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अजित पवार को किसने तोड़ा?

(अशोक त्रिपाठी -हिफी फीचर)

महाराष्ट्र की राजनीति में अजित पवार के डिप्टी सीएम बनने और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के 8 नेताओं को एकनाथ शिंदे सरकार में मंत्री बनाने के बाद सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि अजित पवार को किसने तोड़ा? क्या भाजपा ने शरद पवार की पार्टी में बगावत करायी है अथवा शिव सेना से बगावत करके भाजपा के साथ सरकार बनाने वाले एकनाथ शिंदे अपने गुट को मजबूत करना चाहते हैं क्यों कि फिल्हाल वह इतने विधायक नहीं रखते जो सरकार बना सकें? इसी सवाल का दूसरा भाग है कि अगर भाजपा ने अजित पवार को तोड़ा है तो क्या एकनाथ शिंदे को वह किनारे करना चाहती है जैसा कि उद्धव ठाकरे कह रहे है। उद्धव ठाकरे का कहना है कि भाजपा अब शिंदे की जगह अजित पवार को मुख्यमंत्री बनाएगी। ध्यान रहे कि अजित पवार के साथ एनसीपी छोड़कर गये छगन भुजबल जैसे नेता शरद पवार के कट्टर समर्थक माने जाते थे। सबसे बड़ी पहेली तो शरद पवार ही बने हुए हैं। वह कहते हैं एनसीपी में यह बिखराव दूसरों के लिए नया हो सकता है, लेकिन मेरे लिए कोई नयी बात नहीं है। शरद पवार कहते हैं उनके परिवार में पूरी तरह स्वतंत्रता है। अजित पवार के एनसीपी से अलग होने की संभावना तो उसी दिन से चल रही थी जब शरद पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले को कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर अजित पवार को किनारे कर दिया था। भाजपा के लिए भी यह जवाब देना कठिन होगा कि छगन भुजबल पर करोड़ों के घोटाले का जो आरोप लगा था और उनको दो साल जेल में बिताने पड़े थे, उनको सरकार में कैसे शामिल किया गया है। शायद इसीलिए हाॅल की घटना को महाराष्ट्र का महाभारत कहा जा रहा है, जहां न्याय-अन्याय की चर्चा ही व्यर्थ है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) में अप्रत्याशित टूट से न केवल महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा भूचाल आया है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी इसका असर पड़ना तय माना जा रहा है। महाराष्ट्र की सियासत में हाल ही में घटे नाटकीय घटनाक्रम पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता शरद पवार ने कहा कि अभी तक मैंने किसी से संपर्क नहीं किया है। हमारे प्रदेश
अध्यक्ष जयंत पाटिल परामर्श कर रहे हैं और यह जानकारी इस समय केवल उनके पास उपलब्ध होगी।
हमारे परिवार में कोई मतभेद नहीं है। हम परिवार में राजनीति पर चर्चा नहीं करते। हर कोई अपना फैसला खुद लेता है। अजित पवार ने शिंदे सरकार में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता अजित पवार के एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार में उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष एवं उनकी चचेरी बहन सुप्रिया सुले ने कहा कि राकांपा के मौजूदा घटनाक्रमों का विपक्षी दलों की एकता पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार के कट्टर समर्थक माने जाने वाले छगन भुजबल और दिलीप वाल्से पाटिल का एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल होना पार्टी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। राकांपा में टूट के बाद अजित पवार ने एकनाथ शिंदे सरकार में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली, जबकि वाल्से पाटिल व भुजबल समेत आठ अन्य नेताओं को मंत्री बनाया गया। भुजबल माली समुदाय से हैं और 1991 में कांग्रेस में शामिल होने से पहले वह शिवसेना के तेजतर्रार नेता हुआ करते थे। साल 1999 में, जब पवार ने कांग्रेस से अलग होकर राकांपा बनाई तो उस समय महाराष्ट्र विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष भुजबल भी पवार के साथ हो लिये। नासिक के येओला से विधायक भुजबल पहले राज्य के उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं और 1999 में राकांपा की राज्य इकाई के पहले अध्यक्ष भी थे। हाल में जब अजित पवार ने कहा था कि वह विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद से हटकर संगठन में भूमिका निभाना चाहते हैं, तो ओबीसी नेता भुजबल के पार्टी की राज्य इकाई का प्रमुख बनने की अटकलें तेज हो गई थीं।
करोड़ों रुपये के तेलगी स्टांप पेपर घोटाले की जांच के दौरान केंद्रीय जांच ब्यूरो ने भुजबल से पूछताछ की थी, जिसके बाद धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) मामले में उन्हें दो साल जेल में बिताने पड़े थे। बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी. वाल्से पाटिल ने शरद पवार (83) के निजी सहायक (पीए) के तौर पर राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी और वह उनके सबसे करीबी माने जाते थे। वह विधानसभा अध्यक्ष और ऊर्जा, उत्पाद शुल्क और गृह मंत्री रहे। वह अंबेगांव निर्वाचन क्षेत्र से सात बार के विधायक हैं। कोल्हापुर जिले की कागल
विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले हसन मुशरिफ भी भ्रष्टाचार के आरोपों में प्रवर्तन निदेशालय की जांच का सामना कर रहे हैं और केंद्रीय एजेंसी उनसे जुड़े स्थानों पर छापे मार चुकी है।
इस प्रकार महाराष्ट्र की सियासत में ड्रामा हुआ। अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार की पार्टी तोड़ दी और 29 विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हो गए, दोपहर ढाई बजे के करीब अजित पवार ने मंत्री पद की शपथ ली। वे उपमुख्यमंत्री के तौर पर सरकार में शामिल हुए। उनके साथ छगन भुजबल, दिलीप वाल्से पाटिल, हसन मुश्रीफ, रामराजे निंबालकर, धनंजय मुंडे, अदिति तटकरे, संजय बनसोडे और अनिल भाईदास पाटिल ने भी मंत्री पद की शपथ ली। ऐसी सूचना है कि एनसीपी के अजित पवार गुट के साथ 30 विधायक हैं जबकि शरद पवार गुट के साथ अब महज 23 विधायक हैं। एनसीपी में हुई बगावत के बाद महाराष्ट्र विधानसभा में पार्टियों की स्थिति इस प्रकार है –
एकनाथ शिंदे के साथ बीजेपी- 105, शिवसेना (शिंदे गुट)- 40, एनसीपी (अजित पवार गुट)- 30, अन्य पार्टियां- 8 और निर्दलीय- 13 विधायक हैं जबकि महाअघाड़ी गठबंधन के पास एनसीपी (शरद पवार गुट)- 23, कांग्रेस- 45, शिवसेना (उद्धव गुट)- 17 और अन्य पार्टियां- 7 विधायक है।
बताया जा रहा है अजित पवार अब एनसीपी पर भी दावा ठोक सकते हैं क्योंकि पार्टी के 53 में से 30 विधायक उनके साथ हैं। ये भी खबर है कि एनसीपी के पांच में से 3 सांसद अजित पवार के साथ हैं जिसमें प्रफुल्ल पटेल जैसा बड़ा नाम भी है। प्रफुल्ल को पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले के साथ कार्यकारी
अध्यक्ष बनाया था।
बहरहाल, इस ड्रामे में बीजेपी के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष चन्द्रशेखर बावनकुले ने कहा कि पीएम मोदी की दृष्टि को समर्थन देकर एनसीपी के अजित पवार और उनके साथ के नेता महाराष्ट्र को मजबूती देने का काम करेंगे। (हिफी)

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