लेखक की कलम

धर्मान्तरण का सुनियोजित षडयंत्र

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)
उत्तर प्रदेश एटीएस की जांच में धर्म परिवर्तन से जुड़े एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। मुख्य आरोपी छांगुर बाबा उर्फ जलालुद्दीन और उसके साथियों ने पूछताछ में कबूल किया है कि वे जाति के आधार पर लड़कियों को इस्लाम मत अपनाने के लिए लालच और डर का सहारा लेते थे। छांगुर बाबा की संपत्ति की जांच ईडी करेगी।

गिरफ्तार छांगुर बाबा ने बताया कि धर्म परिवर्तन के लिए लड़कियों को मोटी रकम दी जाती थी। खासकर ब्राह्मण, क्षत्रिय और सिख समुदाय की लड़कियों के धर्मांतरण पर 15 से 16 लाख रुपये खर्च किए जाते थे। पिछड़ी जाति की लड़कियों के लिए यह राशि 10 से 12 लाख रुपये और अन्य जातियों के लिए 8 से 10 लाख रुपये थी। गिरोह पहले लड़कियों से दोस्ती करता, फिर उन्हें प्यार, शादी, नौकरी और पैसे का लालच देकर अपने जाल में फंसाता था। जब लड़कियां इंकार करती थीं, तो उन्हें धमकाया जाता और मजबूरन धर्म परिवर्तन कराया जाता।

कुछ मामलों में तो ब्लैकमेल और मानसिक प्रताड़ना का भी इस्तेमाल हुआ। अगर कोई लड़की धर्म परिवर्तन के लिए राजी नहीं होती थी, तो उसे डराया धमकाया जाता था। कई बार फर्जी मुकदमे में फंसाने की धमकी भी दी जाती थी। इस तरह से जबरन धर्म परिवर्तन कराए गए मामलों में पीड़ितों को कोई आर्थिक सहायता नहीं दी जाती थी।

गिरोह के कई सदस्य अब तक 40 बार इस्लामिक देशों की यात्रा कर चुके हैं। इन यात्राओं का खर्च विदेश से होने वाली फंडिंग से उठाया गया। एटीएस को इन आरोपों से जुड़े बैंक खातों में कई संदिग्ध लेनदेन के सबूत मिले हैं, जिनका संतोषजनक जवाब झांगुर बाबा नहीं दे पाया है। एटीएस ने बताया कि इस गिरोह में छांगुर बाबा के अलावा महबूब, पिंकी हरिजन, हाजिरा शंकर, एमेन रिजवी (जो खुद को पत्रकार बताता है) और सगीर शामिल हैं।

इसके अलावा एक सिंधी दंपत्ति, जिसने इस्लाम धर्म अपना लिया था, भी गिरोह के हर काम में सहयोग करते थे। इस गिरोह के खिलाफ देवगांव (जिला आजमगढ़) थाने में 2023 में एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। वहीं, हाल ही में गोमतीनगर के विशालखंड इलाके में इस गिरोह के शिकार हुए 15 लोगों ने विधिवत रीति-रिवाज से हिंदू धर्म में वापसी की है। धर्म में वापसी करने वाले लोगों ने पुलिस को बताया कि किस तरह उन्हें पहले प्रेम और शादी का झांसा दिया गया, फिर जबरन धर्म बदलवाया गया। कुछ को नौकरी और पैसों का लालच दिया गया, तो कुछ को ब्लैकमेल कर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया।

अब एटीएस इस पूरे नेटवर्क की गहराई से जांच कर रही है। विदेश से फंडिंग, संदिग्ध बैंक ट्रांजेक्शन, यात्राओं और गिरोह से जुड़े अन्य लोगों के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है।

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में अवैध धर्मांतरण के एक बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश करते हुए यूपी एटीएस ने जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा को गिरफ्तार किया है। इसी मामले में दर्ज एफआईआर के आधार पर दूसरी आरोपी नीतू रोहरा उर्फ नसरीन को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।

जांच एजेंसियों के अनुसार, जमालुद्दीन खुद को हाजी पीर जलालुद्दीन के नाम से प्रचारित करता है, उस पर लड़कियों को बहला-फुसलाकर जबरन धर्मांतरण करवाने का आरोप है। हर जाति की लड़कियों का रेट फिक्स था। वह बलरामपुर के उतरौला कस्बे में एक लंबे समय से धर्मांतरण का नेटवर्क चला रहा था। इस नेटवर्क के लिए कथित तौर पर विदेशों से 100 करोड़ रुपये से अधिक की फंडिंग भी मिलने की बात सामने आ रही है। डीजीपी (लॉ एंड ऑर्डर) अमिताभ यश ने बताया कि यूपी एसटीएफ को सूचना मिली थी कि बलरामपुर जिले के उतरौला कस्बे में एक व्यक्ति छांगुर बाबा उर्फ जलालुद्दीन बाबा, खुद को हाजी पीर जलालुद्दीन के नाम से प्रचारित करता है, वह एक संगठित धर्मांतरण नेटवर्क चला रहा है।

जांच के दौरान पता चला कि आरोपी अपने एजेंटों के जरिए लड़कियों को बहलाकर धर्मांतरण के लिए प्रेरित करता था। यह भी सामने आया है कि इस नेटवर्क को 100 करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी फंडिंग मिली है, जिसका इस्तेमाल धर्मांतरण के काम में किया जा रहा था। एडीजीपी के मुताबिक, जलालुद्दीन बाबा ने अब तक 40 से 50 बार इस्लामिक देशों की यात्रा की है। जांच में यह भी पाया गया है कि बलरामपुर में उसने कई संपत्तियां भी खरीदी हैं। उसके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है और यूपी एटीएस जांच कर रही। फिलहाल इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है और एसटीएफ का कहना है कि इस नेटवर्क की पहुंच पूरे भारत में है। विदेशी फंडिंग खासकर खाड़ी देशों से आने की बात सामने आई है, जिसकी जांच की जा रही है।

एडीजीपी ने यह भी संकेत दिए हैं कि आने वाले दिनों में और लोगों की गिरफ्तारी हो सकती हैं जांच एजेंसियां पूरे नेटवर्क की परतें खोलने में जुटी हैं पुलिस इस मामले को राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक सौहार्द से जोड़कर देख रही है। यूपी एसटीएफ और एटीएस की संयुक्त कार्रवाई में दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।

पुलिस अब इस पूरे रैकेट से जुड़े अन्य लोगों की तलाश कर रही है और संभावना है कि जल्द ही और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।

बलरामपुर जिले के ग्राम मधपुर, थाना उतरौला से छांगुर बाबा, नसरीन और महबूब समेत कई संदिग्धों के खिलाफ शिकायत मिली थी। आरोप है कि उन्होंने एक साल में ही विदेशी फंडिंग से बंगले, लग्जरी गाड़ियां और शोरूम खरीदे। जांच में पता चला कि छांगुर बाबा उर्फ जलालुद्दीन ने मुंबई के निवासी नवीन घनश्याम रोहरा, उनकी पत्नी नीतू और बेटी समाले का ब्रेनवॉश कर उन्हें इस्लाम अपनाने के लिए प्रेरित किया था।

धर्म बदलने के बाद तीनों ने जमालुद्दीन, नसरीन और सबीहा नाम रख लिया। लखनऊ की गुंजा गुप्ता को आरोपी अबू अंसारी ने खुद को अमित बताकर प्रेमजाल में फंसाया और फिर छांगुर बाबा की दरगाह ले जाकर नीतू रोहरा और जलालुद्दीन की मदद से ब्रेनवॉश कर इस्लाम कबूल करवाया गया। उसका नया नाम अलीना अंसारी रखा गया।

गिरोह के पास धर्मांतरण की बाकायदा फीस तय थी। ब्राह्मण, क्षत्रिय, सरदार लड़कियों के लिए 15 से 16 लाख पिछड़ी जाति की लड़कियों के लिए 10 से 12 लाख। अन्य जातियों के लिए 8 से 10 लाख। गिरोह ने लगभग 40 से 50 बार इस्लामिक देशों की यात्रा की है। इनके पास 40 से ज्यादा बैंक खाते हैं जिनमें 100 करोड़ से अधिक का लेनदेन हुआ है।

छांगुर बाबा, महबूब, पिंकी हरिजन, हाजिरा शंकर, एमेन रिजवी (कथित पत्रकार), सगीर, और नीतू रोहरा गरीबों और असहायों को धर्म बदलने का दबाव देते थे। बात न मानने पर मुकदमे में फंसाने की धमकी दी जाती थी।

आजमगढ़ के देवगांव थाने में भी छांगुर बाबा के सहयोगियों और रिश्तेदारों के खिलाफ अवैध धर्मांतरण का मुकदमा (221/23) दर्ज है। समझा जा सकता है कि अभी जांच में कुछ और खुलासे होने बाकी है। (हिफी)

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