अर्धांगिनी क्यों बन रहीं पतिहंता

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)
पति-पत्नी के बीच वैचारिक मतभेद तो आदिकाल से रहा है हमारी पौराणिक कथाओं में माता पार्वती द्वारा शिव की सलाह नहीं मानने पर ससुर दक्ष के यज्ञ में उपस्थिति और अपमान होने पर यज्ञ में कूद कर सती होने की कथा दर्ज है लेकिन आज के कलियुग में सभ्यता संस्कृति और संस्कार का पतन इस कदर हुआ है कि नारियां तमाम सामाजिक वर्जनाओं को तोड़कर पति के खून से रंगे हाथों में आशिक के नाम की मेहंदी सजाने की कोशिश में जेल के सीखचों के पीछे पहुंच रहीं हैं। पहले कभी वर्ष दो वर्ष में इस तरह की वारदात सामने आती थी लेकिन अब तो इस तरह की दिल दहलाने वाली वारदातों की झड़ी लगी है।
पिछले कुछ वक्त से देश के अलग-अलग हिस्सों से ऐसी खबरें आ रही हैं, जिनमें पति पत्नी का और पत्नी पति का कत्ल कर देती है। यूनाइटेड नेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पूरी दुनिया में हर साल करीब 50 हजार महिलाओं या लड़कियों का कत्ल हो जाता है। ऐसे 60 फीसदी मामलों में कातिल कोई अपना पार्टनर, पति या फिर कोई फैमली मेंबर होता है। एक रिपोर्ट कहती है कि देशभर में हर साल औसतन सवा दो सौ लोगों को उनकी पत्नियां कत्ल कर देती हैं और लगभग पौने तीन सौ पत्नियां अपने पति के हाथों मारी जाती हैं।
एनसीआरबी के 2022 के आंकडों के मुताबिक पूरे देश में कुल 28 हजार 522 कत्ल के मामले सामने आए। ये तमाम कत्ल 19 अलग अलग वजहों से हुए। मसलन, निजी दुश्मनी, सांप्रदायिक और धार्मिक वजह, राजनीतिक वजह, डायन प्रथा, जातिवाद, विवाद, या लूट-डकैती। पर परेशान करने वाली बात ये है कि इन 19 वजहों में से तीसरी और चौथी नंबर पर कत्ल की जो वजह बनी वो इश्क, धोखा, फरेब और शादी के बाद के संबंध थे। 28 हजार 522 कत्ल के कुल मामलों में से कुल 2 हजार 821 कत्ल इसी वजह से हुए।
आपको बता दें कि ऐसा नहीं है कि अवैध संबंध और प्यार आशिकी में पहले कत्ल नहीं हुआ करते थे। पहले भी आशिकों ने हाथों में खंजर या तमंचे उठाए हैं लेकिन 2010 के बाद से पति-पत्नी, इश्क, बेवफाई और अवैध संबंध की वजह से होने वाले कत्ल की तादाद तेजी से बढ़ी। पिछले 15 सालों के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो साफ पता चलता है कि जैसे जैसे सोशल मीडिया का चलन बढ़ा पति पत्नी के रिश्ते, शादी के बाद के संबंध और इश्क और खूनी होता चला गया।
भारत में क्राइम का डाटा रखने वाली नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो भी अलग से ये जानकारी नहीं देती है कि देश में हर साल कितने पति अपनी पत्नी का या पत्नी अपने पति का कत्ल करती हैं लेकिन लव अफेयर और संबंधों को लेकर होने वाले कत्ल के बारे में एनसीआरबी डाटा जरूर देती है। एनसीआरबी के सबसे ताजा 2022 के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि इश्क और रिश्तों में लोग अब जान नहीं देते। जान लेते हैं। भारत में जिन वजहों से सबसे ज्यादा कत्ल होते हैं, उनमें लव अफेयर और शादी के बाद संबंधों के मामलों में होने वाला कत्ल तीसरे और चौथे नंबर पर आता है। देश में होने वाले हर 10 में से औसतन एक कत्ल किसी न किसी आशिक-माशूक या पति-पत्नी के हाथ से ही होता है।
आंकड़ों के हिसाब से 2010 से 2014 के दरम्यान लव अफेयर और संबंधों की वजह से होने वाले कत्ल का प्रतिशत 7 से 8 फीसदी था लेकिन 2015 से 2022 के दरम्यान ये बढ़कर 10 से 11 फीसदी हो गया और ये गिनती लगातार बढ़ती जा रही है। एनसीआरबी की ही एक रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में देशभर में खुदकुशी के कुल 17 हजार 924 केस दर्ज हुए थे। जिनमें से अकेले शादी से जुड़े मामलों में 8 हजार 204 पति या पत्नी ने खुदकुशी की। जबकि इश्क के चलते 7 हजार 692 प्रेमी जोड़ों में से किसी एक ने खुदकुशी कर ली। इसके अलावा अवैध संबंधों की वजह से भी 855 लोगों ने खुदकुशी की, नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के एक आंकड़ें के मुताबिक 4 फीसदी शादीशुदा महिलाओं ने ये माना है कि वो अपने पति को शारिरिक तौर पर चोट पहुंचाती है। इसी तरह स्टडी ऑफ इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पॉपुलेशन साइंस की एक रिपोर्ट के मुताबिक वो नौकरीपेशा महिलाएं जो पैसे कमाती हैं और मोबाइल का इस्तेमाल करती हैं अपने पति से ज्यादा झगड़ती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं की जैसे जैसे उम्र बढती जाती है वो अपने पति से ज्यादा झगड़ने लगती हैं जबकि पति के मामले में ये उल्टा है। पति की उम्र जैसे जैसे बढ़ती है वो बीवियों से झगड़ा कम करने लगते हैं।
स्टडी की ये रिपोर्ट कहती है कि न्यूक्लियर फैमिली में पति पत्नी के बीच हिंसक लड़ाई ज्यादा होती है। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर एक हजार पति में से 29 पति अपनी पत्नियों की हिंसा का शिकार होते हैं जबकि न्यूक्लियर फैमिली में यही आंकड़ा पत्नियों के लिए हर एक हजार में 32 है। वैसे पति पत्नी से जुड़े कत्ल के केसेज के एक आंकड़े के मुताबिक 2022 में देशभर में पत्नी के हाथों पति के 220 कत्ल के मामले सामने आए थे। इसी दौरान पति के हाथों पत्नी के कत्ल के 270 से ज्यादा मामले सामने आए। फिलहाल 2025 की तो अभी शुरुआत है, 24 का आंकड़ा अभी जारी नहीं किया गया लेकिन रिपोर्ट होने वाले आंकड़े डरावने हैं और इन्हीं आंकड़ों को सच करके जब मुस्कान, साहिल, प्रगति, राकेश रौशन न जाने ऐसे कितने ही नाम और ऐसी कितनी ही तस्वीरें सामने आती हैं, तो अहसास करा जाती हैं कि अब मुहब्बत उस अहसास का नाम नहीं रहा जो कभी हर दिल में रहा करता था। वो दौर अलग था, जब नाकाम मोहब्बत में एक दिल के टुकड़े हजार हुआ करते थे। कोई यहां गिरता था, कोई वहां गिरता था। अब दौर बदल चुका है आज आशिक दिल के टुकड़े पर नहीं रुकते बल्कि जिस मोहब्बत का दम भरते हैं, जिस मोहब्बत में जीने मरने की कसमें खाते हैं, उसी मोहब्बत के सीधे टुकड़े कर डालते हैं। जिसकी सच्चाई जब तब कभी ड्रम, फ्रिज, कुकर, बैग, दीवार, फर्श और बेड की शक्ल में हमारे सामने आती है।
अब समझ लीजिए वह दौर अलग था, जब मुहब्बत में जान देने की बातें हुआ करती थीं। हीर रांझा शीरी फरिहाद लैला मजनू के तमाम किस्से अब अतीत बन रहे हैं जब ये दौर अलग है, यहां मुहब्बत खुद दिलों में खंजर उतार कर अपनी ही मुहब्बत की जान ले रही है।
पति-पत्नी के बीच नोंकझोंक मनमुटाव रूठना मनाना जीवन का सहज हिस्सा होता रहा है लेकिन तो तब टीवी, मोबाइल, इंटरनेट, सोशल मीडिया कुछ भी नहीं था न ही सास बहू की सीरियल थी तब हम लोग और नुक्कड जैसे परिवारिक सीरियल थे जिन्हे पूरा परिवार एक साथ देख सकता था लेकिन एकता कपूर जैसे लोगों के सीरियल का दौर आया जिसमें हर विवाहिता का विवाहेत्तर संबंध दर्शाने का चलन हुआ संस्कृति और संस्कारों का जनाजा निकाल दिया गया मध्यम वर्ग के कुछ खुद को एलीट समझने वाले पति पत्नी को ड्रम, फ्रिज, कुकर, बैग, दीवार, फर्श और बेड के अंदर तक लाश बनाकर पहुंचा देने का सिलसिला शुरू हो गया है, ये अब लगभग हर दूसरे या चौथे दिन देखने को मिल रहा है। अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर सात जन्मों की कसमें खाने वाली या कसमें खाने वाले पति-पत्नी पहला जनम तो छोडिए पहली रात, दूसरे दिन, पहले हफ्ते, या 15 दिन के अंदर ही अपने हाथों से एक दूसरे की जान क्यों ले रहे हैं? इनमें वो पति-पत्नी भी शामिल हैं, जिन्होंने घरवालों और
पूरी दुनिया से बगावत कर अपनी मर्जी से लव मैरिज की। और वो भी शामिल हैं, जिन्होंने घरवालों की मर्जी से शादी की।
आप जानकर हैरान रह जाएंगे पति पत्नी के लिए सबसे खतरनाक जगह वही घर है, जिस घर को बसाने के लिए दोनों एक रिश्ते में बंधते हैं। हालांकि पति के हाथों पत्नी की और पत्नी के हाथों पति के कत्ल की कितनी वारदातें हुईं? इसका सही सही आंकड़ा किसी भी रीसर्च या जांच एजेंसी के पास नहीं है। संस्कारों का पतन भारतीय परिवारों के दांपत्य जीवन को डसने लगा है, आगे क्या होगा इस की कल्पना करने मात्र से दिल दहल जाएगा। (हिफी)