लेखक की कलमसम-सामयिक

चंद्रबाबू नायडू पर कसता शिकंजा

 

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेलुगुदेशम पार्टी (टीडीपी) के नेता चन्द्रबाबू नायउू की मुसीबत कम होने का नाम नहीं ले रही है। राज्य के कौशल विकास निगम से जुड़े 371 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार मामले मंे उनको जेल जाना पड़ा। उन पर आरोप है कि एक फर्जी समझौते के माध्यम से एक गैर मौजूद कम्पनी को प्रचारित करने और बढ़ावा देने का प्रयास चन्द्रबाबू नायडू ने किया। यह आरोप भी मौजूदा मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने लगाया है। उन्हांेंने यह भी कहा है कि चन्द्रबाबू नायडू ने मुख्यमंत्री रहते अपने अधिकारियों की सलाह को खारिज कर दिया था। पूर्व मुख्यमंत्री चाहते हैं कि इस मामले में जल्द ही सुनवाई हो, इसलिए वह सुप्रीम कोर्ट पहुंुच गये। सुप्रीम कोर्ट ने कौशल विकास घोटाला मामले मंे चन्द्रबाबू नायडू की याचिका पर जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया है। इससे पहले आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने चंद्रबाबू नायडू की याचिका को खारिज कर दिया था। कौशल विकास घोटाला मामले मंे चंद्रबाबू नायडू को 8 सितम्बर 2023 को गिरफ्तार किया गया था। राज्य में कौशल विकास के लिए चंद्रबाबू नायडू की सरकार ने प्रशिक्षण देने के लिए सीमेन्स नामक कंपनी को अधिकृत किया था। राज्य सरकार को कुल खर्च का 10 प्रतिशत यानी 370 करोड़ लगभग खर्च करना था। आरोप है कि नायडू ने फर्जी कंपनियां बनाकर उन्हंे पैसे ट्रांसफर किये और उनसे जुड़े दस्तावेज भी नष्ट कर दिये। अब, अगर सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली तो चंद्रबाबू नायडू का राजनीतिक भविष्य अंधकार में डूब सकता है।

चंद्रबाबू नायडू को कौशल विकास निगम के धन का दुरुपयोग करने के आरोप में 8 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था। इसके कारण सरकारी खजाने को कथित रूप से 300 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। नायडू अभी राजामहेंद्रवरम केंद्रीय जेल में बंद हैं। इससे पहले आंध्र प्रदेश पुलिस सीआईडी अधिकारियों की एक टीम ने कौशल विकास निगम घोटाला मामले में तेदेपा प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू से केंद्रीय कारागार में पूछताछ की थी। न्यायालय ने समय की कमी, स्वास्थ्य और पूर्व मुख्यमंत्री की उम्र को देखते हुए जेल परिसर में ही नायडू से पूछताछ की अनुमति दे दी थी। आंध्र प्रदेश पुलिस के अपराध जांच विभाग (सीआईडी) की टीम ने चंद्रबाबू नायडू से राजामहेंद्रवरम केंद्रीय कारागार में दो दिन पूछताछ की। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की कोर्ट की ओर से हिरासत में भेजे जाने के बाद उनसे पूछताछ की गई। अदालत के आदेशों के मुताबिक, नायडू से दो दिन (23 और 24 सितंबर) सुबह साढ़े नौ बजे से शाम पांच बजे तक पूछताछ की गई। इस दौरान उन्हें नियमित आधार पर पांच-पांच मिनट का ‘ब्रेक’ दिया गया, ताकि वे अपने वकील से संपर्क कर सकें। वो पांच अक्तूबर तक न्यायिक हिरासत में हैं ।  हाईकोर्ट में सीआईडी की ओर से कहा गया कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17 (ए) चंद्रबाबू पर लागू होती है लेकिन नायडू की याचिका में एसीबी कोर्ट से जारी रिमांड को रद्द करने की भी मांग की गई है।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने अपने पूर्ववर्ती और तेलुगु देशम पार्टी के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू पर राज्य के कौशल विकास निगम से जुड़े 371 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार मामले में एक फर्जी समझौते के माध्यम से एक गैर-मौजूद कंपनी को प्रचारित करने और बढ़ावा देने का आरोप लगाया। पूर्वी गोदावरी के निडदवोलू में एक जनसभा में रेड्डी ने कहा कि न केवल राज्य सरकार की एजेंसियों बल्कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी इस फर्जी समझौते (कौशल विकास मामले) में शामिल लोगों को गिरफ्तार किया है। उन्होंने कहा कि इस घोटाले को अंजाम देने वाले व्यक्ति का नाम चंद्रबाबू नायडू है। रेड्डी ने दावा किया कि पूर्व मुख्यमंत्री ने उन सरकारी अधिकारियों की चेतावनियों को खारिज कर दिया, जिन्होंने समझौते पर आगे नहीं बढ़ने की सलाह दी थी। उन अधिकारियों को आगे बढ़ने के लिए मजबूर किया था।उन्होंने कहा कि आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) ने सबूतों के ये सभी हिस्से पेश किए, जबकि ईडी की जांच में फर्जी कंपनियों को भेजे गए धन का पता चला है जिसके परिणामस्वरूप और गिरफ्तारियां हुईं है। सीएम रेड्डी ने कहा कि आईटी विभाग ने चंद्रबाबू नायडू के निजी सहायक से जुड़े आपत्तिजनक चैट का भी पता लगाया है, जिसमें फर्जी समझौतों को अंजाम देने के लिए जिम्मेदार लोगों को शामिल किया गया था।पूर्व मुख्यमंत्री पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि चंद्रबाबू नायडू, जिन्होंने शुरू में सरकार से सवाल करने की कसम खाई थी, अदालत में 10 घंटे की बहस के दौरान चुप हो गए। इस बीच, टीडीपी ने चंद्रबाबू नायडू के साथ एकजुटता दिखाते हुए झूठे आरोपों और अनैतिक गिरफ्तारी के खिलाफ न्याय की मांग करते हुए एक कैंडल मार्च का आयोजन किया।

आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की सरकार में युवाओं को कौशल विकास प्रशिक्षण देने के लिए योजना की शुरुआत की गई थी। इस योजना के तहत हैदराबाद और इसके आसपास के इलाकों में स्थित भारी उद्योगों में काम करने के लिए युवाओं को जरूरी कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जाना था। सरकार ने योजना के तहत इसकी जिम्मेदारी एक कंपनी सीमेन्स को दी थी। योजना के तहत छह क्लस्टर्स बनाए गए और इन पर कुल 3300 करोड़ रुपये खर्च होने थे। जिसमें हर क्लस्टर पर 560 करोड़ रुपये खर्च होने थे।

तेलुगु देशम पार्टी के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम एन. चंद्रबाबू नायडू को सीआईडी द्वारा कौशल विकास घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया गया है। कौशल विकास घोटाला 350 करोड़ रुपये का है और इस मामले में चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ साल 2021 में एफआईआर दर्ज की गई थी। सीआरपीसी की धारा 50(1)(2) के तहत चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी की गई है। तत्कालीन चंद्रबाबू नायडू की सरकार ने कैबिनेट में बताया कि योजना के तहत राज्य सरकार कुल खर्च का 10 प्रतिशत यानी कि 370 करोड़ रुपये खर्च करेगी। वहीं बाकी का 90 प्रतिशत खर्च कौशल विकास प्रशिक्षण देने वाली कंपनी सीमेन्स द्वारा दिया जाएगा। आरोप है कि चंद्रबाबू नायडू की सरकार ने योजना के तहत खर्च किए जाने वाले 371 करोड़ रुपये शैल कंपनियों को ट्रांसफर कर दिए। पूर्व सीएम पर ये भी आरोप है कि शैल कंपनियां बनाकर उन्हें पैसे ट्रांसफर करने से संबंधित दस्तावेज भी नष्ट कर दिए।

आंध्र प्रदेश के कौशल विकास घोटाले की जांच ईडी द्वारा भी की जा रही है। कुछ माह पहले ईडी ने इस घोटाले की आरोपी कंपनी डिजाइनटेक सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड की 31 करोड़ रुपये कीमत की संपत्ति भी अटैच की थी। आरोप है कि इसी कंपनी के जरिए सरकारी योजना का पैसा शैल कंपनियों को ट्रांसफर किया गया, साथ ही फर्जी इनवॉइस तैयार की गईं। ईडी मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से मामले की जांच कर रही है। ईडी ने इस मामले में सीमेन्स कंपनी के पूर्व एमडी सोम्याद्री शेखर बोस, डिजाइनटेक कंपनी के एमडी विकास विनायक खानवेलकर, पीवीएसपी आईटी स्किल्स प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड और स्किलर एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ मुकुल चंद्र अग्रवाल, सीए सुरेश गोयल के खिलाफ मामला दर्ज किया था। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

 

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