अखिलेश का नैमिष चिंतन

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
उत्तर प्रदेश का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल नैमिषारण्य ऋषि-मुनियों की तपस्थली रहा है लेकिन सत्यनारायण कथाव्रत के अनुसार इसी नैमिष मंे शौनक आदि 88 हजार ऋषियों ने सूत जी से कथा सुनी। कथा में देवर्षि नारद ने भगवान विष्णु से नाना प्रकार के कष्ट भोगने वाले इंसानों के खुशहाल होने का उपाय भी पूछा था। संभवतः यही कारण रहा कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सीतापुर जिले के नैमिषारण्य मंे दो दिवसीय कैडर ट्रेनिंग कैम्प का आयोजन किया था। समाजवादी पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनावों मंे यूपी की सभी 80 सीटों को जीतने का ‘मिशन-2024 लांच किया है। इसके लिए कैडर को मजबूत करने और बूथ प्रबंधन को शीर्ष प्राथमिकता दी गयी है। निश्चित रूप से कोई भी संगठन अपने कार्यकर्ताओं के बल पर ही मजबूत होता है। चुनाव मंे कार्यकर्ता और बूथ प्रबंधन अहं भूमिका निभाता है। अखिलेश के नैमिष चिंतन से यह एक अच्छी बात सामने आयी है। इसके अलावा विपक्षी दलों की एकता कैसी हो सकती है, इस पर भी पवित्र नैमिष क्षेत्र मंे चिंतन किया गया। समाजवादी पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव में पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक अर्थात पीडीए के फार्मूले पर काम करना चाहती है लेकिन कमोवेश यही फार्मूला प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बसपा का भी है।
दोनों के एक होने मंे यह बड़ी बाधा
भी होगी। एक समस्या कांग्रेस को
लेकर भी है। बसपा प्रमुख मायावती नहीं चाहतीं कि कांग्रेस के साथ विपक्षी महागठबंधन बने। जयंत चैधरी का राष्ट्रीय लोकदल बेहतर सौदेबाजी की प्रतीक्षा करेगा।
समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय प्रमुख अखिलेश यादव ने ’80 हराओ, बीजेपी हटाओ’ का नारा देने के कुछ दिनों बाद 2024 के लोकसभा चुनावों में सत्ताधारी बीजेपी को हराने की अपनी रणनीति का खुलासा किया। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री ने लखनऊ में आयोजित एक टीवी कार्यक्रम में कहा कि ‘पीडीए यानी पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यकों की एकता राज्य में बीजेपी नीत एनडीए पर भारी पड़ेगी, जो किसी भी अन्य राज्य से ज्यादा 80 सांसद लोकसभा में भेजता है। अखिलेश यादव ने दावा किया कि बीजेपी 2014 में सत्ता में जैसे आई थी, 2024 में उसकी वैसे ही विदाई होगी। वहीं संयुक्त विपक्ष को एकजुट करने के लिए किए जा रहे प्रयासों को उनके विचार के बारे में पूछे जाने पर सपा प्रमुख ने कहा कि उनका एकमात्र नारा है, ’80 हराओ, भाजपा हटाओ।’ अखिलेश यादव ने इसके साथ ही सपा मुख्यालय से जारी एक बयान में उत्तर प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीट पर भाजपा को हराने का नारा देते हुए कहा कि 2024 में पीडीए- पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यकों की एकता एनडीए- बीजेपी गठबंधन को पराजित करने मंे सफल हो सकती है।’ उन्होंने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में महंगाई, बेरोजगारी, गरीब का सम्मान और उसे न्याय तथा सुविधाएं दिलाना बड़ा मुद्दा होगा तथा गरीब, किसान, नौजवान भाजपा के खिलाफ वोट करेंगे। विपक्षी दलों की एकता के सवाल पर अखिलेश यादव कहते हैं कि ‘विपक्षी एकता का फॉर्मूला यही हो सकता है कि जो दल जिस प्रदेश में मजबूत हो उसको आगे करके ही बाकी दल चुनाव लड़ें। चुनाव और एकता के लिए बड़े दिल की जरूरत होती है। जो दल बीजेपी को हराना चाहते हैं वे समाजवादी पार्टी का साथ देने में बड़ा दिल दिखाएं। समाजवादी पार्टी का लक्ष्य भाजपा को प्रदेश की सभी 80 सीटों पर हराना है। जनता बदलाव चाहती है।’ अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वह विकास लाने में विफल रही है और प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ गई है। उन्होंने कहा, आए दिन दिनदहाड़े हत्या और लूट की वारदातें होती हैं। ‘उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार से क्या उम्मीद की जा सकती है। उनके छह साल के कार्यकाल में न एक जिला अस्पताल बना, न ही कोई एयरपोर्ट बना। प्रदेश में निवेश आने की बड़ी उम्मीदें थीं, हकीकत में निवेशक ढूंढे़ नहीं मिल रहे हैं। समाजवादी सरकार में बिना निवेशक सम्मेलन किए उत्तर प्रदेश में एचसीएल आया, सैमसंग का प्लांट लगा।’
बता दें कि समाजवादी पार्टी ने हाल ही में 2024 के आम चुनावों में उत्तर प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों को जीतने के मकसद से अपना ‘मिशन 2024’ लॉन्च किया है, जिसमें ‘कैडर मजबूती’ और “बूथ प्रबंधन” को शीर्ष प्राथमिकताओं में रखा गया है। इस अभियान के तहत सपा ने सीतापुर जिले के नैमिषारण्य में दो दिवसीय कैडर ट्रेनिंग कैंप का आयोजन किया था। इस दौरान पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव राम गोपाल यादव ने कहा, ‘यह प्रशिक्षण शिविर भाजपा के विनाश की शुरुआत को चिह्नित करेगा जो ‘असुर’ है।’
बसपा प्रमुख मायावती अखिलेश यादव के गठबंधन से परहेज कर सकती है क्योंकि अखिलेश यादव ने गत दिनों आरोप लगाया था कि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अन्दर ही अन्दर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से मिली हुई है और लोगों को चुनाव में बसपा से सावधान रहने के लिए कहा। एक कारण अनुसार आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद का निकाय चुनाव में समाजवादी पार्टी और गठबंधन के प्रत्याशियों को जिताने की अपील करना भी है। सहारनपुर में नगर निगम के सपा महापौर उम्मीदवार नूर हसन मलिक के समर्थन में रोड-शो के बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में अखिलेश यादव ने आरोप लगाया था कि बहुजन समाज पार्टी अन्दर ही अन्दर भाजपा से मिली हुई है और चुनाव में बसपा से सावधान रहना है। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर और डॉ। राम मनोहर लोहिया के विचारों और सिद्धांतों पर चलते हुए सभी लोगों को साथ लेकर चल रही है।
इसीलिए बसपा सुप्रीमो मायावती ने पीडीए (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) की अपने ही ढंग से परिभाषा की है। उन्होंने सपा पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि सपा द्वारा एनडीए के जवाब में पीडीए का राग अलापा जा रहा है। इन वर्गों के अति कठिन समय में भी केवल तुकबंदी के सिवा और कुछ नहीं है। मायावती ने कहा कि इनके पीडीए का वास्तव में अर्थ परिवार दल एलाइंस है जिससे स्वार्थ में यह पार्टी सीमित है। इसलिए इन वर्गों के लोग जरूर सावधान रहें। बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि दलितों और अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रति सपा की सोच नहीं बदली है। यूपी विधान परिषद की दो सीटों के लिए हुए उपचुनाव में हार निश्चित होने के बावजूद सपा ने दलित, ओबीसी उम्मीदवार खड़े किए। उन्हें हराना तथा ज्यादा संख्या बल होने पर इनकी अनदेखी करना यह साबित करता है कि इन वर्गों के प्रति सपा की सरकारी नीति थोड़ी भी नहीं बदली है। सपा की सरकारों के दौरान उनकी ऐसी ही संकीर्ण राजनीति से दलितों, पिछड़ों व अकलियत समाज के लोगों का काफी अहित होता रहा है। इसलिए आगे से नुकसान से बचने के लिए इन वर्गों के लोगों को हमेशा बहुत सावधान रहने की जरूरत है।
ऐसे हालात में नैमिष का तप-चिंतन ही अखिलेश यादव का कुछ भला कर सकता है। (हिफी)