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कांग्रेस की यूपी पाॅलिटिक्स

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

देश की राजनीति को देखते हुए उत्तर प्रदेश सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां से 80 सांसद दिल्ली पहुंचते हैं। लगभग चार दशक से यहां कांग्रेस सत्ता से बाहर है लेकिन पार्टी उत्तर प्रदेश को अपना गढ़ मानती है। मौजूदा समय मंे समाजवादी पार्टी (सपा) मुख्य विपक्षी पार्टी है लेकिन सूबे मंे पांच बार सरकार बना चुकीं बसपा प्रमुख मायावती भी यूपी को अपना मजबूत किला मानती है। विपक्षी दलों की एकता का समीकरण यहीं पर सबसे ज्यादा उलझा हुआ है। पहले चर्चा थी कि कांग्रेस और सपा मिलकर 2024 के लोकसभा चुनाव लड़ेंगे लेकिन अभी 8 जून को ही सपा के संस्थापक सदस्यों मंे गिने जाने वाले पूर्व राज्य मंत्री सीपी राय और सीतापुर के पूर्व विधायक राकेश राठौर ने अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली है। इन लोगों ने संकल्प लिया है कि पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व मंे जनता के हक के लिए संघर्ष करेंगे। सीपी राय कहते हैं कि वह जन्म से ही समाजवादी रहे लेकिन सपा में अब न समाजवाद है और न ही विचारधारा बची है। सपा का नैमिषारण्य मंे कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर साफ्ट हिन्दुत्व माना जा रहा है। वैसे विपक्षी दलों को यह पता है कि बिना हिन्दुत्व का सहारा लिये भाजपा का मुकाबला नहीं किया जा सकता। कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़ मंे भी रामायण महोत्सव और रामजी की माता कौशल्या की जन्मस्थली का विकास हो रहा है। कांग्रेस ने यूपी मंे एक बड़ा फैसला यह भी लिया है कि राहुल गांधी को जिस अमेठी से पराजय मिली, वहां से नेहरू-गांधी परिवार से कोई प्रत्याशी नहीं उतारा जाएगा। महागठबंधन की बात भी कांग्रेस कर रही है। बसपा प्रमुख मायावती ने तो अकेले ही चुनाव लड़ने की घोषणा कर रखी है। पटना मंे 23 जून को विपक्षी दलों की बैठक
होनी है।
लोकसभा 2024 के लिए कांग्रेस ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। आगामी आम चुनाव में एक साल से भी कम का वक्त बचा हुआ है। इस बीच खबर है कि आगामी लोकसभा चुनाव में अमेठी से कांग्रेस, गांधी-नेहरू परिवार से कोई प्रत्याशी नहीं उतारेगी। दरअसल, लोकसभा चुनाव के संदर्भ में कांग्रेस की बैठक हुई है। इस बैठक में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी भी मौजूद थीं। इस बैठक में अमेठी और रायबरेली लोकसभा सीट पर पार्टी की रणनीति और प्रियंका गांधी वाड्रा के चुनाव लड़ने पर चर्चा हुई। सूत्रों के अनुसार यह तय किया गया है कि नेहरू गांधी परिवार का कोई भी सदस्य इस बार अमेठी सीट से लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेगा। अमेठी सीट को लेकर परिवार और कांग्रेस पार्टी में अब कोई खास दिलचस्पी भी नहीं रह गई है। महागठबंधन होने पर कांग्रेस अमेठी की सीट को लेकर प्रभावशाली तरीके से दावेदारी भी नहीं करेगी। ज्यादा संभावना इसी बात की है कि महागठबंधन होने पर कांग्रेस यह सीट सहयोगी दलों के लिए छोड़ सकती हैं। वहीं रायबरेली सीट को लेकर पार्टी अभी किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंची है। सूत्रों ने दावा किया कि गठबंधन होने पर कांग्रेस रायबरेली सीट से अपना उम्मीदवार उतारेगी। सोनिया गांधी के चुनाव लड़ने पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है। सोनिया चुनाव नहीं लड़ी तो नेहरू गांधी परिवार का कोई करीबी रायबरेली से कांग्रेस उम्मीदवार बनेगा। दावा किया गया कि सोनिया गांधी के साथ हुई पार्टी के बड़े नेताओं की बैठक में यह फैसला लिया गया है। उधर प्रियंका गांधी वाड्रा को लेकर सूत्रों की ओर से दावा किया गया है कि वह आगामी चुनाव नहीं लड़ेंगी। बैठक में फैसला लिया गया है कि वह आगामी चुनाव में सिर्फ यूपी तक सीमित नहीं रहेंगी।
लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी समाजवादी पार्टी का नैमिषारण्य में प्रशिक्षण शिविर चल रहा है, जिसमें कार्रकर्ताओं को आगे की चुनावी रणनीति को लेकर जानकारी दी जा रही है। इस कार्यक्रम में सपा नेता रामगोपाल यादव भी शामिल हुए और कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र दिया। रामगोपाल यादव ने कहा कि समाजवादियों का इतिहास बहुत शानदार रहा है। नए और पुराने कार्यकर्ता को याद रखना होगा कि जो सुनहरे अतीत को याद नहीं रखता, वो देश के सुनहरे भविष्य का निर्माण भी नहीं कर सकता।
रामगोपाल यादव ने इस दौरान डॉ. लोहिया और जेपी के मूवमेंट का भी जिक्र किया कि कैसे उन्होंने समाजवाद की विचारधारा को आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा बीजेपी देश को बंटवारें की तरफ ले जा चुकी है। देश प्रदेश को बचाने के लिए सपा को अपनी भूमिका निभानी होगी। सपा नेता ने इस दौरान कार्यकर्ताओं को भितरघात और खेमेबंदी को खत्म करने का पाठ भी पढ़ाया और कहा कि अगर आप ठीक तरीके से काम करेंगे तो जीतेंगे। देर लग सकती है, लेकिन पार्टी के लिए मेहनत करने वाले कार्यकर्ता का पार्टी ध्यान रखती है। बूथ का स्थान क्या हो और आपके हित में है तो बदलने न पाए इस पर आपको ध्यान देना होगा। सावधान रहना होगा, जब तक आप हर बूथ पर अलर्ट नहीं रहेंगे तो जितना मुश्किल होगा। रामगोपाल यादव ने एक खास बात यह कही कि हम पैसे से जीत नहीं सकते, मीडिया के जरिए अपनी बात नहीं कह सकते इसलिए आपसी मतभेद भुलाकर बीजेपी जैसी चालाक पार्टी से जीतना होगा। अपने मन से बैर निकाल दीजिए। अगर कोई भी कमी हो तो उसे पार्टी को बताइए, पार्टी को हराने की कोशिश मत करिए।
यूपी की अन्य बड़ी विपक्षी पार्टी बसपा भी खामोश नहीं बैठी है। बिजनौर से बीएसपी सांसद मलूक नागर ने विपक्षी एकता पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गठबंधन बनाने की तैयारी में हैं। नीतीश कुमार ने कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी मुलाकात की है। 23 जून को पटना में उन्होंने विपक्षी दलों का महासम्मेलन बुलाया है लेकिन उत्तर प्रदेश में दलितों की राजनीति करने वाली बीएसपी सुप्रीमो मायावती को आमंत्रित नहीं किया है। बसपा सांसद ने कहा कि नीतीश कुमार की अखिलेश यादव, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे समेत कई विपक्षी नेताओं से बात हुई है। महासम्मेलन में मायावती को निमंत्रण नहीं मिलने पर बसपा सांसद बेफिक्र नजर आए। उन्होंने कहा कि हमारी नेता बहन मायावती को परवाह नहीं है। हम केवल देश और देश हित को देखकर फैसला लेते हैं। बीएसपी सांसद मलूक नागर ने कहा कि हमारे लिए देश की जनता सबसे पहले है। हम देशहित और जनहित में काम करते हैं। उन्हांेने दलितों का मसीहा बाबा अंबेडकर को बताया। अंबेडकर की परंपरा को कांशीराम ने आगे बढ़ाया। अब उसी परंपरा को बहन कुमारी मायावती ने बढ़ा रही हैं। उन्होंने कहा कि बहन कुमारी मायावती का पिछड़ों, दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के लिए किए गए काम की तुलना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि
बसपा का वोट बैंक 13 परसेंट मजबूत है। उन्होंने कहा कि आदिवासी और दलित हमारे साथ हैं। सेंध लगाने की कोशिश करनेवाला नाकाम होगा।
गठबंधन में जाना भावनाओं का खेल होता है लेकिन हमारी नेता बहन मायावती ने किसी से गठबंधन नहीं करने को कहा है। इससे जाहिर है कि बसपा गठबंधन मंे शामिल नहीं होगी,
तब कांग्रेस भी क्या अकेले ही चुनाव लड़ेगा? (हिफी)

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