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पहाड़ की रसोई से विदेश तक पहुंचा उत्तराखंडी जायका, सिलबट्टे पर पीसतीं हैं महिलाएंय

देहरादून। पहाड़ का ‘पिस्यूं लूण’ (पिसा हुआ नमक) नमकवाली ब्रांड के नाम से देशभर में जायका बिखेर रहा है और इसे पहचान दिला रही हैं देहरादून के थानो निवासी शशि बहुगुणा रतूड़ी।
शशि के साथ 15 महिलाएं ‘पिस्यूं लूण’ तैयार कर आर्थिकी को संवार रही हैं। इसके अलावा ‘नमकवाली’ ब्रांड से जुड़कर पहाड़ के कई गांवों की महिलाएं और किसान भी मोटा अनाज, दालें, मसाले व बदरी घी बेच रहे हैं।
खासकर, बदरी गाय के दूध से तैयार घी और मैजिक मसालों की जबर्दस्त मांग है। सिलबट्टे पर पिसे नमक के शौकीन न सिर्फ उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के टीवी कलाकार आशीष बिष्ट, गीता बिष्ट, आर्यन राजपूत, जार्डन आदि हैं, बल्कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी इसे खासा पसंद करते हैं। विदेश में रहने वाले उत्तराखंडवासी भी जब यहां आते हैं तो नमकवाली का पिस्यूं लूण लेना नहीं भूलते।
शशि बहुगुणा महिला नवजागरण समिति के माध्यम से प्रदेशभर में महिला उत्थान और उत्तराखंड की लोक परंपराओं को बचाने के लिए भी काम कर रही हैं। पिस्यूं लूण को घर-घर पहुंचाने की कवायद भी इसी प्रयास का हिस्सा है। शशि बताती हैं, उत्तराखंड के मांगल गीतों को जीवित रखने के लिए उन्होंने एक महिला समूह बनाया है। गीतों के अभ्यास के दौरान एक महिला घर से लूण पीसकर लाती थी, जो सबको बेहद पसंद आया। यहीं से उन्हें पिस्यूं लूण को देश-दुनिया तक पहुंचाने का विचार आया। तीन महिलाओं के साथ लूण पीसने का काम शुरू किया और बिक्री के लिए इंटरनेट मीडिया की मदद ली। धीरे-धीरे नमक की मांग बढ़ने लगी और आज वह महीनेभर में 35 से 40 किलो पिस्यूं लूण बेच रही हैं।
शशि कहती हैं, ‘पिस्यूं लूण का नाम लेते ही देश-विदेश में रहने वाले उत्तराखंडवासियों के जेहन में सिलबट्टे पर नमक पीसती दादी-नानी और मां की यादें ताजा हो जाती हैं। वक्त बीतने के साथ घर तो छूटा ही, सिलबट्टा भी छूट गया। ऐसे में जब भी कोई विदेश से आता है तो हमें पूछता है कि यह लूण देश से बाहर क्यों नहीं मिलता। फिलहाल हमारे पास लाइसेंस नहीं है, लेकिन जल्द हम विदेश तक पहाड़ी लूण का जायका पहुंचाएंगे।

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