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छत्तीसगढ़ में भी चाचा-भतीजे

 

राजनीति में चाचा-भतीजों का अध्याय बड़ा हो रहा है। एक समय था जब उत्तर प्रदेश में चाचा-भतीजे के महाभारत को मीडिया ने सुर्खियां दीं। इसके बाद महाराष्ट्र में चाचा-भतीजे की सियासत चर्चा में बनी हुई है। विपक्षी दलों का गठबंधन भी उसे समझ नहीं पा रहा है। इसी क्रम में कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में भी चाचा-भतीजे का होने वाला महासमर मीडिया में जोर पकड़ रहा है। छत्तीसगढ़ में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। पिछली बार कांग्रेस ने भाजपा से सत्ता छीन ली थी इसलिए भाजपा पूरा जोर लगा रही है कि उसे फिर सरकार बनाने का मौका मिले। यही कारण है कि भाजपा ने चुनाव की तारीख की घोषणा से पहले ही छत्तीसगढ़ में अपने कई प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर दी है। सबसे ज्यादा चर्चा दुर्ग जिले के पाटन विधानसभा क्षेत्र की हो रही है जहां से कांग्रेस के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विधायक हैं और संभवतः वहीं से फिर चुनाव लड़ंेगे। पाटन विधानसभा सीट पर ही भाजपा ने विजय बघेल को प्रत्याशी घोषित कर दिया है। विजय बघेल रिश्ते में भूपेश बघेल के भतीजे हैं।
विधानसभा चुनाव 2023 के लिए भारतीय जनता पार्टी ने चैकाने वाला निर्णय किया है। बीजेपी ने चुनाव के ऐलान से पहले ही मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कई सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिए हैं। छत्तीसगढ़ में जिन 21 सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए गए हैं, उनमें सबसे ज्यादा चर्चा दुर्ग जिले के पाटन सीट की हो रही है। क्योंकि पाटन से ही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित हुए हैं। भूपेश बघेल की सीट पर बीजेपी ने उनके ही पारिवारिक संबंधी रिश्ते में भतीजे विजय बघेल को प्रत्याशी बनाया है। राजनीतिक लिहाज से विजय बघेल भूपेश बघेल के घोर विरोधी माने जाते हैं।
दुर्ग लोकसभा क्षेत्र से सांसद विजय बघेल के कद का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए उनको छत्तीसगढ़ भाजपा के घोषणा पत्र समिति का संयोजक बनाया गया है। विजय बघेल का नाम छत्तीसगढ़ के सबसे चर्चित उन सांसदों में है, जो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को सीधा निशाना बनाते हैं। विजय बघेल पिछले पांच सालों में सबसे ज्यादा चर्चा में तब आए, जब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के गढ़ दुर्ग में लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सबसे बड़ी जीत मिली। बीजेपी प्रत्याशी विजय बघेल ने कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिमा चन्द्राकर को 3 लाख 88 हजार से अधिक वोंटों से हराया। प्रदेश की सबसे हाई प्रोफाइल संसदीय क्षेत्र में से एक दुर्ग पर सबकी निगाहें टिकी थीं क्योंकि तब माना जा रहा था कि दुर्ग से कांग्रेस प्रत्याशी से ज्यादा राज्य सरकार की साख दांव पर लगी थी। सरल व मिलनसार स्वभाव के विजय बघेल सामाजिक तौर पर भी काफी मजबूत माने जाते हैं। कुर्मी समाज के साथ ही अन्य वर्गों में भी इनकी पकड़ है।
भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारी रहे विजय बघेल साल 2000 में पहली बार नगर पालिका भिलाई-3 चरोदा के अध्यक्ष पद का निर्दलीय चुनाव लड़े और जीते। इसके बाद साल 2003 के विधनसभा चुनाव में पाटन सीट से एनसीपी की टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। इसके बाद उन्होंने 2004 में बीजेपी की सदस्यता ली। रिश्ते में चाचा भूपेश बघेल के खिलाफ उन्होंने 2008 में बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ा और जीते। इस कार्यकाला में वे राज्य सरकार में संसदीय सचिव भी रहे। इसके बाद 2013 के विधानसभा चुनाव में हार मिली।
भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनाव के लिए छत्तीसगढ़ के जिन 21 सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए हैं, उनमें से एक हाई प्रोफाइल सीट खरसिया भी शामिल है। कांग्रेस की सबसे मजबूत सीट मानी जाने वाली खरसिया से बीजेपी ने इस बार मनोज साहू को प्रत्याशी बनाया है। बीजेपी द्वारा चुनाव के ऐलान से पहले ही प्रत्याशियों की पहली सूची जारी होना चर्चा का विषय तो बना ही है, लेकिन इसके साथ ही एक बड़ी चर्चा यह भी है कि आखिर खरसिया सीट से पूर्व आईएएस व मुखर युवा नेता ओम प्रकाश (ओपी) चैधरी का टिकट क्यों काटा गया।
छत्तीसगढ़ में 15 सालों की सत्ता के बाद साल 2018 में बीजेपी को बुरी हार का सामना करना पड़ा और 90 सीटों वाली छत्तीसगढ़ विधानसभा में सिर्फ 15 सीटों पर ही बीजेपी को जीत मिली। इस बुरी हार के बाद बीजेपी का एक बड़ा धड़ा कांग्रेस सरकार के खिलाफ शुरुआती करीब साढ़े 3 सालों तक लगभग शांत ही रहा लेकिन इसके विपरित युवा नेता के तौर पर ओपी चैधरी राज्य की भूपेश बघेल सरकार के खिलाफ तीखे तेवर दिखाते रहे। सरकारी सोसायटियों से किसानों को अघोषित रूप से जैविक खाद खरीदने की अनिवार्यता का मुद्दा भी ओपी चैधरी ने ही उठाया। इतना ही नहीं सरकारी नौकरियों की भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी, कथित शराब घोटाला समेत तमाम मुद्दों पर ओपी चैधरी सोशल मीडिया पर एक्टिव तो रहते ही हैं। इसके अलावा जमीन पर आंदोलनों में भी प्रमुखता से हिस्सा लेते हैं। चैधरी साल 2018 में विधानसभा चुनाव के कुछ महीने पहले ही रायपुर कलेक्टर रहते हुए ही आईएएस से त्यागपत्र दिया और फिर बीजेपी में शामिल हो गए। पार्टी ने उन्हें उनके ही गांव वाले विधानसभा क्षेत्र खरसिया से प्रत्याशी बनाया। पूर्व गृहमंत्री और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और खरसिया से लगातार 22 साल तक विधायक रहे स्वर्गीय नंद कुमार पटेल के बेटे उमेश पटेल से ओपी चैधरी को हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में उमेश पटेल को 22 हजार 823 वोट मिले। जबकि ओपी चैधरी को 18 हजार 300 वोट। अब 2023 चुनाव के लिए इस सीट से मनोज साहू को बीजेपी ने प्रत्याशी बनाया है। बताया जा रहा है कि ओपी चैधरी खरसिया से ज्यादा रायगढ़ जिले की ही एक अन्य सामान्य विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं। बताया जा रहा है कि इसी सीट से ओपी चैधरी को बीजेपी प्रत्याशी बना सकती है। बीजेपी के राष्ट्रीय और राज्य स्तर के आला नेताओं की गुड बुक में भी ओपी चैधरी का नाम शामिल है। इसका ही नतीजा है कि ओपी चाधरी को प्रदेश भाजपा संगठन में महामंत्री जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दो दिवसीय प्रवास पर बस्तर पहुंचे थे। इस दौरान पहले दिन उन्होंने भेंट मुलाकात के जरिए युवाओं से सीधे संवाद किया और उसके बाद बस्तर विधानसभा में करपावंड में जाकर संकल्प शिविर में कार्यकर्ताओं से सीधे मुलाकात की। अपने दौरे के दूसरे दिन मुख्यमंत्री बस्तर जिले के दो विधानसभा में आयोजित संकल्प शिविर में शिरकत करने पहुंचे। संकल्प शिविर के पहले उन्होंने नारायणपुर विधानसभा के भानपुरी स्थित कांग्रेस भवन का उद्घाटन किया और उसके बाद चित्रकूट
विधानसभा के तोकापाल में आयोजित किए गए संकल्प शिविर में पहुंचे।संकल्प शिविर के शुरुआत में मुख्यमंत्री ने सभी कार्यकर्ताओं को शपथ दिलाई, जिसमें उन्होंने सभी कार्यकर्ताओं से कांग्रेस पार्टी के लिए हमेशा समर्पित रहने और विधानसभा व लोकसभा चुनाव में किसी भी व्यक्ति को टिकट मिलने पर उसके लिए पूरी ईमानदारी से काम करने के लिए शपथ दिलवाई। साथ ही साथ अपने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी के द्वारा दी गई लाइन नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान का जिक्र भी इस शपथ ग्रहण में कार्यकर्ताओं के बीच घोषणा करवाया। इस तरह
भूपेश बघेल भी कांग्रेस की ताकत बढ़ाने में जुटे हैं। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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