इस बार मजबूती से लड़ रहे दोनों लड़के

उत्तर प्रदेश के चुनावी महासमर में इस बार कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) का गठबंधन ज्यादा मजबूत दिख रहा है। रायबरेली और अमेठी को लेकर कांग्रेसियों के चेहरे खिले हैं। हालांकि दबे स्वर से अब भी लोग यही कह रहे कि यदि अमेठी से राहुल गांधी और रायबरेली से प्रियंका वाड्रा चुनाव लड़तीं तो दोनों सीटों पर बम्पर जीत मिलती। सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी अब अपना पूरा ध्यान रायबरेली और अमेठी पर लगाये हैं क्योंकि उनके और डिम्पल यादव के क्षेत्र मंे मतदान सम्पन्न हो चुका है। अब नेताओं के साथ कार्यकर्ता भी मनोयोग से जुटे हैं। ध्यान रहे कि सपा और कांग्रेस ने 2017 में भी गठबंधन करके विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन तब गठबंधन काफी देरी से हुआ था। इस बार बताते हैं कि दोनों दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय बढ़ा है। समाजवादी पार्टी के रायबरेली जिला प्रमुख व अन्य नेताओं का कहना है कि गठबंधन के नेता लगातार बैठकें कर रहे हैं। रायबरेली के सपा अध्यक्ष वीरेन्द्र यादव का कहना है कि जैसे ही हमारे नेता अखिलेश यादव जी ने कांग्रेस के साथ चुनावी गठबंधन की घोषणा की, उसी के बाद कांग्रेस को दी गयी 17 सीटों के पदाधिकारियों और प्रमुख नेताओं की एक बैठक बुलाकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा था कि इन सभी सीटों पर चुनाव ऐसे लड़ें कि जैसे आपकी अपनी पार्टी मैदान में है। इसी भावना से सपा के कार्यकर्ता चुनाव लड़ रहे हैं। रायबरेली, जहां से राहुल गांधी प्रत्याशी हैं और सबसे ज्यादा प्रतिष्ठा की सीट मानी जा रही है, उसमें बछरावां, हरचंदपुर, रायबरेली, ऊंचाहार और सरेनी विधानसभा सीटें शामिल हैं जबकि अमेठी मंे तिलोई, सलोन, जगदीशपुर, गौरीगंज और अमेठी विधानसभा सीटें हैं। इन 10 विधानसभा सीटों मंे किसी पर कांग्रेस का कब्जा नहीं है। समाजवादी पार्टी के 6 विधायक हैं लेकिन दो विधायकों ने भाजपा को समर्थन दे रखा है।
कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्रियों भूपेश बघेल और अशोक गहलोत को क्रमशः रायबरेली और अमेठी संसदीय क्षेत्रों के लिए पार्टी का वरिष्ठ पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। कांग्रेस ने राहुल गांधी के रायबरेली से लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की। रायबरेली राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी का पारंपरिक निर्वाचन क्षेत्र रहा है। सोनिया गांधी ने वर्ष 2004 से 2024 तक रायबरेली निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। हालांकि वह अब राज्यसभा के लिए निर्वाचित हो गईं हैं। वहीं कांग्रेस ने गांधी परिवार के करीबी किशोरी लाल शर्मा को अमेठी से पार्टी उम्मीदवार घोषित किया है। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा दोनों चर्चित सीट रायबरेली और अमेठी में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रचार अभियान की अगुवाई कर रही हैं। वह उत्तर प्रदेश के इन संसदीय क्षेत्रों में मौजूद रहेंगी। स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों और दशकों से गांधी परिवार के साथ पारिवारिक संबंध रखने वाले लोगों तक पहुंच बनाने की कवायद भी शुरू कर दी गई है। उन्होंने कहा कि वह दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में डिजिटल और सोशल मीडिया अभियान की निगरानी भी करेंगी। दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में लोगों तक पहुंच बनाने के लिए संगठन के विभिन्न स्तरों पर अभियान चलाया जाएगा। प्रियंका गांधी कांग्रेस प्रमुख खरगे, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट जैसे शीर्ष नेताओं के प्रचार अभियान की योजना और कार्यक्रम का भी ध्यान रखेंगी। सूत्रों ने कहा कि वह लगभग 250-300 गांवों तक पहुंच बनाएंगी और दोनों निर्वाचन क्षेत्रों को समान समय देंगी।
इंदिरा गांधी ने 1967, 1971 और 1980 में यह से जीत हासिल की थी। उनके बाद इनके करीबी लोगों ने इस सीट का प्रतिनिधित्व किया। अमेठी में भाजपा की मौजूदा सांसद स्मृति ईरानी को टक्कर देने के लिए 25 साल बाद कांग्रेस की ओर से ऐसे उम्मीदवार मैदान में उतरे जो गांधी परिवार के सदस्य नहीं हैं।
इस बार सभी की नजरें इस बात पर टिकी थी कि आखिरकार कौन अमेठी और रायबरेली से कांग्रेस उम्मीदवार होगा। पहले माना जा रहा था कि राहुल गांधी वायनाड के अलावा एक बार फिर से अमेठी से ही चुनावी मैदान में किस्मत आजमाएंगे लेकिन हुआ ठीक इसके उलट, राहुल गांधी अबकी बार अमेठी की बजाय अपनी मां सोनिया गांधी के गढ़ रायबरेली से चुनाव लड़ रहे हैं। यूपी की दोनों सीट अमेठी और रायबरेली कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है। सवाल ये है कि राहुल गांधी अमेठी की बजाय क्यों रायबरेली से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि राहुल गांधी 2004, 2009, 2014 में यहां से चुनाव जीत चुके हैं।
इस बार जद्दोजहद के बाद 21 फरवरी को सपा और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग के फॉर्मूले पर समझौता हुआ। इसके तहत कांग्रेस 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि समाजवादी पार्टी 63 सीटों पर अखिलेश यादव और सपा को तय करना है कि गठबंधन में सपा के साथ बाकी कौन सी पार्टियां 63 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। कांग्रेस की तरफ से यूपी प्रभारी अविनाश पांडेय, प्रदेश अध्यक्ष अजय राय और सपा की ओर से तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल और प्रवक्ता राजेंद्र चैधरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीट शेयरिंग डील फाइनल होने की जानकारी दी। बता दें कि यूपी में 7 साल बाद कांग्रेस और सपा दोबारा एक साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। दोनों दलों ने साथ मिलकर 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ा था। यूपी में कांग्रेस को 17 सीटें मिली हैं।
फतेहपुर सीकरी, बांसगांव, सहारनपुर, प्रयागराज, महराजगंज, वाराणसी, अमरोहा, झांसी, बुलंदशहर, गाजियाबाद, मथुरा, सीतापुर, बाराबंकी और देवरिया सीट पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। रेस कॉन्फ्रेंस में यूपी कांग्रेस चीफ अजय राय ने कहा, ये गठबंधन मजबूती से लड़ेगा और हम छक्। को हराएंगे। 17 सीट पर सपा हमारा समर्थन करेगी। 63 सीट पर कांग्रेस, सपा का समर्थन करेगी। उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे ने कहा है कि इस लोकसभा चुनाव में हम प्रभावी तरीके से और लोकतांत्रिक पार्टियों के साथ लेकर केंद्र की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी को शिकस्त दे सकते हैं।
वहीं, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चैधरी कहते हैं भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए गठबंधन किया है। सपा नेता ने कहा कि इंडिया गठबंधन भाजपा को सत्ता से बाहर करने में सक्षम होगा। इंडिया गठबंधन जनता की आकांक्षाओं पर खरा उतरेगा। दोनों दलों के बीच मध्य प्रदेश की एक सीट को लेकर भी डील हुई है। खजुराहो की सीट पर समाजवादी पार्टी उम्मीदवार खड़ा करेगी, जबकि बाकी मध्य प्रदेश की बाकी सीटों पर कांग्रेस का समाजवादी पार्टी समर्थन करेगी। इस प्रकार सपा और कांग्रेस इस बार मजबूती से चुनाव लड़ रही हैं। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)