शारदीय नवरात्रि क्यों है खास?

(पं. मनोज शुक्ल शास्त्री-हिफी फीचर)
शारदीय नवरात्रों का महत्व भगवान राम और रावण से जुड़ा हुआ है। रावण के साथ अंतिम युद्ध से पहले भगवान राम ने शक्ति की देवी मां दुर्गा का आवाह्न कर पूजा अर्चना की थी। भगवान राम देवी दुर्गा की आराधना करने के लिए इंतजार नहीं करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने युद्ध से पहले माता दुर्गा की विशेष पूजा अर्चना की थी जिसके बाद उन्हें विजय प्राप्त हुई थी।
आश्विन मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारंभ होकर 9 दिन तक चलने वाला नवरात्र ‘शारदीय नवरात्र’ कहलाता है। ‘नव’ का शाब्दिक अर्थ नौ है। इसके अतिरिक्त इसे नव अर्थात नया भी कहा जा सकता है।
शारदीय नवरात्रों में दिन छोटे होने लगते हैं। मौसम में परिवर्तन प्रारंभ हो जाता है। प्रकृति सर्दी की चादर में सिकुड़ने लगती है। ऋतु के परिवर्तन का प्रभाव जनों को प्रभावित न करे इसलिए प्राचीनकाल से ही इस दिन से 9 दिनों के उपवास का विधान है।
इस अवधि में उपासक संतुलित और सात्विक भोजन कर अपना ध्यान चिंतन और मनन में लगाने से स्वयं को भीतर से शक्तिशाली बना सकता है। उपवास करने से उसे उत्तम स्वास्थ्य सुख के साथ पुण्य प्राप्त होता है। इन 9 दिनों को शक्ति की आराधना का दिन भी कहा जाता है।
नवरात्रों में माता के 9 रूपों की आराधना की जाती है। माता के इन 9 रूपों को हम देवी के विभिन्न रूपों की उपासना, उनके तीर्थों के माध्यम समझ सकते हैं।
वर्ष में दो बार नवरात्र रखने का विधान है। चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से 9 दिन अर्थात नवमी तक और इसी प्रकार ठीक 6 मास बाद आश्विन मास, शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से विजयादशमी से एक दिन पूर्व तक माता की साधना और सिद्धि प्रारंभ होती है। दोनों नवरात्रों में शारदीय नवरात्रों को ज्यादा महत्व दिया जाता है। शक्ति की देवी की उपासना पूजा पाठ करने के लिए नवरात्र के दिन बेहद ही खास और महत्वपूर्ण बताए गए हैं। साल 2024 में नवरात्रि आश्विन मास शुक्ला पक्ष की प्रतिपदा 3 अक्टूबर से प्रारंभ हो जाएंगे, जो नवमी 11 अक्टूबर तक किए जाने का विधान बताया गया है। साल में नवरात्र चार बार होते हैं, लेकिन इनमें चैत्र और शारदीय नवरात्र ही प्रमुख बताए गए हैं। नवरात्रों में देवी दुर्गा के निमित्त व्रत, पूजा पाठ आदि करने का महत्व बताया गया है
कथाओं के अनुसार शारदीय नवरात्रि का महत्व भगवान राम और माता सीता से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि भगवान राम शक्ति की देवी की आराधना करने के लिए इंतजार नहीं करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने रावण के साथ अंतिम युद्ध करने से पहले 9 दिन तक देवी की पूजा अर्चना की थी। जिससे प्रसन्न होकर देवी ने उन्हें जीत का आशीर्वाद दिया था। शास्त्रों वेदों पुराणों में नवरात्रों का महत्व भगवान राम से जुड़ा हुआ बताया जाता है। शारदीय नवरात्रों का महत्व भगवान राम से जुड़ा हुआ है। ऐसी बहुत सी कथाओं का वर्णन शास्त्रों में मिलता है।
शारदीय नवरात्रों का महत्व भगवान राम और रावण से जुड़ा हुआ है। रावण के साथ अंतिम युद्ध से पहले भगवान राम ने शक्ति की देवी मां दुर्गा का आवाह्न कर पूजा अर्चना की थी। भगवान राम देवी दुर्गा की आराधना करने के लिए इंतजार नहीं करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने युद्ध से पहले माता दुर्गा की विशेष पूजा अर्चना की थी जिसके बाद उन्हें विजय प्राप्त हुई थी। नवरात्र पूरे होने के बाद दशमी तिथि को भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी।
धार्मिक ग्रंथो के अनुसार हर साल शारदीय नवरात्रि आश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारंभ होते हैं। इन नौ दिनों में देवी दुर्गा के निमित्त व्रत, पूजा पाठ, दुर्गा स्तोत्र का पाठ, दुर्गा चालीसा का पाठ आदि करने का बहुत अधिक महत्व बताया गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नवरात्रों में देवी दुर्गा स्वर्ग लोक से धरती लोक पर भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करने के लिए आती है। इस दौरान श्रद्धालुओं द्वारा श्रद्धा भक्ति भाव से पूजा पाठ करने पर माता भक्तों को मनवांछित फल प्रदान करती है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर देती हैं।
इस बार 03 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र शुरू हो गया है सभी देवी भक्त प्रतिपदा तिथि गुरूवार को अपने अपने घरों में घटस्थापन करके 11 अक्टूबर तक हर्ष उल्लास के साथ माता के नव स्वरूपों की आराधना करेंगे 03 अक्टूबर गुरूवार को दिनभर घट स्थापना का शुभ मुहूर्त है अपने दुख दारिद्र निवारण हेतु भक्त मुक्ति की कामना के साथ समस्त सनातन जनमानस मां दुर्गा के नव स्वरूपों की आराधना करना चाहिए। (हिफी)