चीन की सैन्य ताकत से है ट्रम्प की असली लड़ाई

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आने वाले सामानों पर 104 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। यह फैसला अमेरिका और चीन के बीच चल रहे ट्रेड वार को और तेज करने वाला है लेकिन क्या यह सिर्फ व्यापार का मुद्दा है? ट्रंप के बयानों से साफ है कि उनकी असल लड़ाई चीन की बढ़ती सैन्य ताकत से है। दूसरी ओर, मशहूर अमेरिकी अर्थशास्त्री जेफरी सैक्स ने हाल ही में कहा कि अमेरिका हर हाल में दुनिया का नंबर वन रहना चाहता है और चीन ने इस सोच को चुनौती दी है। सैक्स ने यह भी चेतावनी दी कि अगर भारत भी आगे बढ़ा तो अमेरिका उसके खिलाफ भी हो सकता है।
ट्रंप ने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के सामने एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा, ‘मैं नहीं चाहता कि चीन अमेरिका के साथ व्यापार से कमाए 500-600 अरब डॉलर को अपनी सेना पर खर्च करे। वे ऐसा कर रहे हैं और यह वैश्विक स्थिरता के लिए खतरा है। वह बहुत पैसा खर्च कर रहा है। हम भी कर रहे हैं। मैंने राष्ट्रपति शी से कहा था कि यह पैसा हमें कभी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।’ ट्रंप का मानना है कि चीन का व्यापारिक फायदा उसकी सेना को मजबूत कर रहा है, जो अमेरिका को मंजूर नहीं। ट्रंप ने चीन के खिलाफ 104 फीसद टैरिफ का हथियार उठाया है। डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले से लगता है कि वह चीन की सैन्य ताकत पर लगाम लगाने के लिए ऐसा कर रहे हैं। चीन पर पहले 20 फीसदी टैरिफ लगा था। 2 अप्रैल को ‘लिबरेशन डे’ पर ट्रंप ने 34 फीसद टैरिफ लगाया था। चीन ने भी इसके जवाब में 34 परसेंट टैरिफ लगाया, जिससे भड़के अमेरिका ने अब 50 फीसद और जोड़ दिया। इससे चीन पर अमेरिका का टैरिफ 104 फीसद हो गया है। यह आंकड़ा अमेरिकी इतिहास में सबसे बड़ा टैरिफ माना जा रहा है। जानकारों का कहना है कि यह कदम व्यापार से ज्यादा चीन की सैन्य तैयारियों को रोकने की कोशिश है। ट्रंप का साफ कहना है कि चीन जितना कम कमाएगा, उसकी सेना उतनी ही कमजोर होगी लेकिन सवाल यह है कि क्या इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को भी नुकसान नहीं होगा?