अध्यात्म

सबसे विशाल प्राकृतिक शिवलिंग

(मोहिता-हिफी फीचर)
भोलेनाथ के 108 नाम इस प्रकार हैं-
ऊँ भोलेनाथ नमः, ऊँ कैलाश पति नमः, ऊँ भूतनाथ नमः, ऊँ नंदराज नमः, ऊँ नन्दी की सवारी नमः, ऊँ ज्योतिर्लिंग नमः, ऊँ महाकाल नमः, ऊँ रुद्रनाथ नमः, ऊँ भीमशंकर नमः, ऊँ नटराज नमः, ऊँ प्रलयन्कार नमः, ऊँ चंद्रमौली नमः, ऊँ डमरूधारी नमः, ऊँ चंद्रधारी नमः, ऊँ मल्लिकार्जुन नमः, ऊँ भीमेश्वर नमः, ऊँ विषधारी नमः, ऊँ बम भोले नमः, ऊँ ओंकार स्वामी नमः ऊँ ओंकारेश्वर नमः, ऊँ शंकर त्रिशूलधारी नमः ऊँ विश्वनाथ नमः, ऊँ अनादिदेव नमः, ऊँ उमापति नमः, ऊँ गोरापति नमः, ऊँ गणपिता नमः, ऊँ भोले बाबा नमः, ऊँ शिवजी नमः, ऊँ शम्भु नमः, ऊँ नीलकंठ नमः, ऊँ महाकालेश्वर नमः, ऊँ त्रिपुरारी नमः, ऊँ त्रिलोकनाथ नमः, ऊँ त्रिनेत्रधारी नमः, ऊँ बर्फानी बाबा नमः, ऊँ जगतपिता नमः, ऊँ मृत्युन्जय नमः, ऊँ नागधारी नमः, ऊँ रामेश्वर नमः, ऊँ लंकेश्वर नमः,ऊँ अमरनाथ नमः, ऊँ केदारनाथ नमः, ऊँ मंगलेश्वर नमः, ऊँ अर्धनारीश्वर नमः, ऊँ नागार्जुन नमः, ऊँ जटाधारी नमः, ऊँ नीलेश्वर नमः, ऊँ गलसर्पमाला नमः, ऊँ दीनानाथ नमः, ऊँ सोमनाथ नमः, ऊँ जोगी नमः, ऊँ भंडारी बाबा नमः,ऊँ बमलहरी नमः, ऊँ गोरीशंकर नमः, ऊँ शिवाकांत नमः, ऊँ महेश्वराय नमः, ऊँ महेश नमः, ऊँ ओलोकानाथ नमः, ऊँ आदिनाथ नमः ऊँ देवदेवेश्वर नमः, ऊँ प्राणनाथ नमः, ऊँ शिवम् नमः,ऊँ महादानी नमः, ऊँ शिवदानी नमः, ऊँ संकटहारी नमः, ऊँ महेश्वर नमः, ऊँ रुंडमालाधारी नमः, ऊँ जगपालनकर्ता नमः, ऊँ पशुपति नमः, ऊँ संगमेश्वर नमः, ऊँ दक्षेश्वर नमः ऊँ घृण्णेश्वर नमः, ऊँ मणिमहेश नमः, ऊँ अनादी नमः, ऊँ अमर नमः, ऊँ आशुतोष महाराज नमः, ऊँ विलवकेश्वर नमः, अचलेश्वर नमः, ऊँ अभयंकर नमः, ऊँ पातालेश्वर नमः, ऊँ धूधेश्वर नमः, ऊँ सर्पधारी नमः, ऊँ त्रिलोकिनरेश नमः ऊँ हठ योगी नमः, ऊँ विश्लेश्वर नमः, ऊँ नागाधिराज नमः, ऊँ सर्वेश्वर नमः,ऊँ उमाकांत नमः, बाबा चंद्रेश्वर नमः, ऊँ त्रिकालदर्शी नमः, ऊँ त्रिलोकी स्वामी नमः, ऊँ महादेव नमः ऊँ गढ़शंकर नमः, ऊँ मुक्तेश्वर नमः, ऊँ नटेश्वर नमः, ऊँ गिरजापति नमः, ऊँ भद्रेश्वर नमः, ऊँ त्रिपुनाशक नमः, ऊँ निर्जेश्वर नमः, ऊँ किरातेश्वर नमः, ऊँ जागेश्वर नमः, ऊँ अवधूतपति नमः, ऊँ भीलपति नमः, ऊँ जितनाथ नमः, ऊँ वृषेश्वर नमः, ऊँ भूतेश्वर नमः, ऊँ बैजूनाथ नमः और 108वां नाम है ऊँ नागेश्वर नमः।
छत्तीसगढ़ में दुनिया का सबसे विशाल प्राकृतिक शिवलिंग है। प्राकृतिक शिवलिंग रूपी पर्वत के ठीक नीचे गुफा में सैकड़ों साल पुराने मंदिर मंे मधेश्वर महादेव बिराजते हैं। इस मंदिर मंे दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं और अपनी मनोकामना आशुतोष औघड़दानी को सुनाते हैं। लोगों का कहना है कि इस मंदिर मंे आने वाले श्रद्धालुओं की मानोकामना निश्चित रूप से पूरी होती है। राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय भी मधेश्वर बाबा के दर्शन करने जाते हैं। इस मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए विष्णुदेव साय ने 40 करोड़ रुपये दिये हैं। इसकी पहली किस्त 10 करोड़ रुपये की जारी की जा चुकी है। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। इसलिए यहां सुविधाएं जुटाना जरूरी है। राज्य में मधेश्वर शिव मंदिर के अलावा भी कई शिव मंदिर हैं जहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। इनमें बस्तर स्थित गुप्तेश्वर महादेव मंदिर है। इसे दुनिया का सबसे पुराना शिवलिंग मानते हैं। डोंगरगढ़ मंे माता बगलेश्वरी मंदिर भी बहुत विख्यात है। इसके अलावा भी कई शिव मंदिर हैं। राज्य मंे 39 मंदिर ऐसे हैं जिनकी देखरेख केन्द्रीय पुरातत्व विभाग करता है। इनमंे सबसे अधिक (17) शिव मंदिर हैं। रायपुर के निकट ही देव बलोदा का शिव मंदिर है। इसको लेकर कई रोचक कथाएं हैं।
जशपुर जिले में एक दुनिया का सबसे विशाल प्राकृतिक शिवलिंग है। शिवलिंगरूपी पर्वत की एक गुफा में स्थित सैंकड़ों साल पुराने मंदिर में भगवान शिव मधेश्वर महादेव के रूप में विराजमान है। मधेश्वर महादेव के दर्शन के लिए हर साल श्रावण महीने में श्रद्धालु कई किलोमीटर की मुश्किल यात्रा तय करके पहुंचते हैं। जिले के कुनकुरी विकासखण्ड के मयाली गांव में स्थित मधेश्वर महादेव मंदिर शिवलिंगरूपी पर्वत में स्थित हैं। चरईडांड़-बतौली स्टेट हाईवे पर मयाली गांव में विशाल शिवलिंगरूपी पर्वत के दर्शन के लिए श्रद्धालु पहुंचते हैं। श्रद्धालु विशाल पर्वत को शिवलिंग मानकर पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं। विशेषकर पवित्र श्रावण माह में देश भर से भक्तगण मधेश्वर महादेव मंदिर में जल अर्पित करने श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। सूबे के मुखिया विष्णुदेव साय भी अगले सप्ताह शिवलिंगरूपी पर्वत पर स्थित मधेश्वर महादेव के दर्शन करने पहुंचने वाले हैं, जिसको लेकर यहां तैयारियां जोरों पर हैं।
गौरतलब है पवित्र माह श्रावण में शिवलिंगरूपी पर्वत की गुफा में स्थित मधेश्वर महादेव के दर्शन के लिए दूर-दूर से भक्तगण दर्शन के लिए पहुंचते हैं। यह क्रम इस श्रावण मास में जारी है। बताते चलें कि मधेश्वर महादेव के विकास के लिए कुनकुरी से विधायक और सूबे के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने करोड़ो की सौगात दी है। शिवलिंगरूपी पर्वत में स्थित मधेश्वर महादेव मंदिर में श्रावण महीने में सुबह से ही भक्तों की लंबी लंबी कतारें लग जाती हैं। मंदिर में श्रद्धालु तरह तरह की बीमारियों से परेशान होकर पहुंचते हैं और महादेव की पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि मधेश्वर महादेव के दर्शन कर से पीड़ितों को बड़ी से बड़ी बीमारियों से छुटकारा मिल जाता है।
विश्व के सबसे बड़े शिवलिंग के आसपास सौंदर्यीकरण की मांग कई सालों से हो रही थी, जो हाल में सूबे के सीएम ने पूरी की है। सीएम विष्णुदेव साय ने स्वदेश दर्शन योजना में शामिल करते हुए मधेश्वर महादेव मंदिर के लिए हाल में 40 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं, जिसकी पहली किश्त 10 करोड़ रुपए जारी भी कर दिया गया है। उल्लेखनीय है स्थानीय लोग सालों से मधेश्वर महादेव की पूजा करते आ रहे हैं, लेकिन अब तक यह लोगों के सामने नहीं आ सका था। कुनकुरी विधायक और मुख्यमंत्री साय के प्रयासों से अब इसे विश्व के सबसे बड़े प्राकृतिक शिवलिंग का दर्जा मिला है, जिसके बाद इसकी ख्याति तेजी से फैल रही है।
साल 1924 में स्थापित मधेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी चैथी पीढ़ी के रूप में यहां पूजा-अर्चना करवा रहे हैं। दर्शन के लिए यहां पहले सिर्फ प्रदेश भर से श्रद्धालु पहुंचते थे, लेकिन जब से इसे विश्व के सबसे बड़े प्राकृतिक शिवलिंग के रूप में ख्याति मिली है, पूरे देश से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।जिससे अब इस स्थल को धार्मिक पर्यटन के रूप में संवारा जा रहा है।
भगवान शिव का देवबलोदा मंदिर छत्तीसगढ़ राज्य के देवबलोदा नामक गाँव की गोद में बसा हुआ है जो राजधानी रायपुर से लगभग 22 किमी दूर स्थित है। रायपुर-दुर्ग महामार्ग पर, भिलाई-3 चरोदा की रेल पटरी के किनारे बसे इस सुन्दर गाँव में स्थित यह ऐतिहासिक मंदिर अपनी पुरातनता, इतिहास एवं उत्कृष्ट कारीगरी के साथ साथ रहस्यमयी किवदंतियों के लिए भी अत्यंत लोकप्रिय है। अब यह भारतीय पुरातत्व संरक्षण विभाग के अंतर्गत एक संरक्षित क्षेत्र भी है। (हिफी)

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