इमरान खान की अजीबो गरीब धमकी

जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने दिसंबर 2023 में शहबाज सरकार की मुसीबत बढ़ाने के लिए एक अजीबोगरीब धमकी जारी की थी। उन्होंने कहा था कि वह एक सिविल नाफरमानी आंदोलन शुरू करेंगे। प्रवासी पाकिस्तानियों से इमरान ने अपील की थी कि वे रेमिटेंस यानी विदेश से भेजे जाने वाले पैसों को कम करें या फिर पूरी तरह बंद कर दें। पहले से ही पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चुनौतियों से जूझ रही है। देश सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और चीन जैसे प्रमुख सहयोगियों से नए कर्ज माफी की मांग कर रहा है। ऐसे में प्रवासी पाकिस्तानियों की ओर से भेजी जाने वाली रकम का रुकना एक बड़ा झटका हो सकता था।
उनका यह प्लान पूरा फेल होता दिख रहा है। एक्स पर एक पोस्ट में इमरान ने कहा था कि ‘मूवमेंट के हिस्से के रूप में हम विदेशी पाकिस्तानियों से रेमिटेंस को सीमित करने और बहिष्कार अभियान शुरू करने का आग्रह करेंगे।’ जो लोग पहले इमरान की बात मानकर रेमिटेंस पाकिस्तान नहीं भेजते थे वह अब फिर पैसे भेजने को मजबूर हैं। अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक कतर में काम करने वाले 28 साल के मोहम्मद वसीम ने कहा, ‘मैं हर महीने करीब 4,000 कतरी रियाल लगभग 3 लाख पाकिस्तानी रुपए अपने परिवार को भेजता था, लेकिन जैसे ही मैंने इमरान का संदेश सुना, मैंने उन्हें बता दिया कि अब पैसे नहीं भेजूंगा।’ हालांकि अब उन्होंने कहा कि अगले महीने से वह कुछ पैसे भेजना शुरू कर देंगे, क्योंकि उनके भाइयों ने मदद मांगी है। इमरान खान अगस्त 2018 से अप्रैल 2022 तक पाकिस्तान के पीएम थे। मिडिल ईस्ट के देशों से लेकर अमेरिका तक प्रवासी पाकिस्तानियों का उन्हें बड़ा समर्थन मिला हुआ है। उनका ऐलान भले ही रेमिटेंस रोकने के लिए हुआ था लेकिन हाल के आंकड़े बताते हैं कि पाकिस्तान को मिलने वाले रेमिटेंस में बढ़ोतरी हुई है। जनवरी 2024 से तुलना करें तो इसी साल 25 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक के मुताबिक जनवरी 2024 में प्रवासी पाकिस्तानियों ने 3 बिलियन से अधिक की रकम भेजी जो पिछले साल की तुलना में 25 फीसदी ज्यादा है। यह लगातार दूसरा महीना था जब रेमिटेंस 3 बिलियन के आंकड़े को पार कर गया। इमरान खान ने रेमिटेंस को हथियार बनाकर शहबाज सरकार से जंग लड़ने की कोशिश की थी, लेकिन इस लड़ाई में वे हारते नजर आ रहे हैं।