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चंद्रद्रग्रहण एक प्राकृतिक खगोलीय घटना है,

चंद्रद्रग्रहण एक प्राकृतिक खगोलीय घटना है, लेकिन धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से इसे बेहद खास माना जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार, इस साल अंतिम चंद्रग्रहण 7 सितंबर को लगने वाला है। खास बात यह है कि इस दिन भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि भी होगी।

वैदिक पंचांग के अनुसार, ग्रहण की शुरुआत रात 9 बजकर 57 मिनट पर होगी और इसका समापन अर्धरात्रि 1 बजकर 26 मिनट पर होगा। आपको बता दें कि साल का आखिरी चंद्र ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा, इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य रहेगा। ऐसे में इस दौरान कुछ खास बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। तो चलिए जानते हैं कि इस अवधि में क्या करना चाहिए और किन बातों से बचना चाहिए।

ग्रहण काल के दौरान नकारात्मक शक्तियां सक्रिय होती हैं। ऐसे में भगवान की मूर्तियों को छूना अशुभ माना जाता है। इस दौरान घर के मंदिर को लाल या पीले कपड़े से ढक दें।
इस दिन तुलसी, पीपल और बरगद के पेड़ों को छूने से बचें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से दोष लग सकता है।
ग्रहण वाले दिन ऐसे लोगों से न मिलें जो नकारात्मक बातें करते हैं। झगड़ा या वाद-विवाद से भी दूर रहें, वरना घर की शांति भंग हो सकती है।

इसके अलावा इस दौरान ज्यादा बातचीत या बहस करने से भी दूरी बनाए रखें।
इस दिन चाकू, सुई, कैची जैसी नुकीली वस्तुओं का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। साथ ही नाखून और बाल काटना भी अशुभ होता है।
गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय बाहर निकलने से मना किया जाता है। साथ ही उन्हें नुकीली चीजों को पकड़ने से भी बचना चाहिए।

ग्रहण काल में भगन्नाम जप करने से ग्रहण दोष दूर होते हैं और पितरों का आशीर्वाद मिलता है। ग्रहण मे सूतक काल से लेकर ग्रहण मोक्ष पर्यन्त सिर्फ भगवन्नाम जप कर सकते है इसके अतिरिक्त और कोई भी क्रिया कलाप दान पुण्य हवन कर्मकांड विधि नहीं करना चाहिए। ग्रहण मोक्ष के उपरान्त स्नान करके दान पुण्य कर सकते हैं ।
इस दिन मंत्र जाप बेहद फलदायी होता है। शिव जी का महामृत्युंजय मंत्र और चंद्रमा का मंत्र ‘ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः’ का जप करना चाहिए।

इसके साथ ही, आप अपने इष्ट देव के मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं।
ग्रहण काल में श्राद्ध, हवन, जप और तर्पण करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और घर-परिवार पर आशीर्वाद बना रहता है।
इस समय धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना चाहिए। माना जाता है कि इससे मन को शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।

ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करना चाहिए। इससे शरीर और घर में फैली नकारात्मकता दूर होती है। स्नान के बाद घर और मंदिर में गंगाजल का छिड़काव अवश्य करें।

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