अभी पुलिस में सुधार की जरूरत!

हालांकि पुलिस विभाग पर लोगों की सुरक्षा का जिम्मा होने के नाते उनसे अनुशासित होने की अपेक्षा की जाती है, परन्तु आज देश में चंद पुलिस कर्मी अपनी अनुशासनहीनता और ड्यूटी में लापरवाही बरतने के कारण आलोचना के पात्र बनने के साथ-साथ अपने विभाग की बदनामी का कारण भी बन रहे हैं। लगातार इस तरह की वारदातों की झड़ी लगी हुई है जिसमें पुलिस की ट्रेनिंग पर सवाल खड़े करती है कि आखिर पुलिस वाले आमजन के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार क्यों करते है। इन के चयन और प्रशिक्षण में कहाँ कमी रह जाती है।
आपको बता दें कि 9 मई को दीदारगंज थाना (पटना, बिहार) के अधिकारियों ने एक रिश्वतखोर ट्रैफिक निरीक्षक अभिनंदन कुमार को एक आटो चालक से 10,000 रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया।
24 जून को मेरठ (उत्तर प्रदेश) में ट्रैफिक पुलिस के दारोगा सुमित वशिष्ठ को एक दुकान से कपड़ों के 4 बैग चुराते हुए पकड़ा गया। दुकानदार द्वारा उच्चाधिकारियों से शिकायत करने पर दारोगा को लाइन हाजिर कर दिया गया।
27 जून को वाराणसी (उत्तर प्रदेश) के मंडुवाडीह इलाके में एंटी करप्शन विभाग की टीम ने पुलिस कमिश्नरेट के एक दारोगा और एक सिपाही को एक व्यक्ति से 15,000 रुपए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा।
9 अगस्त को अमरोहा (उत्तर प्रदेश) के रजबपुरा थाना क्षेत्र में चाय की कैंटीन चलाने वाले पिता-पुत्र द्वारा 5 पुलिस वालों को महीना देने से इंकार करने पर पुलिस वालों द्वारा पिता-पुत्र को दौड़ा-दौड़ा कर पीटने के मामले में 2 सिपाहियों को निलंबित तथा 3 अन्य को लाइन हाजिर किया गया।
26 सितम्बर को चित्तूर (आंध्र प्रदेश) में थाने में पुलिस से सहायता मांगने पहुंची महिला को किसी पेय में नशीला पदार्थ मिलाकर बेहोश करने के बाद उससे बलात्कार करने के आरोप में एक पुलिस कांस्टेबल उमा शंकर तथा होमगार्ड किरण कुमार को गिरफ्तार किया गया।
1 अक्तूबर को तिरुवनमल्लई (तमिलनाडु) में एक ट्रक को रोक कर तलाशी लेने के बहाने उसमें सवार 2 महिलाओं से बलात्कार करने के आरोप में 2 कांस्टेबलों सुरेश राज तथा सुंदर को गिरफ्तार किया गया।
9 अक्तूबर को सिवनी (मध्य प्रदेश) में नागपुर से जबलपुर ले जाए जा रहे हवाला के 2.96 करोड़ रुपए जब्त करने के लिए अपने स्टाफ के साथ पहुंची एस.डी.ओ. पी. (सब डिवीजनल आफिसर आफ पुलिस) पूजा पांडे का इतने पैसे देख कर मन बेईमान हो गया और वह पूरे पैसे डकार गई। खबर फैली तो 10 अक्तूबर को उसने 1.45 करोड़ रुपयों की जब्ती दिखा दी। इस सिलसिले में पूजा पांडे व 4 अन्य को गिरफ्तार किया गया।
14 अक्तूबर को गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) में नशे में धुत्त 2 पुलिस कर्मियों ने एक कैंटीन में खाना खाने के दौरान मस्ती में आकर गालियां बकनी शुरू कर दीं और कैंटीन के एक कर्मचारी को पीट-पीट कर लहू लुहान कर दिया।
16 अक्तूबर को सी.बी.आई. ने रोपड़ रेंज के डी.आई.जी. हरचरण सिंह भुल्लर को रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया। उस पर बिचैलिए किरशानू के जरिए 5 लाख रुपए रिश्वत लेने का आरोप है। सी.बी.आई. को उसकी कोठी की तलाशी के दौरान करीब 5 करोड़ की नकदी के अलावा अन्य सम्पत्तियों सम्बन्धी दस्तावेज और गोला-बारूद भी मिला है और अब 21 अक्तूबर को जोधपुर (राजस्थान) के एक होटल में रात के समय खाना खाने पहुंचे सिपाहियों पर किसी बात पर विवाद हो जाने के कारण होटल के एक कर्मचारी को बालों से घसीट कर बुरी तरह पीट कर घायल कर देने के आरोप में पीड़ितों ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई।
21 अक्तूबर को ही कूचबिहार (पश्चिम बंगाल) में दीवाली मना रहे बच्चों और महिलाओं को एक पुलिस अधिकारी ने बुरी तरह पीट डाला।
हालांकि पुलिस की नौकरी ज्वाइन करते समय विभाग द्वारा पुलिस कर्मियों को ईमानदारी के साथ काम करने के अलावा जनता की सुरक्षा करने की शपथ दिलाई जाती है लेकिन नौकरी ज्वाइन करने के बाद कुछ पुलिसकर्मी इस शपथ को दरकिनार कर मनमानी करने लगते हैं। अतः उक्त घटनाओं में दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने की तुरंत जरूरत है ताकि इस बुराई पर नियंत्रण किया जा सके।
पूरे देश में कानून लागू करने शांति और सद्भाव बनाए रखने और आपराधिक गतिविधियों से निपटने का दायित्व पुलिस का है। आपराधिक न्याय प्रणाली के सभी घटकों में से, पुलिस को न्याय प्रणाली का केंद्रीय प्राधिकार माना जाता है। पुलिस समाज के सबसे सर्वव्यापी संगठनों में से एक है। पुलिस से किसी भी समाज का सबसे सुलभ, संवादात्मक और गतिशील संगठन होने की उम्मीद की जाती है। सामान्य उत्तरदायित्वों के अनुसार एक प्रणाली के रूप में पुलिस जीवन और संपत्ति की सुरक्षा, सार्वजनिक शांति और व्यवस्था का संरक्षण, संघीय राज्य और स्थानीय कानूनों का प्रवर्तन और वाहन यातायात का नियंत्रण करती है। इसके लिए कानून बने हैं। पुलिस अधिनियम, 1861 को भारतीय कानून प्रवर्तन के सभी पहलुओं को नियंत्रित करने वाला प्राथमिक कानून माना जाता है। यह प्राथमिक कानून है और संपूर्ण रूप से राज्यव्यापी पुलिस प्रशासन को कवर करता है। अधिनियम की धारा 2 के अनुसार, पुलिस में लगे अधिकारियों या पुरुषों की संख्या, समय-समय पर उपयुक्त राज्य सरकार द्वारा निर्धारित की जानी चाहिए और उचित रूप से नामांकित की जानी चाहिए। जिला पुलिस अधीक्षक, अधिनियम की धारा 4 के तहत जिले के पुलिस प्रशासन का प्रभारी होता है, जबकि पुलिस महानिदेशक राज्य के पुलिस बल के पूर्ण संचालन की देखरेख करता है।
केंद्र सरकार आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, दो या दो से अधिक राज्यों के हिस्सों को शामिल करते हुए एक विशेष पुलिस जिला बना सकती है, और उक्त जिले के हर हिस्से तक पुलिस के सदस्यों की शक्तियों और अधिकार क्षेत्र का विस्तार कर सकती है। पुलिस अधिनियम 1949- इस अधिनियम में केंद्र शासित प्रदेशों में पुलिस बल के प्रशासन की रूपरेखा दी गई है। अधिनियम की धारा 5 में कहा गया है कि केंद्र सरकार प्रत्येक सामान्य पुलिस जिले में पुलिस की देखरेख करती है। केंद्रशासित प्रदेशों में पुलिस के प्रबंधन के लिए, पुलिस अधिनियम, 1861 की धाराएँ लागू होती हैं।
इसके साथ ही मॉडल पुलिस अधिनियम 2006 है। यह अधिनियम पुलिस अधिकारियों के संविधान, नियुक्ति, शक्तियों, भूमिका और जिम्मेदारियों को निर्धारित करता है। आपराधिक न्याय प्रणाली में पुलिस द्वारा अनेक कार्य निभाए जाते हैं। आज की दुनिया में एक मजबूत पुलिस बल के बिना, प्रणाली का संचालन अकल्पनीय है। पुलिस कथित अपराधियों और कानून तोड़ने वालों को हिरासत में लेती है। भ्रष्ट अधिकारियों के गलत कामों को रोकने के लिए उन्हें हिरासत में लेकर ट्रायल कोर्ट के सामने लाया गया। इस प्रक्रिया के जरिए पुलिस आपराधिक गतिविधियों पर रोक लगाने का प्रयास करती है। साथ ही आपराधिक गतिविधियों को न्याय के दायरे में लाना पुलिस का एक और महत्वपूर्ण कार्य है। इस प्रकार समाज के हित में पुलिस के बहुत दायित्व हैं।(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)



