यूपी के स्कूलों में अनिवार्य होगा वंदे मातरम्

बंकिमचंद्र की अमर रचना ‘वंदेमातरम्’ शब्दों का बीज मंत्र है जिसने देश को राष्ट्र प्रेम से ओतप्रोत किया था। इस गीत से ब्रिटिश हुकूमत कांप गयी थी और लोग स्वतः स्फूर्त होकर गली, चैराहे पर गाते थे-वंदे मातरम्। उनको सजा मिलती थी, फिर भी जोश दो गुना हो जाता था और तब जाकर वंदे मातरम् बना हमारा राष्ट्रगीत। हमारे देश का राष्ट्रगान बेशक जन गण मन… है लेकिन इसके बाद राष्ट्रगीत वंदे मातरम् का गायन भी होता है। पूरा गीत नहीं गाया जाता लेकिन इसका उतना भाग भी राष्ट्रप्रेम का भाव जगाने में सक्षम है। इस गीत की रचना को 150 वर्ष पूरे हो गये हैं। इस अवसर पर वर्ष भर आयोजन हमारे देश में होंगे। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बड़ा ऐलान किया है। योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के हर स्कूल में वंदे मातरम राष्ट्र गीत का गायन अनिवार्य किया जाएगा। इसका मकसद नयी पीढ़ी में राष्ट्र प्रेम जगाना है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बड़ी घोषणा की है। सीएम योगी ने ऐलान किया है कि देश के हर स्कूल में वंदे मातरम् राष्ट्रगीत को अनिवार्य करेंगे। उन्होंने कहा, हमें सरदार वल्लभभाई पटेल को अपनी चर्चाओं का हिस्सा बनाना चाहिए, हम उत्तर प्रदेश के सभी शैक्षणिक संस्थानों में वंदे मातरम् का गायन अनिवार्य करेंगे ताकि उत्तर प्रदेश का प्रत्येक नागरिक भारत माता और मातृभूमि के प्रति सम्मान की भावना से भर जाए। एकता यात्रा और वंदे मातरम् सामूहिक गायन कार्यक्रम में शामिल होते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, 30 अक्टूबर को देशभर के हर जिले में रन फॉर यूनिटी के रूप में राष्ट्रीय एकता दौड़ का आयोजन किया गया। इस दौरान, भाजपा ने भी महान वल्लभभाई पटेल के जीवन और कार्यों पर केंद्रित कार्यक्रमों का आयोजन शुरू किया। सरकारी स्तर पर भी कई कार्यक्रम शुरू किए गए। चाहे स्वदेशी की बात हो या आत्मनिर्भरता की, राष्ट्रीय एकता के मुद्दों को संबोधित करने वाली पहल को आगे बढ़ाया गया है, साथ ही देश भर में व्यापक जनजागरण अभियान भी चलाए गए हैं।
बंगाली लेखक बंकिम चंद्र
चट्टोपाध्याय ने 1875 में इस गीत की रचना की थी। बाद में यह गीत स्वतंत्रता सेनानियों के लिए अंग्रेजों के खिलाफ एक हथियार बन गया। आनंदमठ में प्रकाशित इस गीत में मां के उग्र और कोमल रूप का वर्णन किया था। भारत का राष्ट्र गीत वंदे मातरम् है। कवि और उपन्यासकार बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने वंदे मातरम् लिखा था। बंगाल के कांतल पाडा नाम के गांव में 7 नवंबर 1876 को वंदे मातरम् गीत की रचना की गई थी। पहली बार 1896 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में वंदे मातरम् गाया गया था। यानि भारत को आजादी मिलने से करीब 51 साल पहले। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में इस गीत ने बड़ी भूमिका निभाई थी। लोगों को आजादी की लड़ाई के लिए प्रेरित करने का काम किया था। अंग्रेजों के लिए ये विरोध का स्वर था। वंदे मातरम को स्वरबद्ध करने का काम रबींद्रनाथ टैगोर ने किया था। इस साल राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के 150 साल पूरे हो गये इसलिए 7 नवंबर को सरकार ने देश भर के 150 स्थानों पर आयोजनों का फैसला लिया।
वंदे मातरम् के कुछ हिस्से का ही गायन होता है। पूरा गीत इस प्रकार है-
वंदे मातरम, वंदे मातरम,!
सुजलाम्, सुफलाम् मलयज शीतलाम्
शस्यश्यामलाम्, मातरम्।
वंदे मातरम्!
शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकितयामिनीम,
फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम,
सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम,
सुखदाम् वरदाम्, मातरम,
वंदे मातरम्, वंदे मातरम,
कोटि कोटि कण्ठ कल कल निनाद कराले
द्विसप्त कोटि भुजैर्धृत खरकरवाले
के बोले मा तुमी अबले
बहुबल धारिणीम् नमामि तारिणीम,
रिपुदलवारिणीम् मातरम,
तुमि विद्या तुमि धर्म, तुमि हृदि तुमि मर्म
त्वं हि प्राणाः शरीरे
बाहुते तुमि मा शक्ति,
हृदये तुमि मा भक्ति,
तोमारै प्रतिमा गडि मन्दिरे-मन्दिरे
त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमलदल विहारिणी
वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम
नमामि कमलां अमलां अतुलाम
सुजलां सुफलां मातरम्
श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषिताम्
धरणीं भरणीं मातरम्
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वंदे मातरम्’ गीत की 150वीं वर्षगांठ पर इसे राष्ट्र की सामूहिक चेतना का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह गीत न केवल गायन है, बल्कि कर्तव्यों की अभिव्यक्ति है. एक कार्यक्रम में बोलते हुए सीएम योगी ने कहा कि हम अपने अधिकारों की बात तो करते हैं, लेकिन क्या उतनी ही गंभीरता से कर्तव्यों का जिक्र करते हैं? यही कारण है कि पिछले आठ वर्षों में उत्तर प्रदेश ने कर्तव्य पथ पर चलकर नई ऊंचाइयों को छुआ है। योगी ने कहा, “हमारे जवान सियाचिन के ग्लेशियर हो या थार के रेगिस्तान, सीमाओं की रक्षा करते हुए भी ‘वंदे मातरम’ गाते हैं। यह गीत फांसी के फंदे को चूमने वाले क्रांतिकारियों के होंठों पर था और आज भी हर भारतीय के दिल में राष्ट्रप्रेम जगाता है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि 1875 में बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित यह गीत बांग्ला और संस्कृत में लिखा गया, जिसमें जाति, धर्म या मजहब का कोई जिक्र नहीं है। यह सभी वर्गों को एक सूत्र में बांधता है।
सीएम ने ऐतिहासिक संदर्भ देते हुए कहा कि करीब 100 वर्ष पहले एक महामारी में भारत की 30 करोड़ आबादी में करोड़ों लोग मारे गए थे लेकिन आजादी के बाद, खासकर कोरोना काल में, भारत ने वैश्विक स्तर पर शानदार प्रबंधन किया। उन्होंने इसे ‘वंदे मातरम्’ की भावना से जोड़ा, जो व्यक्ति को मत-मजहब से ऊपर उठाकर राष्ट्र के लिए सोचने की प्रेरणा देता है। योगी ने याद दिलाया कि 1950 में ‘वंदे मातरम्’ को राष्ट्रगीत की मान्यता दी गई थी। यह गीत आजादी की लड़ाई का मंत्र बना और आज भी नई राष्ट्रीयता का भाव पैदा करने में सफल है। उन्होंने कहा, “यह गीत केवल गायन नहीं, बल्कि कर्तव्यबोध का आह्वान है। यह हमें सिखाता है कि राष्ट्र सर्वोपरि है। मुख्यमंत्री ने कहा ‘वंदे मातरम’ हमें यही सिखाता है कि अधिकारों से पहले कर्तव्य आते हैं। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने सामूहिक रूप से ‘वंदे मातरम्’ का गायन किया। सीएम योगी ने सभी से अपील की कि स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक स्थानों पर इस गीत को नियमित रूप से गाया जाए ताकि
युवा पीढ़ी में राष्ट्रप्रेम और कर्तव्यभावना मजबूत हो।
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)



