मोदी का विशेष संदेश लेकर अमेरिका गये हैं जयशंकर

वॉशिंगटन डीसी के वाइट हाउस से जो बाइडन की विदाई को चंद रोज का समय ही बाकी है। इधर अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने महत्वपूर्ण पदों के लिए नामों की घोषणा कर दी है। ट्रंप के 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंने से पूर्व ही भारत अपनी रणनीति तैयार करने में जुट गया है। मोदी और ट्रंप के बीच की पूर्व की गरमाहट को एक बार फिर से हवा देने और इसे भारत के हित में नए सिरे से मोड़ने के लिए मोदी का विशेष संदेश लेकर विदेश मंत्री एस. जयशंकर अमेरिका गए हुए हैं। यहां उन्होंने मौजूदा अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन से मुलाकात तो की ही, ट्रंप एडमिन के माइकल वॉल्ट्ज सहित उन अधिकारियों से भी मिले जिन्हें अगले माह ट्रंप ऑफिस संभालना है। 50 साल के वाल्ट्ज 20 जनवरी को जेक सुलिवन की जगह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनेंगे। 12 नवंबर को ट्रंप ने घोषणा की थी कि वाल्ट्ज ही उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार होंगे। ट्रंप ने अपने एडमिन में तुलसी गबार्ड, जेडी वेंस और एलन मस्क जैसे भारत विरोधी देशों का समर्थन करने वाले नए और पैने लोगों को शामिल किया है मगर विदेश मंत्री और एनएसए के लिए उन्होंने मार्को रुबियो और माइक वाल्ट्ज को चुना है। ये दोनों ही चीन के कट्टर समर्थक हैं मगर रुबियो भारत-अमेरिका संबंधों के हिमायती भी रहे हैं। चीन के तिब्बत में दुनिया का सबसे बड़ा डैम बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल चुकी है। वह लगातार अपनी सैन्य शक्ति मजबूत करने में जुटा हुआ है। ऐसे बदलावों और परिस्थितियों को भारत नजरअंदाज नहीं कर सकता। जाहिर है अमेरिका भी चीन की मजबूती नहीं चाहेगा। भारत-अमेरिका संबंधों के लिए वाल्ट्ज कोई अजनबी नहीं हैं।
वाल्ट्ज अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के सबसे बड़े कंट्री-स्पेसिफिक कॉकस कांग्रेसनल इंडिया कॉकस के रिपब्लिकन सह-अध्यक्ष भी हैं। वाल्ट्ज पिछले साल अगस्त में भारत में कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल के अगुआ थे। उन्होंने लाल किले के स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग भी लिया था।