लेखक की कलम

ट्रम्प की बादशाहत को चुनौती

अमेरिका के दूसरी बार राष्ट्रपति बने डोनाल्ड ट्रम्प इस बार विवादों मंे ज्यादा घिरे हैं। उनकी यह नीति कि अमेरिका फस्र्ट किसी हद तक सही मानी जा सकती है। इसके चलते उन्हांेने अप्रवासियों पर कई तरह से प्रतिबंध भी लगाए लेकिन इसी बीच उनकी तानाशाही प्रवृत्ति भी दुनिया ने देखी है। इजरायल और हमास की लड़ाई में अमेरिका ने ईरान को घसीटा और उस पर हमला किया। कई देशों ने इसका विरोध किया लेकिन कोई भी बड़ा देश खुलकर ईरान के पक्ष मंे नहीं खड़ा हुआ। इससे डोनाल्ड ट्रम्प समझने लगे कि दुनिया मंे एकध्रुवीय व्यवस्था कायम है। इसका सबसे पहले विरोध तो भारत ने किया। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के चलते अमेरिका ने रूस पर प्रतिबंध लगाए। इसके साथ ही दूसरे देशों द्वारा रूस का बहिष्कार करने का भी अनुचित प्रयास किया। भारत चीन के बाद रूस से सबसे ज्यादा तेल खरीदता है। अमेरिका ने धमकी दी कि भारत रूस से तेल खरीदना जारी रखेगा तो उस पर भारी भरकम टैरिफ लगा देगा। भारत ने ट्रम्प की धमकी को नजरंदाज कर दिया। ट्रम्प ने 25 फीसद अतिरिक्त टैरिफ लगाकर कुल टैरिफ 50 फीसद कर दिया। इसके बाद भी भारत ने अपना इरादा नहीं बदला है। अमेरिका की बादशाहत खत्म करने की संभवतः यही शुरुआत थी। इसके बाद चीन ने सुनियोजित प्रयास शुरू किये। अपने देश के विजय दिवस समारोह मंे अमेरिका के धुर विरोधी उत्तर कोरिया के राष्ट्रपति किमजोंग को बुलाया। इसी समारोह के बाद रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन ने डोनाल्ड ट्रम्प को खुली चुनौती दी है कि अब विश्व एकध्रुवीय नहीं रह गया है अर्थात अमेरिका अपने को एकमात्र छत्रप न समझे। उधर, डोनाल्ड ट्रम्प और ज्याद चिढ़ गये हैं। उन्होंने भारत पर विशेष रूप से निशाना साधा और कहा कि अभी टैरिफ में और ज्यादा बढ़ोत्तरी की सकती है। हालांकि वहां सुप्रीम कोर्ट का फैसला अभी आना है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने एक बयान से दुनिया भर में खलबली पैदा कर दी है। पुतिन ने चीन दौरे के समापन पर एक प्रेस वार्ता में कहा कि अब एकध्रुवीय विश्व व्यवस्था को समाप्त हो जाना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि एक बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था की आवश्यकता है, जिसमें किसी भी देश का वर्चस्व न हो और सभी राष्ट्र समान अधिकार के साथ सहभागिता करें। पुतिन के इस ऐलान से अमेरिका और डोनाल्ड ट्रंप की बादशाहत को बड़ा खतरा पैदा हो गया है। पुतिन ने अमेरिका का नाम लिए बगैर कहा, एकध्रुवीय दुनिया अन्यायपूर्ण है, यह स्पष्ट है। हम अपने रिश्ते इस विचार पर विकसित कर रहे हैं कि दुनिया बहुध्रुवीय होनी चाहिए, जिसमें सभी देश बराबर हों। उन्होंने इस नई व्यवस्था में ब्रिक्स और एससीओ जैसे संगठनों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि यह बदलाव धीरे-धीरे आकार ले रहा है। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स और एससीओ में कोई भी यह नहीं कह रहा कि इस नई बहुध्रुवीय व्यवस्था में कोई नया वर्चस्व होना चाहिए।
पुतिन ने भारत और चीन जैसे आर्थिक दिग्गजों का उल्लेख करते हुए कहा कि हां, भारत और चीन जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं…और हमारा देश भी क्रय शक्ति समानता के आधार पर शीर्ष चार में है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कोई देश राजनीति या वैश्विक सुरक्षा पर हावी हो। पुतिन के इस बयान को यूक्रेन युद्ध पर पश्चिमी प्रतिबंधों और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ की पृष्ठभूमि में देखा जा रहा है। विशेष रूप से भारत और चीन पर लगाए गए टैरिफ को लेकर रूस ने एकध्रुवीय सोच की आलोचना की है। भारत पर अमेरिकी टैरिफ अब 50 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जिसमें 25 फीसद अतिरिक्त शुल्क केवल रूसी तेल खरीदने के कारण लगाया गया है।पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई अनौपचारिक बातचीत का भी उल्लेख किया, जो एससीओ सम्मेलन स्थल से होटल तक कार यात्रा के दौरान हुई। पुतिन ने कहाकि उन्होंने मोदी को अलास्का में हाल ही में ट्रंप से हुई बातचीत की जानकारी दी।ष्यह कोई रहस्य नहीं है। मैंने उन्हें (मोदी) अलास्का में हुई बातचीत के बारे में बताया। पुतिन ने चीन यात्रा को बहुत सकारात्मक बताया और कहा कि सभी प्रतिभागियों द्वारा अपनाए गए दस्तावेज दूरदर्शी और भविष्य के लिए दिशा देने वाले हैं। इसी के बाद अमेरिका द्वारा भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाए जाने के सवाल पर पुतिन ने कहा कि अब औपनिवेशिक युग समाप्त हो चुका है। कोई किसी पर हावी नहीं हो सकता। पुतिन ने कहा कि वैश्विक राजनीति या सुरक्षा पर कोई भी देश वर्चस्व स्थापित नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि भले ही भारत और चीन जैसे आर्थिक महाशक्तियां उभर रही हैं, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं होना चाहिए कि उनके खिलाफ दबाव या दंडात्मक नीति अपनाई जाए। पुतिन का यह संदेश ट्रंप और अमेरिका के लिए है।
उधर, ट्रम्प चिढ़ रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को रूस से तेल खरीदना जारी रखने पर अभी और अधिक टैरिफ लगाने की धमकी दी है। ट्रंप ने यह धमकी पीएम मोदी के चीन दौरे के बाद दी है। ट्रम्प ने कहा अभी तक दूसरे या तीसरे चरण के प्रतिबंध नहीं लगाए हैं। यानि अभी दूसरा और तीसरा चरण बाकी है। व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में पोलैंड के राष्ट्रपति करोल नवरोकी के साथ द्विपक्षीय बैठक के दौरान ट्रंप ने भारत पर अभी और अधिक प्रतिबंध लगाने की धमकी दी है। उनसे एक पोलिश पत्रकार ने पूछा था कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रति ट्रंप की कथित निराशा के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इस सवाल से ट्रंप बौखला गए। उन्होंने कहा, आप कैसे कह सकते हैं कि कोई कार्रवाई नहीं हुई? भारत, जो चीन के बाद रूस का दूसरा सबसे बड़ा तेल खरीदार है, उस पर प्रतिबंध लगाया गया है। इससे रूस को सैकड़ों अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। यह कोई कार्रवाई नहीं है? और अभी तो मैंने अगला चरण लागू ही नहीं किया है।
उधर, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के फैसले को अमेरिका की संघीय अदालत खारिज कर चुकी है। कोर्ट ने साफ कह दिया है कि राष्ट्रपति को यह अधिकार नहीं है। अब इस मामले में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने टैरिफ से जुड़े इस अहम मामले में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। ट्रंप प्रशासन चाहता है कि सुप्रीम कोर्ट यह स्पष्ट करे कि राष्ट्रपति को संघीय कानून के तहत व्यापक आयात शुल्क लगाने का अधिकार है या नहीं? अमेरिका का सुप्रीम कोर्ट अब ये तय करेगा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा विभिन्न देशों पर लगाया गया टैरिफ वैध या अवैध?…इसलिए अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर दुनिया की निगाहें टिकी हैं।
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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