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क्या इस बर्बरता का कोई इलाज नहीं?

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)

अब तो इंसान के वेश में छिपे दरिंदे वह सब कुछ कर रहे हैं जो पुराणों में दर्ज राक्षसों ने भी शायद नहीं किया होगा। लिव इन पार्टनर प्रेमिका अथवा पत्नी को मारकर उस के टुकड़े करने की कड़ी में हाल ही में और भी अधिक पाशविक वीभत्स वारदात सामने आई है। इस वारदात में एक दरिंदे ने अपनी लिव इन पार्टनर की हत्या कर उसके सौ टुकड़े कर टुकड़ों को प्रेशर कुकर में उबाला। मिक्सी में पीसा और फिर कुत्तों को खिलाया। बेहद बर्बरता हैवानियत से भरी इस तरह की वारदातें पिछली हर वारदात से अधिक क्रूरता व नृशंसता के साथ दरिंदगी की नई परिभाषा गढ़ रही ंहैं। दिल्ली में श्रद्धा वालकर की आफताब पूना वाला ने हत्या कर लाश के टुकड़े फ्रीज में रखने की वारदात के बाद इस तरह की बर्बर वारदातों की लंबी चैन बन गयी है हर वारदात पहली वारदात से अधिक क्रूर और बर्बरता भरी है। इंसानियत के नाम पर बदनुमा कलंक है।
आप को बता दें कि ताजा वारदात मुंबई से सामने आयी है, जहां एक सनकी आशिक ने अपनी लिव-इन पार्टनर की बेरहमी से हत्या कर दी। आशिक से जानवर बने इस हैवान ने मशीन से गर्लफ्रेंड के करीब सौ टुकड़े किए और उसके बाद उसे कुकर में उबाल दिया। मुंबई के मीरा रोड इलाके में रहने वाले एक शख्स ने अपनी लिव-इन पार्टनर की हत्या कर दी, बाद में उसके शरीर को कुकर में पकाकर और मिक्सर में पीसकर उसके शरीर को ठिकाने लगाया गया। यह घटना बहुत ही वीभत्स, अमानवीय और निंदनीय है।
नृशंसता और अमानवीयता की बेहद शर्मसार करने वाली यह हृदय विदारक वारदात मीरा भायंदर फ्लाईओवर के पास गीता नगर फेस-7 में हुई है जहां 56 साल के मनोज साहनी और उसकी रूम पार्टनर 32 साल की सरस्वती वैद्य एक साथ लिव इन में रहते थे। यह जोड़ा पिछले तीन साल से यहां लिव इन रिलेशनशिप में रह रहा था। बुधवार 7 जून को इस बिल्डिंग में रहने वाले पड़ोसियों को घर से बदबू आने लगी। तभी उन्होने इसकी सूचना नयानगर पुलिस थाने को दी। नयानगर पुलिस के घर में घुसने के बाद इस घटना का पता चला। पुलिस ने मौके से आरोपी को हिरासत में लिया है। इस मामले में देर रात तक नयानगर पुलिस थाने में हत्या का मामला दर्ज करने की प्रक्रिया चल रही थी। आरोपी ने शव को ठिकाने लगाने के लिए उसके टुकड़े-टुकड़े कर दिए थे। जानकारी के मुताबिक इन टुकड़ों को कटर मशीन से काटा गया। पुलिस हत्या के कारणों की जांच में जुट गई है।
सूत्रों के मुताबिक आरोपी मनोज साहनी को शक था कि मृतका सरस्वती वैद्य का कहीं और अफेयर चल रहा है और इसलिए पिछले 3-4 दिनों से दोनों में मारपीट होने लगी थी। अब इस हैवान दरिंदे ने कहा है कि मृतका सरस्वती वैद्य ने दो-तीन दिन पहले जहर खाकर अपनी जान ले ली थी। इस डर से कि पुलिस उसे उसकी आत्महत्या के लिए दोषी ठहराएगी, आरोपी मनोज ने सरस्वती के शव को ठिकाने लगाने का मंसूबा बना लिया और यह इतना भयानक था कि यह मानवता के लिए बेहद ही शर्मिंदगी भरा था। पुलिस को आरोपी मनोज साहनी के घर के अंदर से खून से भरी हुई बाल्टियां मिली हैं, जिनमें मृतक महिला सरस्वती के शरीर के कई टुकड़े पड़े हुए थे। हॉल में तीन चेनशॉ (पेड़ काटने वाली मशीन) पड़े हुए थे और बेडरूम में काले रंग की ढेर सारी पॉलीथीन फैली हुई थीं। पुलिस का कहना है कि घर में इतनी बदूब फैली हुई थी कि सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था। घर में ढेर सारे एयर फ्रेशनर भी मिले है।
पुलिस का कहना है किचन में तीन बाल्टी मिली हैं जिनमें खून भरा हुआ था और सरस्वती के शव को छोटे-छोटे टुकड़ों में करके उन बाल्टियों में भार गया था। टुकड़े खून में डूबे हुए थे। मृतक महिला सरस्वती के बाल बेडरूम में रखे मिले हैं। हॉल से तीन कटरमशीन कमरे में ढेर सारी काले रंग की पॉलीथीन और कई एयर फ्रेशनर भी मिले हैं।पुलिस ने जांच पड़ताल की तो सामने आया है कि मनोज साने लिव इन पार्टनर सरस्वती के शव के टुकड़ों में बांटने के बाद उन टुकड़ों को प्रेशर कुकर में उबाला करता था फिर इन टुकड़ों को आवारा कुत्तों को खिला दिया करता था. ऐसा कहा जा रहा है कि ऐसा वह इसलिए करता था कि उबालने से घर से बदबू नहीं आए और कुत्तों को खिलाने से किसी को सरस्वती की हत्या का पता नहीं चलेगा।
जानकारी के मुताबिक आरोपी ने शव को ठिकाने लगाने के लिए कटर मशीन से उसके टुकड़े-टुकड़े करने शुरू कर दिए थे. फिर टुकड़ों को कुकर में उबालता और फिर मिक्सर में डालकर, पीसकर फेंक देता था।सोसायटी के पिछले गटर में भी कुछ हिस्सा आरोपी ने फेंका था. वह शरीर के अंगों को फेंकने के लिए अपनी बाइक का इस्तेमाल करता था। पुलिस का माननाहै हत्या 3-4 दिन पहले की गई हो ऐसा लग रहा है. फिलहाल शव के टुकड़ों को इकठ्ठा कर पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया। मौके पर फोरेंसिक टीम को भी बुलाया गया। फ्लैट से अन्य सबूत भी इकठ्ठा किए गए। आरोपी गिरफ्तार किया गया है और उससे पूछताछ करने पर पता चला है कि इंसान के वेश में शैतान भी पनपते हैं। हत्यारोपी मनोज बोरीवली एरिया में दुकान चलाता है। पता लगाया जा रहा है कि दुकान किसकी है। मनोज के बारे में अधिक जानकारी निकाली जा रही है।
इस वारदात ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि लोगों के दिल में कानून का पुलिस का जरा सा भी खौफ नहीं रह गया है। यदि लोगों के दिल में कानून और पुलिस का जरा सा भी खौफ बाकी रहा होता तो इस तरह की घटनाएं कदापि अस्तित्व में नहीं आती। दरअसल कत्ल तथा अन्य दूसरे संगीन मामलों में भी समयबद्ध सुनवाई नहीं होने और 10- 20 साल तक भी दोषियों को दंड नहीं मिलने के कारण समाज में ऐसी स्थिति बनी है कि अब लोगों को पुलिस और कानून का कोई भय नहीं रह गया है आम आदमी भी पेशेवर अपराधी की तरह से हैवानियत की नई परिभाषाएं लिख रहे है यह एक हिंसा की ओर प्रवृत्त समाज की पहचान है। इन वारदातों से लगता है कि हम आदिम युग की ओर लौट रहे हैं जिसमें ना कोई कानून था न कोई संविधान न अदालत न वकील न न्यायाधीश सिर्फ मनमानी है अपराध है।
इस तरह की हैवानियत भरी वारदातें इक्कीसवीं सदी में भी आदिमयुग का हवाला दे रही हैं। क्या यह सब हालात हमारे तमाम सिस्टम कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान नहीं है? इस तरह की वारदातों को अंजाम देने वाले अपराधियों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई कर एक पखवाड़े के भीतर फांसी की सजा देनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है तो कानून और व्यवस्था के अहलकारो का कोई अर्थ नहीं है। आखिर कब तक खूनी भेड़िये महिलाओं युवतियों के साथ मनमानी कर उनकी नृशंसता से हत्या कर शव के टुकड़े काटने की हैवानियत करते रहेंगे? क्या पुलिस कानून और अदालतें दरिंदों के खिलाफ कई कई साल तक सबूत जुटाने और फिर उन्हें अदालत में साबित करने में ही बरसों खेल करती रहेंगी? आखिर दरिंदगी की शिकार बनी इन अभागी युवतियों को न्याय कब मिलेगा? आखिर यह दरिंदगी बर्बरता का सिलसिला कब तक चलेगा? (हिफी)

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