सम-सामयिक

भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने वाले

 

सीएनएन की ताजा रिपोर्ट मंे दावा किया गया है कि भारत 21वीं सदी की महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है और आने वाले कुछ दशकों मंे ही भारत यह मुकाम हासिल भी कर लेगा। सीएनएन का दावा है कि भारत निवेशकों और आपूर्ति श्रृंखला के जोखिमों को कम करने के लिए चीन के विकल्प के तौर पर उभर रहा है। इस प्रयास में सबसे बड़ी भूमिका प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उद्योगपति मुकेश अम्बानी और गौतम अडाणी की बतायी जा रही है। ये लोग भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने मंे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प भी व्यक्त किया है। उसके तार भी सीएनएन के दावे से जुड़ते हैं। उधर, संयुक्त राष्ट्र की प्रवासन एजेंसी आईओएम की ताजा रिपोर्ट मंे कहा गया है कि दुनिया का सर्वाधिक पैसा भारत में आया है। यह पैसा प्रवासियों द्वारा भेजा गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब भी विदेश दौर पर जाते हैं तो वहां के भारतीय प्रवासियों से जरूर मिलते हैं। प्रवासियों से अपनी जड़ों से जुड़े रहने का आह्वान भी करते हैं। पीएम मोदी का यह आह्वान ‘चिट्ठी आई है आई है, चिट्ठी आई है…. जैसा भावुक कर देता है। कहा तो यहां तक जाता है कि अमेरिका जैसे देश मंे राष्ट्रपति के चुनाव में भारतीय प्रवासियों की अहम भूमिका रहती है जो भारत से संबंधों को प्रगाढ़ करने मंे भी बड़ा कारक बनते हैं। भारत के राष्ट्राध्यक्षों को इससे विदेशों मंे महत्व भी ज्यादा मिलता है। उदाहरण के रूप मंे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नाम गिनाया जा सकता है जिनके लिए अमेरिका जैसे देश ने कभी वीजा देने से इनकार कर दिया था लेकिन अब जब भी मोदी अमेरिका जाते हैं तो उनके स्वागत में रेड कार्पेट बिछाया जाता है। कई राष्ट्रपति तो प्रोटोकाल से परे जाकर मोदी को बांहों मंे भर लेते हैं। इसी प्रकार अम्बानी और अडाणी भी जिस तरह विदेशों मंे कारोबार बढ़ा रहे हैं, उससे सीएनएन की बात मंे दम नजर आता है।

इसमंे कोई संदेह नहीं है कि चीन दुनिया भर में आर्थिक महाशक्ति के रूप मंे उभर रहा है और उसने अपनी व्यापारिक गतिविधियों के लिए साम, दाम, दण्ड और भेद का प्रयोग करने में कोई संकोच नहीं किया है। कई देशों को कर्ज देकर उनकी जमीन पर अपनी व्यापारिक गतिविधियां प्रारम्भ कर दी हैं और कई जगह इस तरह के प्रयास कर रहा है। जाहिर है चीन सकारात्मक और नकारात्मक- दोनों तरह के प्रयास कर रहा है जबकि भारत मंे निवेश के अनुकूल परिस्थितियां बनायी जा रही हैं और जोखिम के लिए कोई स्थान नहीं है। व्यापार के लिए सिर्फ सकारात्मक प्रयास हो रहे हैं। यही कारण है कि अब दुनिया भर के उद्यमी भारत को चीन से बेहतर व्यापार स्थल मानने लगे हैं। सीएनएन की ताजा रिपोर्ट मंे दावा किया गया है कि विकास को बढ़ावा देने के लिए नरेन्द्र मोदी की सरकार ने सड़कों, बंदरगाहों, हवाई अड्डों और रेलवे के निर्माण पर अरबों रुपये खर्च किये हैं। इस दिशा मंे लगातार कार्य हो रहा है। इस प्रकार बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे में बदलाव किया गया और भविष्य में किया जाने वाला है। भारत डिजिटल कनेक्टिविटी को भी काफी बढ़ावा दे रहा है जिससे वाणिज्य और दैनिक जीवन मंे भी सुधार हो रहा है। अब जेब मंे हर समय नकदी रखकर चलने की जरूरत नहीं है। सब्जी वाला डिजिटल पेमेंट लेगा और रेस्त्रां मंे भोजन के बाद बिल भी मोबाइल या कार्ड से अदा किया जाता है। इसका श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को देना ही पड़ेगा क्योंकि 2014 मंे जबसे उन्हांेने केन्द्र की सत्ता संभाली है, तब से देश इस प्रकार की क्रांति की तरफ बढ़ रहा है। सीएनएन के अनुसार उद्योगपति मुकेश अंबानी और गौतम अडाणी दोनों ही इसमंे मोदी के अहम सहयोगी बने हैं। ऐसा नहीं कि सिर्फ व्यापारी ही भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने मंे योगदान कर रहे हैं बल्कि देश के किसान भी इसमंे बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। आज हमारा देश अनाज के साथ फलों और सब्जियों तक का निर्यात करता है और इससे बड़े स्तर पर विदेशी मुद्रा आ रही है। भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने मंे इससे भी मदद मिलेगी।

भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने मंे भारतीय प्रवासियों के योगदान को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता। इन्टरनेशनल आर्गनाइजेशन फार माइग्रेशन (आईओएम) संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रवासन एजेंसी है। यह एजेन्सी किसी विशेष देश से नहीं जुड़ी है, इसलिए इसकी रिपोर्ट निष्पक्ष मानी जाती है। आईओएम की ताजा रिपोर्ट मंे कहा गया है कि दुनिया के लोग अपने-अपने मूल देश मंे पैसा भेजकर विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने में मदद करते हैं। रिपोर्ट के अनुसार भारत मंे दुनिया से सर्वाधिक पैसा आया है। आईओएम ने कहा है कि भारत मंे 2022 मंे दुनिया भर से 111 (एक सौ ग्यारह) अरब डालर धनराशि प्राप्त हुई है जो सर्वाधिक है। रिपोर्ट के अनुसार अब तक किसी भी देश ने वहां के प्रवासियों द्वारा भेजे गये विदेशी धन से 100 अरब डालर का आंकड़ा भी पार नहीं किया था। भारत ने एक कीर्तिमान स्थापित किया है। भारत 100 अरब डालर के आंकड़ों को पार करने वाला पहला देश बना है तो इसका श्रेय भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार को दिया जाएगा। यह धन प्रवासियों ने भारत मंे मित्रों व रिश्तेदारों को हस्तांतरित किया है। आईओएम ने अपनी विश्व प्रवासन रिपोर्ट-2024 मंे कहा कि 2022 मंे प्रेषित धन प्राप्त करने वाले शीर्ष पांच देशों मंे भारत, मेक्सिको चीन, फिलीपीन्स और फ्रांस शामिल हैं।

भारत सबसे पहले नम्बर पर रहा है और उसे 111.22 अरब डालर की धनराशि मिली। मेक्सिको 2022 में दूसरा सबसे ज्यादा प्रेषित धन प्राप्त करने वाला देश बना। उसने यह स्थान 2021 मंे चीन को पीछे कर प्राप्त किया है। अब तक चीन ही भारत के बाद विदेशों से प्रेषित धन प्राप्त करने वाला दूसरा देश रहा है लेकिन अब उसके स्थान पर मेक्सिको आ गया है। भारत को 2010 मंे 53.48 अरब डालर की धनराशि मिली थी। भारत तब भी शीर्ष पर था और एशिया के शीर्ष दस देशों मंे भी शामिल रहा। इससे पता चलता है कि एशिया उपक्षेत्र में और दुनिया भर मंे भारतीय कामगारों का महत्व है। दुनिया मंे सर्वाधिक प्रवासी भारतवंशी ही माने जाते हैं। पाकिस्तान और बांग्लादेश 2022 में क्रमशः करीब 30 अरब डालर व 21.5 अरब डालर के साथ प्रेषित धन प्राप्त करने वाले छठें और आठवें देश रहे हैं। दुनिया मंे भारतवंशी प्रवासियों की संख्या 1.8 करोड़ बतायी जा रही है। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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