चर्चा में क्यों हैं महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर : राहुल नार्वेकर

मुंबई। शिवसेना विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग वाली याचिकाओं पर महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश ने इस मामले में देरी को सुर्खियों में ला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को विधानसभा अध्यक्ष को उचित समय के भीतर अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने का निर्देश दिया था। हालांकि, 4 महीने बाद भी अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। यही कारण है कि स्पीकर सवालों के घेरे में हैं। कोर्ट ने फिर से 18 सितंबर को निर्देश दिया कि महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके प्रति वफादार शिवसेना विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर फैसले के लिए समय-सीमा के बारे में एक सप्ताह के भीतर बताएं।
राहुल नार्वेकर ने कहा कि वह शिवसेना के कुछ विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए दायर याचिकाओं पर फैसले करने में देरी नहीं करेंगे, लेकिन इनपर जल्दबाजी में भी निर्णय नहीं करेंगे। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि वह इस संबंध में कोई जल्दबाजी भी नहीं दिखाएंगे, क्योंकि ऐसा करने से ‘‘घोर अन्याय’’ हो सकता है। उन्होंने कहा कि मुझे उच्चतम न्यायालय की टिप्पणियों के बारे में जानकारी नहीं है। मुझे इस मामले में देरी करने में कोई दिलचस्पी नहीं है और न ही मैं जल्दबाजी करने जा रहा हूं, क्योंकि इसका नतीजा घोर अन्याय के रूप में सामने आ सकता है।’’ विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि नियमों और संवैधानिक प्रावधानों का पालन करने के बाद जल्द से जल्द निर्णय लिया जाएगा।
पिछले साल जून में एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद शिवसेना बंट गई थी। शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट ने जून, 2022 में महाराष्ट्र में नई सरकार बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से हाथ मिला लिया था। शिंदे भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बन गए। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट ने दलबदल विरोधी कानूनों के तहत शिंदे सहित कई विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करते हुए याचिका दायर की। विभाजन के बाद, दोनों गुटों – एक का नेतृत्व शिंदे ने किया, और दूसरे का नेतृत्व उद्धव ठाकरे ने किया – ने एक-दूसरे पर अध्यक्ष के चुनाव और 4 जुलाई, 2022 को विश्वास मत दोनों पर पार्टी के व्हिप की अवहेलना करने का आरोप लगाया था। अविभाजित शिवसेना के मुख्य सचेतक विधायक सुनील प्रभु ने शिंदे सेना के 16 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर की। शिंदे सेना गुट ने तत्काल प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एक जवाबी याचिका दायर की, जिसमें 14 उद्धव सेना विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की गई।