्तों के बंदरगाहों पर जाता है। उन्होंने इसे चीन का पाखंड बताते हुए कहा कि चीन अक्सर अपनी नौसेना भेजकर ताइवान, जापान, फिलीपीन्स और वियतनाम जैसे पड़ोसी देशों को धमकाता रहता है। इसके बावजूद चीन के विशेषज्ञ भारत को ज्ञान दे रहे हैं।

दरअसल, चीन दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु शक्ति बनना चाहता है, इसके लिए वह 1 हजार परमाणु बम बनाने की कोशिश में लगा है। इन बमों के जरिए वह भारत और अमेरिका को टक्कर देने के प्रयास में है। चीन के पास मौजूदा समय में बैलिस्टक मिसाइलों को जखीरा है, जो अमेरिका को भी तबाह करने की क्षमता रखते हैं। चीन ने अमेरिका के एयरक्राफ्ट करियर को डुबोने के लिए भी मिसाइलों का निर्माण किया है। भारतीय पनडुब्बी अरिघात की बात करें तो यह 6 हजार टन वजनी है। इसके तैनात होने के बाद हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की दादागिरी कम हो सकेगी। इसी वजह से चीन बौखलाया हुआ है। पाकिस्तान की तो बात ही छोड़ दीजिए। भारत के सामने उसकी औकात ही कितनी है। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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