करिश्माई राजनीति के विश्वकर्मा मोदी

करिश्माई राजनीति के सबसे बड़े नायक योगेश्वर कृष्ण माने जाते हैं। इसके बाद हम सिकंदर का नाम ले सकते हैं जिसको लेकर कहा जाता है कि जो जीता वही सिंकदर। इतिहास की बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है, इसलिए विस्तार में नहीं जा रहा। मौजूदा राजनीति को देखें तो भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी करिश्माई राजनीति के विश्वकर्मा हैं। यह संयोग है कि 17 सितम्बर को ही विश्वकर्मा जयंती मनायी जाती है और उसी दिन नरेन्द्र मोदी का जन्मदिन मनाया जाता है। इस बार जन्मदिन विशेष है क्योंकि नरेन्द्र मोदी 75 वर्ष पूरे कर रहे हैं अर्थात यह हीरक जयंती है। इसके अलावा भी बहुत कुछ संदर्भ में शामिल है। इस संदर्भ को आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव के दौरान उछाला भी था। बीच-बीच में यह भी खबर आती रही कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पीएम मोदी से बहुत खुश नहीं है लेकिन करिश्मा देखिए कि उसी संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने 17 सितम्बर से काफी पहले बयान दिया कि न मैं 75 साल में रिटायर हूंगा और न किसी और के लिए कहूंगा। धन्यवाद ज्ञापन की तरह गत 11 सितम्बर को मोहन भागवत के 75 वर्ष पूरे करने पर नरेन्द्र मोदी ने लेख लिखा। मोहन भागवत के दीर्घायु होने की ईश्वर से प्रार्थना करते हुए बधाई दी।
17 सितम्बर 1950 को गुजरात के बड़नगर में जन्म लेने वाले नरेन्द्र मोदी ने बिना कोई चुनाव लड़े गुजरात के मुख्यमंत्री की कुर्सी प्राप्त कर ली थी। वर्ष 2001 में गुजरात के भुज में विनाशकारी भूकम्प आया और तत्कालीन मुख्यमंत्री केशू भाई पटेल हालात को संभाल नहीं पा रहे थे। पंडित अटल बिहारी बाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी की दूरदर्शी सोच ने इस हीरे को पहचाना और नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बन गये। भूकम्प ने जहां विनाश लीला की थी, वहां मोदी की सरकार ने विकास का चमन खिला दिया। इसके बाद की कहानी तो सभी जानते हैं कि गुजरात में मोदी लोकप्रियता के जिस शिखर पर पहुंचे थे वहां से दिल्ली में पीएम की कुर्सी बहुत आसान हो गयी थी। मोदी 2014 में दिग्गजांे को पछाड़ कर प्रधानमंत्री बने। इसके बाद देश ही नहीं विदेश तक मोदी का करिश्मा आज तक कायम है। भाजपा किसी राज्य में भी विधानसभा का चुनाव लड़ती है तो वह नरेन्द्र मोदी के नाम पर ही लड़ा जाता है और भाजपा को उत्तर प्रदेश से दक्षिण तक उन्हीं के नाम पर विजय श्री प्राप्त हुई है। विदेशों में वहां के सर्वोच्च सम्मान जितने नरेन्द्र मोदी को मिले, भारत में तो दूर विश्व में किसी पीएम को उतने पुरस्कार प्राप्त नहीं हुए हैं। उनके भाषण और व्यवहार दोनों में मोहिनी शक्ति है। 2024 के संसदीय चुनावों में एक और निर्णायक जीत के बाद, श्री नरेन्द्र मोदी ने 9 जून 2024 को तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। यह जीत श्री मोदी के लिए लगातार तीसरा कार्यकाल है, जिससे उनका नेतृत्व और मजबूत हुआ है। उनका कैंपेन आर्थिक विकास, राष्ट्रीय सुरक्षा, सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों आदि पर केंद्रित था, जिसे जनता ने काफी पसंद किया।
अभूतपूर्व तीसरा कार्यकाल देश को अधिक समृद्धि और स्थिरता की ओर ले जाने के लिए श्री मोदी की अपील और लाखों भारतीयों द्वारा उन पर जताए गए भरोसे को रेखांकित करता है। आजादी के बाद पैदा होने वाले पहले प्रधानमंत्री, श्री मोदी इससे पहले 2014 से 2019 और 2019 से 2024 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य कर चुके हैं। उन्हें अक्टूबर 2001 से मई 2014 तक के अपने कार्यकाल के साथ
गुजरात के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले मुख्यमंत्री होने का गौरव भी प्राप्त है।
2014 और 2019 के संसदीय चुनावों में श्री मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने दोनों अवसरों पर पूर्ण बहुमत हासिल किया। आखिरी बार 1984 के चुनावों में किसी राजनीतिक दल ने पूर्ण बहुमत हासिल किया था।
‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ के आदर्श वाक्य से प्रेरित होकर, श्री मोदी ने शासन में एक आदर्श बदलाव की शुरुआत की है जिससे समावेशी, विकासोन्मुख और भ्रष्टाचार मुक्त शासन का मार्ग प्रशस्त हुआ है। प्रधानमंत्री ने अंत्योदय के उद्देश्य को साकार करने और समाज के अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति को सरकार की योजनाओं और पहल का लाभ सुनिश्चित करने के लिए स्पीड और स्केल पर काम किया है।
प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों ने इस बात को माना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत रिकॉर्ड गति से गरीबी को खत्म कर रहा है। नीति आयोग की नवीनतम रिपोर्ट ‘2005-06 से भारत में बहुआयामी गरीबी’ के निष्कर्षों के अनुसार, पिछले नौ वर्षों में लगभग 25 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले हैं। इसका श्रेय केंद्र सरकार द्वारा गरीबों के हित को ध्यान में रखते हुए लिए गये विभिन्न पहलों और निर्णयों को जाता है। आज भारत दुनिया के सबसे बड़े स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम ‘आयुष्मान भारत’ सफलतापूर्वक चला रहा है। 50 करोड़ से अधिक भारतीयों को कवर करते हुए आयुष्मान भारत, गरीब और नव-मध्यम वर्ग को उच्च गुणवत्ता और सस्ती स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित कर रहा है।दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित स्वास्थ्य पत्रिकाओं में से एक लांसेट ने आयुष्मान भारत की सराहना करते हुए कहा है कि यह योजना भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े असंतोष को दूर कर रही है। पत्रिका ने यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज को प्राथमिकता देने के लिए पीएम मोदी के प्रयासों की भी सराहना की।
गरीबों को वित्तीय धारा से जोड़ने के लिए पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री जन-धन योजना शुरू की, जिसका उद्देश्य प्रत्येक भारतीय का बैंक खाता खोलना था। अब तक 51 करोड़ से अधिक जन-धन खाते खोले जा चुके हैं। इन खातों ने न केवल गरीबों को बैंक से जोड़ा, बल्कि सशक्तीकरण के अन्य रास्ते भी खोले हैं। जन-धन से एक कदम आगे बढ़ते हुए श्री मोदी ने समाज के सबसे कमजोर वर्गों को बीमा और पेंशन कवर देकर जन सुरक्षा पर जोर दिया। 2016 में गरीबों को मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना शुरू की गई थी। यह योजना 10 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को धुआं मुक्त रसोई प्रदान करने में गेम-चेंजर साबित हुई है। इसकी अधिकांश लाभार्थी महिलाएं हैं। आजादी के 70 साल बाद भी जिन 18,000 गांवों में बिजली नहीं थी, उनमें बिजली पहुंचा दी गई है।
मोदी का मानना है कि कोई भी भारतीय बेघर नहीं होना चाहिए और इस विजन को साकार करने के लिए, 2014 और 2024 के बीच पीएम आवास योजना के तहत 4.2 करोड़ से अधिक घरों को मंजूरी दी गई। जून 2024 में तीसरे कार्यकाल के लिए सत्ता संभालने के बाद पहली कैबिनेट के निर्णयों
में से एक था 3 करोड़ अतिरिक्त
ग्रामीण और शहरी परिवारों को घरों के निर्माण के लिए सहायता प्रदान करना, जो देश की आवास आवश्यकताओं का समाधान करने और प्रत्येक नागरिक के लिए गरिमा और गुणवत्तापूर्ण जीवन सुनिश्चित करने के लिए श्री नरेन्द्र मोदी की प्रतिबद्धता को रेखांकित
करता है। (अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)