देश में आतंकी साजिश से सतर्कता जरूरी

देश को एक बार फिर छिपे गद्दारों के जरिए विदेशी मदद से आतंकवाद की आग में झोंकने की बड़ी साजिश की जा रही है। अमेरिका के राष्ट्रपति पद पर पदस्थ होते ही डोनाल्ड ट्रम्प ने जिस तरह भारत के खिलाफ ट्रेड टेरिफ का हथियार इस्तेमाल किया लेकिन भारत नहीं झुका, इसके बाद ट्रंप की सनक बढ़ गई और उन्होंने पाकिस्तान के सेना प्रमुख के साथ रिश्ते बढाकर दबे पांव भारत में अस्थिरता के बीज बोने की नाकाम कोशिश शुरू कर दी। आपको पता है कि 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में 26 हिन्दू पर्यटकों की हत्या और 10 नवम्बर, 2025 को दिल्ली में लाल किले के निकट आत्मघाती कार बम विस्फोट द्वारा 15 निर्दोष लोगों की हत्या का कनैक्शन जैश-ए-मोहम्मद के साथ निकला है। इस बीच 15 नवम्बर को श्रीनगर के नौगाम पुलिस थाने में एक विस्फोट में 10 लोगों की मौत व 32 अन्य घायल हो गए। इनमें 27 पुलिस कर्मी हैं।
भारत में सफेद कोट माड्यूल बना कर जिस तरह एक समुदाय विशेष के दर्जनों उच्च शिक्षित डाॅक्टरों के जरिए आतंक फैलाने की बड़ी साजिश की गई जिस का समय रहते भंडाफोड़ हो गया। इसके पीछे भी विदेशी मदद का हाथ है।
हाल ही में अमेरिका के प्रयास से पाकिस्तान और अफगानिस्तान के तालिबान के बीच समझौता करा कर भारत में नये सिरे से कश्मीर को मुद्दा बना कर वहां के शिक्षित लोगों की भावनाओं को भड़का कर भारत में आतंकी वारदातों को अंजाम देने की साजिश रची जा रहीं हैं। तमाम आतंकी घटनाओं के बाद भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा आतंकवादियों के विरुद्ध कार्रवाई तेज कर दी गई है जिसके तहत पिछले दिनों में की गई गिरफ्तारियों तथा बरामदगियों से मामले की गंभीरता को समझा जा सकता है।
आपको बता दें 13 नवम्बर को कश्मीर के सोपोर से 2 हाईब्रिड आतंकवादियों शब्बीर अहमद नाजर तथा शब्बीर अहमद मीर को गिरफ्तार करके उनसे एक पिस्तौल, एक मैगजीन, 20 जिंदा राऊंड तथा 2 हथगोले बरामद किए गए। 13 नवम्बर को ही उत्तर प्रदेश के हापुड़ और फिरोजाबाद जिलों में 3 आरोपियों को गिरफ्तार करके उनसे 46 किलो हाईड्रोक्लोरिक एसिड और 2.5 किलोग्राम विस्फोटक बरामद किए गए।
13 नवम्बर को ही पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार करके उससे जिलेटिन की 20,000 छड़ें बरामद की गईं। अतः क्या आतंकवादी दिल्ली की तरह बंगाल को दहलाने की कोशिश कर रहे थे? 14 नवम्बर को लाल किला विस्फोट में प्रयुक्त कार के आत्मघाती ड्राइवर डा. उमर नबी के पुलवामा जिले में स्थित मकान को सुरक्षा बलों ने आई.ई.डी. से विस्फोट करके उड़ा दिया।14 नवम्बर को ही अधिकारियों ने ‘नूह’ से 2 और मैडीकल छात्रों मुस्तकीम तथा मोहम्मद को हिरासत में लिया। 15 नवम्बर को ही दिल्ली बम विस्फोट के सिलसिले में पठानकोट और नूह से 2 डाक्टरों रईस अहमद भट्ट तथा रेहान को हिरासत में लिया गया। 15 नवम्बर को ही अहमदाबाद (गुजरात) में गुजरात आतंकवाद निरोधक दस्ते ने एक आतंकवादी गिरोह के लिए हथियारों की तस्करी करने में शामिल गुरप्रीत सिंह उर्फ गोपी बिल्ला को गिरफ्तार किया 15 नवम्बर को ही फिरोजपुर में भारत-पाक सीमा पर बी.एस.एफ. ने खेतों में 2 ड्रोन व पाकिस्तान से भेजी गई 549 ग्राम हैरोइन का पैकट बरामद किया। 16 नवम्बर को अमृतसर कमिश्नरेट पुलिस ने पाक आधारित हथियार और नार्को नैटवर्क का पर्दाफाश करके 1.01 किलो हैरोइन और 6 आधुनिक पिस्तौलों सहित 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया।
16 नवम्बर को ही सी. आई.ए. ने सफेदपोश आतंकवादी माड्यूल मामले में जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में एक महिला डाक्टर के घर पर छापेमारी की और वहां से एक मोबाइल जब्त कर अपने साथ ले गई 16 नवम्बर को ही राष्ट्रीय जांच ब्यूरो ने लाल किला कार बम विस्फोट के हमलावर डा. उमर उन नबी के साथी आमिर राशिद अली तथा अगले दिन 17 नवम्बर को एक अन्य साजिशकता्र जसीर बिलाल वानी को गिरफ्तार किया।
अब 17 नवम्बर को सुरक्षा एजेंसियों को घटनास्थल पर एक जूता मिला है जिसमें अमोनियम नाईट्रेट तथा जरा सी गर्मी से फटने वाले अत्यंत खतरनाक विस्फोटक टी.ए.टी.पी. के अंश मिले हैं। इसे देखते हुए इस धमाके में जूता बम के इस्तेमाल का भी शक व्यक्त किया जा रहा है।
इसे पाकिस्तान का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि अपने देश की जनता की बदहाली दूर करने के लिए प्रयास करने की बजाय इसके शासक और सेना आतंकवादियों को पाल रही है और उनकी सहायता से भारत में तबाही मचा रही है। हालत यह है कि गरीबी के कारण पाकिस्तान में 2.5 करोड़ बच्चे स्कूलों से बाहर हो गए हैं जबकि 2 लाख बच्चे तो कभी स्कूल गए ही नहीं। इतना ही नहीं, पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार द्वारा फील्ड मार्शल असीम मुनीर के दबाव में सुप्रीमकोर्ट की शक्तियों को कम करने वाले विवादास्पद 27वें संविधान संशोधन के विरुद्ध 16 नवम्बर को वकीलों ने हड़ताल की। फील्ड मार्शल मुनीर वहां सर्वेसर्वा हो गये हैं।
आतंकवादियों द्वारा पहलगाम व दिल्ली आदि में मारे गए निर्दोष तो कभी वापस नहीं आ सकते परंतु इन घटनाओं के बाद सरकार तथा सुरक्षा बलों ने पूरी ताकत से आतंकवादियों के विरुद्ध कार्रवाई करके अनेक लोगों को बचा लिया है। इसके बावजूद अभी खतरा टला नहीं है, अतः आतंकवादियों तथा उनके मददगारों के विरुद्ध इस अभियान को तब तक और तेजी से जारी
रखा जाना चाहिए जब तक कि आतंकवादियों का सफाया नहीं हो जाता। भारत की खुफिया व सुरक्षा एजेंसियों को और अधिक प्रशिक्षण और अत्याधुनिक सुविधाओं व ट्रेनिंग से समृद्ध करने की जरूरत है ताकि आतंक के बदलते चेहरे की पहचान और समय रहते खात्मा किया जाए।
(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)



