थाईलैण्ड व कम्बोडिया में ट्रम्प का सीजफायर फेल

अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दुनिया के हर बड़े मंच पर कई युद्ध को रोकने का दावा कर रहे हैं। ट्रंप का कहना है कि उनकी पहल और मध्यस्थता के चलते कई देशों के बीच युद्ध रुका है। इनमें थाईलैंड और कंबोडिया का युद्ध भी शामिल है। डोनाल्ड ट्रंप की पहल पर ही दोनों देशों के बीच सीजफायर को लेकर समझौता हुआ था लेकिन नवंबर में हुए इस समझौते के बाद एक बार फिर थाईलैंड और कंबोडिया के बीच जंग की शुरुआत हो गई है। थाईलैंड ने कंबोडिया के साथ लगते बॉर्डर के इलाके में एयर स्ट्राइक की है। तनाव बढ़ने के बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे पर पहले हमला करने का आरोप लगाया। बता दें कि इसी साल जुलाई में दोनों देशों के बीच क्षेत्रीय विवादों के कारण पांच दिनों तक लड़ाई हुई थी,जिसमें दर्जनों सैनिक और नागरिक मारे गए थे। थाई सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल विंथाई सुवारी ने कहा कि कंबोडियाई सैनिकों ने हमारे कई इलाकों में पहले गोलीबारी की। उन्होंने कहा कि इस गोलीबारी में थाईलैंड का एक सैनिक मारा गया और चार अन्य सैनिक घायल हो गए। गोलीबारी के बीच प्रभावित इलाकों से नागरिकों को निकाला जा रहा है। उन्होंने कहा कि थाईलैंड ने कंबोडियाई हमलों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाया और कंबोडिया के कई इलाकों में सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने के लिए विमानों का इस्तेमाल किया।
उधर, कंबोडियाई रक्षा मंत्रालय की प्रवक्ता माली सोचियाता ने कहा कि थाई सेना ने पहले कंबोडियाई सैनिकों पर हमला किया। उन्होंने कहा कि कंबोडिया ने 8 दिसम्बर को शुरुआती हमलों के दौरान जवाबी कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा, कंबोडिया थाईलैंड से आग्रह करता है कि वह क्षेत्र में शांति और स्थिरता को खतरे में डालने वाली सभी शत्रुतापूर्ण गतिविधियों को तुरंत बंद करे।
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच 800 किलोमीटर लंबी सीमा को लेकर दशकों से विवाद बना हुआ है। दोनों देशों के बीच विवाद 1904-1907 के फ्रांसो-सियामी संधि के बाद पैदा हुआ, जब फ्रांस ने कंबोडिया (तत्कालीन फ्रेंच इंडोचाइना) और सियाम (आधुनिक थाईलैंड) के बीच बॉर्डर निर्धारित की थी। इस संधि के आधार पर बॉर्डर को प्राकृतिक जल विभाजक रेखा के अनुसार खींचा गया, लेकिन थाईलैंड ने बाद में इन नक्शों को अस्वीकार कर दिया।



