सम-सामयिक

तिरुपति मंदिर श्रद्धालुओं से धोखा!

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)
आंध्र प्रदेश में स्थित लाखों-करोड़ों लोगों के आस्था के केंद्र तिरुपति तिरुमला मंदिर को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। प्रसिद्ध मंदिर में मिलने वाले लड्डू में मिलावट की बात सामने आई है। नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड ने लड्डू में चर्बी और बीफ मिले होने की पुष्टि की है। नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड की रिपोर्ट में सनसनीखेज खुलासा किया गया है। बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, तिरुपति मंदिर का लड्डू बनाने में मछली का तेल, बीफ और चर्बी का इस्घ्तेमाल किया गया है। इस रिपोर्ट के खुलासे के बाद देश भर में फैले तिरुपति के करोड़ों श्रद्धालुओं में रोष और नाराजगी फैल गई है। अब यह मामला आंध्र की राजनीति में परस्पर कीचड़ उछालने का मुद्दा बन गया है। पक्ष और प्रतिपक्ष एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं वहीं राम मंदिर उद्घाटन समारोह के अवसर पर तिरुपति मंदिर संस्थानम ने तीन टन लड्डू भेंट के लिए भेजे थे अब सवाल उठाया जा रहा है कि राम मंदिर उद्घाटन समारोह में आए ये लड्डू भी कहीं मिलावटी घई से तो नहीं बनाए गए थे।
टीडीपी के प्रवक्ता अनम वेंकटा रमन रेड्डी ने एक संवाददाता सम्मेलन में यह कथित लैब रिपोर्ट पेश की। इसमें दिए गए घी के नमूने में बीफ टैलो (पशुओं की चर्बी ) की मौजूदगी की पुष्टि की गई है। कथित रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इन नमूनों में ‘लार्ड’ (सूअर की चर्बी से संबंधित) और मछली के तेल की भी मौजूदगी है।
चौंकाने वाली बात यह है कि प्रसाद के तौर इन लड्डुओं का वितरण न केवल श्रद्धालुओं के बीच किया गया, बल्कि भगवान को भी प्रसाद के तौर पर यही लड्डू चढ़ाया जाता था
जानकारी के अनुसार, नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड की रिपोर्ट में तिरुपति मंदिर के लड्डू और अन्नदानम के सैम्पल की जांच में सनसनीखेज खुलासा हुआ है। दूसरी तरफ, तिरुपति मंदिर में प्रसाद के तौर पर दिए जाने लड्डू को लेकर आंध्र प्रदेश में सियासी तूफान उठ खड़ा हुआ है। मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने वाईएस जगन मोहन रेड्डी को घेरते हुए आरोप लगाया कि पिछली वाईएसआरसीपी सरकार ने तिरुमला में तिरुपति लड्डू प्रसादम तैयार करने के लिए घी की जगह जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया। यह प्रसाद भगवान वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में आने वाले करोड़ों भक्घ्तों को दिया जाता है। सीएम नायडू ने आरोप लगाते हुए कहा था कि तिरुमाला के लड्डू भी घटिया सामग्री से बनाए गए थे।
अमरावती में एनडीए विधायक दल की बैठक को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने यह भी कहा था कि लड्डू तैयार करने के लिए अब शुद्ध घी का इस्तेमाल किया जा रहा है और मंदिर में हर चीज को सैनिटाइज किया गया है। इससे गुणवत्ता में सुधार हुआ है। आंध्र प्रदेश के आईटी मंत्री नारा लोकेश ने एक्स पर चंद्रबाबू नायडू की टिप्पणी को शेयर करते हुए इस मुद्दे पर जगन मोहन रेड्डी पर निशाना साधा और कहा कि वाईएसआरसीपी सरकार भक्तों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान नहीं कर सकती। नारा लोकेश ने लिखा, ‘तिरुमाला में भगवान वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर हमारा सबसे पवित्र मंदिर है। मैं यह जानकर हैरान हूं कि जगन प्रशासन ने तिरुपति प्रसादम् में घी की जगह जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया। जगन और वाईएसआरसीपी सरकार पर शर्म आती है, जो करोड़ों भक्तों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान नहीं कर सके।’सीएम चंद्रबाबू नायडू के इन आरोपों से आंध्र प्रदेश की सियासत में तूफान खड़ा हो गया है। इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए आंध्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एपीसीसी) की
अध्यक्ष वाईएस शर्मिला ने एक्स पर लिखा कि चंद्रबाबू नायडू को एक हाई-लेवल कमेटी बनानी चाहिए और केंद्रीय जांच ब्यूरो को सच्चाई का पता लगाने देना चाहिए। उधर, वाईएसआरसीपी के राज्यसभा सांसद वाईवी सुब्बा रेड्डी ने भी विवाद पर प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि नायडू राजनीतिक लाभ के लिए किसी भी स्तर तक गिर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा करके मुख्यमंत्री ने दिव्य मंदिर तिरुमाला की पवित्रता और करोड़ों हिंदुओं की आस्था को ठेस पहुंचाया।
सीएम नायडू के इस बयान पर जगन मोहन रेड्डी की पार्टी ने जवाब दिया। इसमें कहा गया कि चंद्रबाबू नायडू ने दिव्य मंदिर तिरुमाला की पवित्रता और करोड़ों हिंदुओं की आस्था को नुकसान पहुंचाकर बहुत बड़ा पाप किया है। चंद्रबाबू नायडू द्वारा तिरुमाला के प्रसाद पर की गई टिप्पणी बेहद घटिया है। मनुष्य जन्म में जन्मा कोई भी व्यक्ति ऐसे शब्द नहीं बोलता और न ही ऐसे आरोप लगाता है। एक बार फिर यह साबित हो गया है कि राजनीति के लिए चंद्रबाबू कुछ भी गलत करने से नहीं हिचकिचाएंगे। रेड्डी ने कहा कि भक्तों की आस्था को मजबूत करने के लिए मैं और मेरा परिवार तिरुमाला प्रसाद के मामले में शपथ लेने के लिए तैयार है। क्या चंद्रबाबू भी अपने परिवार के साथ शपथ लेने के लिए तैयार हैं?
आपको बता दें कि देश के बड़े मंदिरों में एक श्री वेंकटेश्वर मंदिर आंध्र प्रदेश के तिरुपति जिले में तिरुमाला पहाड़ी पर बना है। यह तिरुपति बालाजी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित है। इन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। मान्यता है कि भगवान वेंकटेश्वर ने लोगों को कलियुग के कष्टों और परेशानियों से बचाने के लिए अवतार लिया था। एक रिपोर्ट के अनुसार यहां बालों का दान किया जाता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति अपने मन से सभी पाप और बुराइयों को यहां छोड़ जाता है, उसके सभी दुःख देवी लक्ष्मी खत्म कर देती हैं। इसलिए यहां अपनी सभी बुराइयों और पापों के रूप में लोग अपने बाल छोड़ जाते हैं।
भक्तों को नहीं दिया जाता तुलसी पत्र। सभी मंदिरों में भगवान को चढ़ाया गया तुलसी पत्र बाद में प्रसाद के रूप में भक्तों को दिया जाता है। अन्य वैष्णव मंदिरों की तरह यहां पर भी भगवान को रोज तुलसी पत्र चढ़ाया तो जाता है, लेकिन उसे भक्तों को प्रसाद के रूप में नहीं दिया जाता। पूजा के बाद उस तुलसी पत्र को मंदिर परिसर में मौजूद कुएं में डाल दिया जाता है। भगवान विष्णु को कहते हैं वेंकटेश्वरः इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह मेरू पर्वत के सप्त शिखरों पर बना हुआ है, इसकी 7 चोटियां शेषनाग के सात फनों का प्रतीक कही जाती हैं। इन चोटियों को शेषाद्रि, नीलाद्रि, गरुड़ाद्रि, अंजनाद्रि, वृषटाद्रि, नारायणाद्रि और व्यंकटाद्रि कहा जाताहै।इनमें से व्यंकटाद्रि नाम की चोटी पर भगवान विष्णु विराजित हैं और इसी वजह से उन्हें व्यंकटेश्वर के नाम से जाना जाता है।
तिरुपति देवस्थानम् के प्रसाद के लड्डुओं में पशु चरबी और मछली के तेल की मौजूदगी मिलने से करोड़ों शाकाहारी श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास पर गहरा आघात भरा धक्का लगा है इस तरह की गड़बड़ी बताती है कि भ्रष्टाचार हमारे समाज की जड़ों में कितना गहरे तक आ चुका है कि मंदिर के प्रसाद के तैयारी के घई में भी चरबी के घई का इस्तेमाल कर दिया गया। यह करोड़ों हिन्दू श्रद्धालुओं की आस्था से धोखा है इसकी सघन जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए। (हिफी)

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