लेखक की कलम

कौन होगा भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष?

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनना है। इसके चलते विपक्षी दल कभी-कभी तंज भी कसते हैं। कुछ दिन पहले ही समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने लोकसभा मंे कहा था कि इतनी बड़ी पार्टी अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं चुनवा पा रही है। उसी समय केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जो जवाब दिया था, उससे हंसी का ठहाका तो गूंजा ही था, विपक्षी दलों को दुबारा सवाल करने की हिम्मत भी नहीं पड़ी। भाजपा ने गत 30 जून को राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की दिशा मंे एक बड़ा कदम उठाया। पार्टी के कम से कम 20 राज्यों में अध्यक्ष का चुनाव होने के बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होता है। भाजपा कई राज्यों में अपना
अध्यक्ष चुन चुकी है। अब 30 जून को महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश में भी प्रदेश अध्यक्ष चुन लिये गये हैं। अब जुलाई के पहले सप्ताह में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन हो सकता है। राजनीतिक गलियारों मंे कयास लगाये जा रहे हैं कि इस बार राष्ट्रीय
अध्यक्ष का दायित्व कौन संभालेगा? वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के कार्यकाल मंे भाजपा ने सफलता के झंडे गाड़े हैं। इस प्रगति को बनाये रखने का दायित्व नये अध्यक्ष पर होगा। इस साल बिहार में विधानसभा चुनाव होंगे। अगले साल अन्य राज्यों मंे विधानसभा चुनाव होने हैं। इसलिए भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में सभी समीकरण देखेगी।
भाजपा के लिए नया अध्यक्ष चुनना केवल एक संगठनात्मक निर्णय नहीं है, बल्कि यह पार्टी की भविष्य की रणनीति और क्षेत्रीय संतुलन को भी प्रभावित करेगा। 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को पूर्ण बहुमत न मिलने के बाद पार्टी गठबंधन सहयोगियों पर अधिक निर्भर है, जिसके चलते नए अध्यक्ष को गठबंधन की राजनीति और संगठनात्मक एकता दोनों को संभालना होगा। इसके अलावा, विपक्ष खासकर कांग्रेस, बीजेपी और
संघ पर लगातार हमलावर है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में बीजेपी-आरएसएस पर अंग्रेजी शिक्षा को हतोत्साहित करने और गरीबों के अवसरों को सीमित करने का आरोप लगाया है, जिससे राजनीतिक माहौल और गर्म है। इसी बीच बीजेपी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम पर चर्चा फिर से जोर शोर से शुरू हो गई है। अध्यक्ष पद के लिए कई दिग्गज नेताओं के नाम चर्चा में हैं। कुछ प्रमुख संभावित उम्मीदवार के नाम सामने आ रहे हैं, जिनमंे धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव, शिवराज सिंह चैहान और मनोहर लाल खट्टर शामिल हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्री और ओडिशा से ताल्लुक रखने वाले धर्मेंद्र प्रधान को एक मजबूत दावेदार माना जा रहा है। उनकी संगठनात्मक क्षमता और केंद्र सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका की वजह से उन्हें इस दौड़ में आगे रखा जा रहा है। साथ ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और संघ दोनों से ही उनके संबंध भी सामान्य हैं। इसी प्रकार केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव का नाम भी प्रमुखता से चर्चा में है। राजस्थान से आने वाले यादव को संघ का करीबी माना जाता है, और उनकी शांत और रणनीतिक कार्यशैली पार्टी के लिए फायदेमंद भी रही है। साथ ही उन्हें संगठन का भी काफी लंबा अनुभव है और पार्टी ने कई राज्यों में उन्हें चुनाव प्रभार भी दिया था।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चैहान की लोकप्रियता और संगठन में गहरी पकड़ उन्हें भी राष्ट्रीय अध्यक्ष एक मजबूत दावेदार बना रही है। मगर सूत्रों का मानना है कि उनके नाम पर मुहर तभी लग पाएगी जब संघ की तरफ से दबाव डाला जाएगा। दूसरी तरफ हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का नाम भी बीजेपी अध्यक्ष की रेस में शुरू से ही रहा है। हालांकि बीच में सूत्रों से ये भी खबर आई थी कि खट्टर ने उम्र की वजह से अपनी तबीयत का हवाला देते हुए ऐसे किसी पद को लेने से मना किया। मगर इसकी कोई आधिकारिक सूचना नहीं हुई। इसके अलावा, सूत्रों की मानें तो पार्टी इस संभावना पर भी चर्चा कर रही है कि बीजेपी पहली बार किसी महिला को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने पर विचार कर सकती है, जिससे संगठन में एक नया संदेश जाए। पार्टी का कोर वोटर वर्तमान में महिलाओं का वोट बैंक ही है, इसलिए पार्टी मुख्य पदों पर भी महिलाओं को आगे लाना चाह रही है। वसुंधरा राजे सिंधिया का नाम इसी के चलते आगे है।
सूत्रों की मानें तो बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा इसी जुलाई में होने की संभावना है, क्योंकि संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होने वाला है। पार्टी के आंतरिक संगठनात्मक चुनाव लगभग अंतिम चरण में हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की 4 से 6 जुलाई तक दिल्ली में होने वाली प्रांत प्रचारकों की बैठक में इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण चर्चा हो सकती है। इस बैठक के बाद बीजेपी राष्ट्रीय परिषद की मुहर के साथ नए अध्यक्ष का ऐलान कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी और आरएसएस के बीच नए अध्यक्ष के चयन को लेकर सहमति फिलहाल नहीं बन पाई है। सूत्रों के अनुसार, दोनों संगठन किसी एक नाम पर पूरी तरह सहमत नहीं हो पा रहे हैं। संघ अपनी वैचारिक दृष्टि और दीर्घकालिक रणनीति को
ध्यान में रखते हुए ऐसे नेता को प्राथमिकता देना चाहता है, जो संगठन की जड़ों को मजबूत करे और हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाए। वहीं, बीजेपी शीर्ष नेतृत्व, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह शामिल हैं, एक ऐसे नेता की तलाश में हैं जो सरकार और संगठन के बीच बेहतर समन्वय स्थापित कर सके। संघ की 4-6 जुलाई की बैठक में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की मौजूदगी में इस मुद्दे पर अंतिम फैसला होने की संभावना है। यह बैठक न केवल नए बीजेपी अध्यक्ष के चयन पर केंद्रित होगी, बल्कि संघ की शताब्दी समारोह की तैयारियों और संगठनात्मक गतिविधियों की समीक्षा पर भी ध्यान देगी।
भारतीय जनता पार्टी ने 30 जून को कई राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति कर दी है। इससे यह संकेत मिल रहा है कि पार्टी जल्द ही अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के स्थान पर नए अध्यक्ष के चयन की ओर बढ़ रही है।
बीजेपी के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तभी शुरू हो सकता है जब 37 में से कम से कम 19 राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव हो चुका हो। अब तक 16 राज्यों में नए अध्यक्ष घोषित हो चुके हैं और यह संख्या 19 पार कर गयी, जिससे राष्ट्रीय अध्यक्ष की चयन प्रक्रिया का रास्ता साफ हो गया।
पुडुचेरी में वीपी रामलिंगम और मिजोरम में के बिछुआ को पार्टी का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। महाराष्ट्र, उत्तराखंड, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में केवल एक-एक नामांकन हुआ है, जिससे उनका औपचारिक निर्वाचन तय है। तेलंगाना में रामचंदर राव, आंध्र प्रदेश में पीवीएन माधव, महाराष्ट्र में विधायक रविंद्र चव्हाण, उत्तराखंड में मौजूदा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट को फिर से मौका मिलेगा।
मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसे बड़े राज्यों में भी जल्द ही प्रदेश अध्यक्ष बदले जा सकते हैं। तेलंगाना में रामचंदर राव के चयन पर पार्टी के फायरब्रांड नेता टी राजा सिंह ने नाराजगी जताई और इस्तीफा दे दिया। वहां संगठन में खींचतान को संतुलित करने के लिए यह फैसला लिया गया है। आंध्र प्रदेश में पूर्व केंद्रीय मंत्री और एनटी रामाराव की बेटी पुरंदेश्वरी की जगह माधव को अध्यक्ष बनाया गया है। यह फैसला संगठन को मजबूत करने की दृष्टि से लिया गया है, क्योंकि वहां बीजेपी, तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) की सहयोगी जरूर है लेकिन खुद चुनावी दृष्टि से कमजोर है। भाजपा ने जातीय संतुलन का भी ध्यान रखा है, रामचंदर राव ब्राह्मण हैं जबकि माधव पिछड़ी जाति से आते हैं। उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (ठाकुर) के बाद अब अध्यक्ष पद पर महेंद्र भट्ट (ब्राह्मण) को रखा गया है। महाराष्ट्र में रविंद्र चव्हाण एक प्रभावशाली मराठा समुदाय से आते हैं। (हिफी)

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